चौहान राजपूत वंश की एक शाखा है “निरबाण”, पर जब भी मैं इस वंश की शाखा के व्यक्तियों के नाम के आगे देखता हूँ तो पाता हूँ कि ये लोग निरबाण Nirban की जगह निर्वाण Nirwan लिखते है| जो गलत है कईयों को फेसबुक पर मैंने बताया भी फिर भी उन्होंने इस गलती को नहीं सुधारा| इसका सीधा सा कारण है उन्हें अपने वंश के इतिहास का पता ही नहीं और न ही उन्होंने अपना इतिहास पढने की कभी जरुरत महसूस की| जब अपना इतिहास ही इन्होने नहीं पढ़ा तो इन्हें क्या पता कि उनका यह निरबाण टाइटल क्यों पड़ा ?
शाब्दिक दृष्टि से भी देखें तो निरबाण व निर्वाण में बहुत अंतर है दोनों के शाब्दिक अर्थ ही एक दूसरे से भिन्न है|
राजस्थान के शेखावाटी में रहने वाले चौहान राजपूतों की इस निरबाण शाखा का प्रादुर्भाव कैसे हुआ ? ये शेखावाटी में कहाँ से आये ? इस संबंध में राजस्थान के मूर्धन्य इतिहासकार स्व.सुरजन सिंह जी झाझड़ ने अपनी पुस्तक “शेखावाटी प्रदेश का प्राचीन इतिहास” में बहुत ही बढ़िया व विस्तृत शोधपरक ऐतिहासिक जानकारी दी है|
कर्नल नाथू सिंह शेखावत ने भी अपनी पुस्तक “अदम्य यौद्धा-महाराव शेखाजी” में महाराव शेखाजी के जन्म स्थान “गढ़ त्योंदा” के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए चौहानों की निरबाण शाखा की ऐतिहासिक जानकारी दी है|
कर्नल नाथू सिंह शेखावत के अनुसार- “निरबाण चौहानों की एक मुख्य खांप है| नाडोल (पाली) के राजा आसपाल की पटरानी वांछलदेवी से माणकराव, मोकळ, अल्हण और नरदेव नामक चार पुत्र हुए| इनमे सबसे छोटा नरदेव महत्वाकांक्षी, दूरदर्शी व शौर्यवान था| वह जानता था कि सबसे छोटा होने के कारण पिता के राज्य से कोई बहुत बड़ा ठिकाना मिलने की संभावना नहीं थी, अत: नरदेव ने पिता के राज्य में मिलने वाला हिस्सा त्याग कर, अन्यत्र अपना राज स्थापित करने के उद्देश्य से, अपने विश्वस्त साथियों के साथ कूच किया|
उस समय खंडेला पर कुंवरसिंह डाहिल राज करता था| नरदेव ने ने कुंवरसिंह डाहिल पर वर्तमान उदयपुरवाटी के पास वि.स. ११४२ (सन १०८५ई.) में आक्रमण कर उसे परास्त किया तथा खंडेला पर अपना अधिकार कर लिया| इस अप्रत्याशित जीत व पिता के राज में हिस्से के प्रति त्याग से प्रसन्न होकर राजा आसपाल ने नरदेव को आशीर्वाद स्वरूप “निरबाण” की उपाधि से सम्मानित किया| तब से नरदेव निरबाण के नाम से विख्यात हुआ और उसकी संताने निरबाण उपनाम से जानी जाने लगी| अन्य भाइयों की संताने देवरा पुत्र अर्थात देवड़ा कहलाती है|”
उस वक्त उतर भारत में चौहानों का शक्तिशाली राज्य था शेखावाटी के खंडेला के पास संभार पर शक्तिशाली शासक विग्रहराज चौहान का शासन था| नरदेव निरबाण अपने वंशज चौहानों से घनिष्टता का फायदा उठाते हुए सांभर का विश्वसनीय सामंत बन गया और उनकी शक्ति का फायदा उठाते हुए अपने राज्य के पास अरावली घाटी की श्रंखला में उदयपुरवाटी से पूंख, बबाई, पपुरना, खरकड़ा, जसरापुर व त्योंदा तक अपने शक्तिशाली ठिकाने स्थापित कर अपना राज्य विस्तार कर छोटा सा सुदृढ़ राज्य स्थापित कर लिया|
अकबर काल में निरबाणों पर मुग़ल दरबार में उपस्थित होने हेतु निरंतर दबाव पड़ता रहा पर इन्होने न तो कभी अकबर की अधीनता स्वीकार की, न कभी उसे कर दिया, न कभी मुग़ल दरबार में ये नौकरी करने गये| अकबर ने इसे अपनी तौहीन समझी पर इनपर कभी मुग़ल सेना नहीं भेजी कारण साफ था उस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में निरबबाणों की छापामार युद्ध प्रणाली के आगे इन्हें हराना बहुत कठिन था| कई बार पड़ताली मुग़ल दस्ते इन पर चढ़ कर गये पर उन्हें निरबाणों ने हराकर या लूटकर वापस भगा दिया|
आखिर रायसल शेखावत ने इन्हें हराकर पहले उदयपुर बाद में खंडेला का राज्य छीन इन्हें राज्यहीन कर दिया फिर भी ये कभी मुग़ल सेवा में नहीं गये|
अच्छी जानकारी है सर। आभार।
नये लेख : नया टीवी, सेटअप बॉक्स और कैमरा।
श्रद्धांजलि :अब्राहम लिंकन
achi jankari sayad is jankari se nirvan lagane vale kuch seekh paye
हाँ, निर्वाण का मतलब तो मुक्ति,मोक्ष या खतम होना ऐसा ही कुछ होता है । मगर अधिकतर लोग निरबाण की जगह Nirwan (निर्वाण) ही लिखते हैं
Maha Rao Shekhaji ka jana "Gadh Tyonda" mein hua tha? Aisa pehle to nahi padha kahin..
कर्नल नाथू सिंह शेखावत ने भी अपनी पुस्तक “अदम्य यौद्धा-महाराव शेखाजी” में महाराव शेखाजी के जन्म स्थान “गढ़ त्योंदा” के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए चौहानों की निरबाण शाखा की ऐतिहासिक जानकारी दी है|
महाराव शेखाजी के जन्म स्थान पर इतिहासकार एकमत नहीं है कई इतिहासकारों ने शेखाजी का जन्म स्थान अमरा धाभाई की ढाणी तो कईयों ने घोड़ा खुर्रा लिखा तो कुछ ने शिकारगढ़ स्थित शेखाजी की शाल को शेखाजी का जन्म स्थान लिखा है |
इतिहासकार स्व.सुरजन सिंह जी की शोध और विश्लेषण के अनुसार ये तीनों ही स्थान शेखाजी का जन्म स्थान नहीं हो सकते उन्होंने मानगढ़ या मोकलगढ़ शेखाजी का जन्म स्थान होने का अनुमान लगाया है |
कर्नल नाथू सिंह जी ने अपनी पुस्तक में शेखाजी का जन्म स्थान उनकी ननिहाल गढ़ त्योंदा में माना है कारण राजपूत समाज में किसी भी महिला का पहला जापा (डिलीवरी) अपने मायके में ही कराने का रिवाज रहा है !!
निरबाण का सन्धि विच्छेद पर अर्थ तो बिना बाण का हुआ। कुछ तद्भव उद्गम लग रहा है शब्द का।
एक रोचक पर महत्वपुर्ण जानकारी मिली.
रामराम.
Kya Nirban Rajput hee Gujarat K Nadoda Rajput hai…Kyonki Unaka bhi Itihas Nirban Rajputo jaisa hai…Jay Ashapura
निरबान राजपूत राजस्थान में ही है|
Ku6 Gujarat me bhi hai
Kya Nirban Rajput hee Gujarat k NADODA Rajput hai…kyon ki NIRBAN Rajputo ka ithihas Bhi Nadoda Rajput jaisa hai…Jay Ashapura
Gujarat me bhi hai…Nirban par unaka Upbransh hoke Nadoda Aur Narvaiya kaha jane laga hai…Nadoda Ka itihas bhi yah kahata hai kee Vah Nadol Gau se the aur Unke kisee ek Raja ka Nam nirvan tha iseeliye unhe Nadoda ya Nirvan bhi kaha jata hai…Aur uko Raja Lakhan ka vansaj bhi kaha jata hai…Toh isase yahi sabit hota hai kee Nadoda aur Nirban ek hi hai…
मेरे दादा जी एक कहावत सुनते थे
पगा पहने मुंजडी हाते तीर कमान
अकबर से भी ना नीभ्टो खूब लडो निर्वाण।
but ab log nirwan hi likhte h kyuki bachpan se hi nirwan likhte aye h toh ab nirban likhenge toh kuch hmari hi community ke log question karenge ki kal tak nirwan tha aaj nirban kese tum rajput ho bhi ya nahi jo ki ek bht bda question h
Main Pradeep nirbaan parantu main jaai se nai hu mere baare bataye
I am nirbaan and i am from Rajasthan’s tyonda papurna !
कभी त्योंदा पर स्टोरी बनाने के लिए हम आना चाहें तो क्या आप हमारी मदद करेंगे
Apki kuldevi ka mandir kha hai??
Nirbano ki kuldevi ka mandir kha hai??
साम्भर में शाकम्भरी माता और नाडोल के पास आशापुरा माता मंदिर |
शेखावतो ने जीता था कया मामा भाजे वाली कहानी नहीं सुनी आपने
शेखावाटी प्रदेश का प्राचीन इतिहास”स्व.सुरजन सिंह जी झाझड़ enki ye book kahA MILEGI MUZE CHAHIYE
क्या नरदेव के द्वारा निर्वाण वंश की स्थापना के पूर्व ही माणिक देव जू के पुत्र भगतराज जी के वंशज भी निर्वाण कहे जाते हैं ? भगतराज जी के वंश के बारे में खंडेला से बिखराव लिखा मिलता है। भगतरज के वंश के बारे में क्या जानकारी है ?
हमने इतिहास में यही पढ़ा है कि नरदेव के वंशज निरबाण कहलाये | भगतराज जी के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है | यह आप लोगों के लिए शोध का विषय है |