ममता बरसाती बारिश सी है माँ
सागर मे उफनती लहरों सी है माँ
पानी की बूंद को तरसते बच्चो के लिए दुध की धार सी है माँ
अपनी ममता की रक्षा के लिए तलवार सी है माँ
ना इसकी ममता की सीमा है ना इसके प्यार की हद है
मई जून की गर्मी में जाड़े की धुप सी है माँ
कभी उफनते दुध सी है माँ
बस अनन्त अनमोल है माँ
हम सब के लिए रब का वरदान है माँ
हम तेरे कर्जदार कद्रदान है माँ
अंधेरो जलती शंमा सी है माँ
रोग मे दवा सी मुसीबत मे दुआ सी हैं माँ
केशर क्यारी……… उषा राठौड़
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