गांव के चौपाल पर हथाई (बातें करने वालों की भीड़) जुटी हुई थी इन हथाइयों में गांववासी हर मसले पर अपने हिसाब से चर्चा करते रहते है |राजनीती,विज्ञान,खेतीबाड़ी,मौसम,धर्म,अर्थव्यवस्था और विदेश नीति तक पर बड़े मजेदार और चुटीली भाषा में चर्चाएँ होती सुनी जा सकती है|
इन चर्चाओं में कई मुद्दों पर ताउओं की सीधी साधी व्याख्या और टिप्पणियाँ सुनकर बड़ा मजा आता है|
ऐसी एक हथाई में चौपाल पर गांव के पंडित जी जो काशी पढ़कर आए थे ज्योतिष और भूगोल पर अपना ज्ञान बघारते हुए भूमध्य रेखा आदि के बारे में व्याख्यान दे रहे थे कि बीच में ही एक ताऊनुमा आदमी पूछ बैठा कि धरती का बीच (सेंटर पॉइंट) कहाँ है अब बेचारे पंडितजी क्या जबाब दे उनके किसी भी उत्तर से कोई सहमत नही दिखा और बहस बढती गई किसी ने कहीं बताई तो किसी ने कहीं | आपसी बहस चल ही रही थी कि अपना ताऊ हाथ में लट्ठ लिए आता दिखाई दिया चूँकि गांव में लोग ताऊ को ज्यादा ही ज्ञानी समझते थे और समझे भी क्यों नही, ताऊ के तर्कों के आगे अच्छों अच्छों की बोलती बंद हो जाती है | सो ताऊ के चौपाल पर पहुचते ही लोगों ने प्रश्न किया कि ताऊ धरती का बीच कहाँ है?
ताऊ ठहरा हाजिर जबाब सो अपना लट्ठ वहीं रेत में गाड कर बोला -” ये रहा धरती का बीच” किसी को कोई शक हो तो नाप कर देख लो |
10 Responses to "धरती का बीच – सेंटर पॉइंट"