26.7 C
Rajasthan
Tuesday, May 30, 2023

Buy now

spot_img

धर्म ग्रंथो पर अज्ञानियों द्वारा निरर्थक बहस

कई दिनों से कुछ एक स्वयम्भू विद्वानों द्वारा धर्म ग्रंथो के श्लोकों की मनमानी व्याख्या पढने को मिल रही है ये तथाकथित विद्वान हिन्दू धर्म के लिए किसी सिरफिरे मानसिक विकृत लेखकों की पुस्तको का हवाला देते रहते है पर ये ये क्यों नहीं समझते कि जिन मानसिक विकृत लेखको ने इस तरह का साहित्य लिखा है उसे स्वीकार किसने किया है ? क्या सलमान रुश्दी का लिखा हुआ किसी ने स्वीकार किया है ? क्या तसलीमा नसरीन द्वारा लिखी हुई पुस्तके उसके समाज व धर्म वालों ने स्वीकार की है ? तो ये लोग ये क्यों नहीं समझते कि कुछ घटिया मानसिक सोच रखने वाले लेखकों द्वारा हिन्दू धर्म के अपमान वाली पुस्तके कैसे स्वीकार की जा सकती है ?
जिन वेदों के एक एक श्लोक की व्याख्या के लिए पूरा लेख छोटा पड़ जाता है, जिन्हें समझने के लिए कई जन्म कम पड़ जाते है उन वेदों की ये तथाकथित विद्वान अपने हिसाब से विवेचना करने में लगे है | जिन लोगों को इंसानियत और मानव धर्म तक की समझ नहीं है उन्हें वेदों और धर्म के बारे में बड़ी बड़ी बाते लिखते देख आज मुझे एक किस्सा याद आ गया –
एक में चार अंधे रहते थे , एक दिन उस गांव में एक हाथी आ गया , हाथी आया , हाथी आया की आवाजें सुनकर अंधे भी वहां आ गए कि क्यों न हाथी देख लिया जाये पर बिना आँखे देखे कैसे ? सो एक बुजुर्ग ग्रामवासी के कहने पर महावत ने उन अंधों को हाथी को छूने दिया ताकि अंधे छू कर काठी को महसूस करने लगे | और अंधों ने हाथी को छू लिया , एक अंधे के हाथ में हाथी सूंड आई , दुसरे अंधे के हाथ पूंछ आई तो तीसरे अंधे के हाथ हाथी के पैर लगे | और चौथे के हाथी के दांत | इस तरह अंधों ने हाथी को छू कर महसूस कर देख लिया | दुसरे दिन चारो अंधे एक जगह इक्कठे होकर हाथी देखने छूने के अपने अपने अनुभव के आधार पर हाथी की आकृति का अनुमान लगा रहे थे | पहला कह रहा था – हाथी एक चिकनी सी रस्सी के सामान होता है , दूसरा कहने लगा – तुम्हे पूरी तरह मालूम नहीं रस्सी पर बाल भी थे अत: हाथी बालों वाली रस्सी के समान था , तीसरा कहने लगा – नहीं ! तुम दोनों बेवकूफ हो | अरे ! हाथी तो खम्बे के समान था | इतनी देर में चौथा बोल पड़ा – नहीं तुम तीनो बेवकूफ हो | अरे ! हाथी तो किसी हड्डी के समान था और बात यहाँ तक पहुँच गयी कि अपनी अपनी बात सच साबित करने के चक्कर में चारो आपस में लड़ने लगे |
चारों अन्धो में जूतम-पैजार होते देख पास ही गुजरते गांव के एक ताऊ ने आकर पहले तो उन्हें लड़ते झगड़ते छुड्वाया फिर किसी डाक्टर के पास ले जाकर उनकी आँखों का ओपरेशन करवाया | जब चारो अंधों को आँखों की रोशनी मिल गई तब ताऊ उनको एक हाथी के सामने ले गया और बोला – बावलीबुचौ ! ये देखो हाथी ऐसा होता है | तब अंधों को पता चला कि उनके हाथ में तो हाथी का अलग- अलग एक एक अंग हाथ आया था और वो उसे ही पूरा हाथी समझ रहे थे |
ठीक उसी तरह ये तथाकथित विद्वान भी कहीं से एक आध पुस्तक पढ़कर अपने आप को सम्पूर्ण ज्ञानी समझ रहे और ये तब तक समझते रहेंगे जब तक इन्हें कोई ताऊ नहीं मिल जाता जो इन्हें धर्म का मर्म समझा सके | जिस दिन इन्हें इंसानियत और मानव धर्म का मर्म समझ आ जायेगा इन्हें पता चल जायेगा कि धर्म क्या है ? और कौनसा धर्म श्रेष्ट है ?

ताऊ डाट इन: सफ़ल ब्लागर बनिये : "ताऊ ब्लाग मेनेजमैंट इंस्टिट्यूट"
एक राजा का साधारण औरत द्वारा मार्गदर्शन
मेरी शेखावाटी: आइये मोबाईल द्वारा माइक्रो फोटोग्राफी करे

Related Articles

19 COMMENTS

  1. जब तक इन्हें कोई ताऊ नहीं मिल जाता जो इन्हें धर्म का मर्म समझा सके |

    राम-राम रतनसिंग जी ताऊ तो अपने कने ही सै,ढुंढबा की भी जरुरत कोनी, जद चाहो बुला ल्यो। "जिन खोजा तिन पाईयाँ।

    राम राम सा

    • This is which type of secularism that if follow Hinduism then you are non secular and if you critisise Hinduism then you are Secular, May we know the reason?

      If the blogger really want to teach a good lesson then please adress this to Mr. Digvijay Singhji (Ex-CM Madhya Pradesh)

  2. ये लोग षड्यंत्रकारी हैं, जो हिन्दू धर्म को बेकार ही कलंकित करने का प्रयास कर रहे हैं.
    यदि हम चुप रहे तो इनके हौसले यूँ ही बुलंद होते रहेंगे.

  3. आपने खुद ही बावलाबूचा कह कर इनकी असलियत का सार समझा दिया है। इनकी कौन सुन रहा है? मेंढकों की मंडली है। कुएं में बैठकर विश्वचिंतन कर रही है। अपन को क्या?

  4. सुन्दर शिक्षाप्रद कहानी के लिये आभार

    वैसे देखा जाये तो कुछ कचरा पुस्तकों की बातों को कुछ लोग अपने ही धर्मग्रंथों के ज्ञान से बडा साबित करने पर तुले हैं जी

    प्रणाम स्वीकार करें

  5. इन अधकचरा ज्ञान रखने वालों ने ही आज हिन्दू धर्म का ये हाल कर दिया है!कमी निकालने की बजाय इतना वक़्त इसे समझने में देते तो बहुत कुछ पा लेते!अनर्गल बातें लिखने और पढने से शायद क्षणिक सुख मिलता होगा,पर इससे धर्म का कितना नुकसान हो रहा है..ये वो नहीं जानते… सुन्दर शिक्षाप्रद कहानी के लिये आभार

  6. आजकल एक फैशन सा हो गया है जिसे देखो वही ज्ञानी बना फिर रहा है | अर्थ का अनर्थ कर रहा है धर्म और धार्मिक ग्रंथो की गलत व्याख्या कर रहा है |

  7. चार अंधे नहीं, छ:अंधे और हाथी।
    यह दृष्टान्त जैन आगमों में उल्लेखित हैं। चित्र में भी छ:अंधों को दर्शाया गया हैं,वस्तुत:यह जैन दर्शन के अनेकांतवाद को समझने के प्रायोजन से दिया गया है,किसी भी सोच के छ: दृष्टिकोण हो सकते है,
    सभी को सम्मलित करने पर ही पूर्ण यथार्थ संभव है।
    आपकी बात के लिए भी सटीक उदाहरण हैं।आपसे सहमत…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,791FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles