विदेशी उपभोक्ता वस्तुओं पर हमारी निर्भरता बढती ही जा रही है आइये गाँधी जयंती पर स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने की शुरुआत करे |
और धीरू सिंह जी के आव्हान पर चीनी वस्तुओं का बहिस्कार करे |
विदेशी उपभोक्ता वस्तुओं पर हमारी निर्भरता बढती ही जा रही है आइये गाँधी जयंती पर स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने की शुरुआत करे |
और धीरू सिंह जी के आव्हान पर चीनी वस्तुओं का बहिस्कार करे |
पूरी तरह सहमत .एक अभियान चलाये जाने का समर्थक .
पूरी तरह सहमत b indian buy indian
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
हिन्दी ब्लोगिग मे प्रदुषण का लेवल बढा
सहमत है पर यह बहुत ही कठिन है क्योंकि वायरस की तरह फैल चुकी है ये चीनी वस्तुयें । आंदोलन की आवश्यकता है । आभार ।
अच्छे विचार हैं. जितना उपलब्ध हैं, उतना तो स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल करिये ही.
dhnyvaad. raah asaan nahi lekin koshish to ki hi ja sakti hae
स्वदेशी बनी वस्तुओं का ही चुनाव करेंगे।
जैविक खाद्यान्नों को प्राथमिकता देंगे।
उर्जा की सभी प्रकार से बचत करेंगे।
हर प्रकार का प्रदूषण कम से कम हो इसका खयाल रखेंगे।
जैवविविधता कबढ़ावा देंगे।
अच्छा विचार है। पर यह लागू होने के लिये जो संकल्प शक्ति भारत में चाहिये, वह नजर नहीं आती।
पता नहीं ऑस्टेरिटी ड्राइव का क्या हो रहा है?!
भाई मानो या ना मानो हम तो करते है
चाइनीज़ चीज़ो को बहिष्कार तो ठीक.
पर मैं तो बचपन से ही चाइनीज़ फाउंटेन पेन प्रयोग करता आ रहा हूं..
बहुत मुश्किल लग रहा है । क्यो कि विदेशी सस्ते सामान की ऐसी लत लग चुकी है कि अब छूटने का नाम ही नही लेती है ।
मैं जहाँ तक सम्भव है चीनी माल नहीं खरीदता.
हां ब्लाग एग्रीगेटर खोलता पर स्क्रिप्ट ईंस्टालेसन या Python सपोर्ट क ने वाला होस्टिंग नही है और खूब मेहनत लगेगा
ये रहा ब्लाग एग्रीगेटर स्क्रिप्ट
http://www.planetplanet.org/
मैने चिट्ठाजगत,ब्लागवाणी के स्क्रिप्ट ओफ्लाईन ब्राउजर से डाउन्लोड कर के देखा था(ओफलाईन ब्राउजर से कई अन्य फोल्डर लोकेशन दिख जाते हैं)
और ईनहोने Magpie RSS जैसे और आदी कई स्क्रिप्ट डाले हैं
जैसे ब्लाग दिखाने के लिये अलग, ब्लाग फिड खोजने वाला अलग स्क्रिप्ट, फिड को साईट पर खिचने वाला अलग स्क्रिप्ट।
बन तो जाएगा पर मेहनह बहुत लगेगा – आप कहते हैं तो मै Blog Aggregator बनाने की कोशीस करूंगा या जैसे ही $$ पेपल पर आते हैं तो प्रोग्रामर्स से बनवा दूंगा जो .php मे बना देंगे
फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी
इनका बाज़ार इतना विकसित हो चुका है कि मुशकिल है पर नामुमकिन नहीं