देवगढ फोर्ट सीकर : सीकर शहर के दक्षिण दिशा में अरावली की ऊँची पहाड़ी पर बना है देवगढ फोर्ट, जो वास्तुकला का नायाब नमूना है | वि. सं 1841 में सन 1784 में सीकर के राजा राव देवीसिंहजी ने यह किला बनवाया था, जो उन्हीं के नाम पर देवगढ फोर्ट के नाम से जाना जाता है | पहाड़ी की तलहटी में देवगढ गांव बसा है | राव देवीसिंहजी मात्र दस वर्ष की उम्र में सीकर की राजगद्दी पर बैठे थे | वह समय “जिसकी लाठी उसकी भैंस” का था | आक्रमण और चढ़ाईयां होती रहती थी | शासकों के सामने नित नये बखेड़े सामने आते रहते थे | देवीसिंहजी वीर साहसी पुरुष थे, उन्होंने शेखावाटी के कई युद्धों में भाग लिया और वीरता प्रदर्शित की | खाटू में मुग़ल सेना के खिलाफ देवीसिंहजी ने सेना का नेतृत्व किया | इस युद्ध में मुग़ल सेना मुर्ताज खां के ने नेतृत्व में आई थी |
अलवर के राजा राव प्रतापसिंहजी से देवीसिंहजी की अच्छी मित्रता थी, उन्हीं की सलाह से राव देवीसिंहजी ने यह देवगढ किला बनवाया | यह किला एक तरह से सीकर रियासत की उस समय युद्धकालीन राजधानी थी | सुरक्षा प्रबन्धों और जल संग्रहण तकनीक का नायब नमूना है यह किला |
अरावली पर्वतमाला की पहाड़ी पर तलहटी से किले तक पत्थरों का पक्का खुर्रा बना है जिसे आप पक्की पगडण्डी भी कह सकते हैं | किले के पास पहुँचने पर भी आपको मुख्य द्वार नजर नहीं आयेगा क्योंकि सुरक्षा कारणों से द्वार के आगे दीवार बनाकर उसे छुपाया गया है | किले के मुख्य महलों तक पहुँचने के लिए कुल सात द्वार पार करने पड़ते है, सात सुरक्षा चक्रों से महल सुरक्षित है | हर द्वार में सीढियाँ बनी है और घुमाव दिए गये हैं ताकि दुश्मन सेना सीधी व ज्यादा संख्या में नहीं घुस सके | हर द्वार के पास सुरक्षा प्रहरियों के लिए आवास बने है और दीवारों में बन्दुक से गोली दागने के लिए मोखियाँ बनी है जिससे अपने से पहले द्वार तक पहुंची दुश्मन सेना पर गोलीबारी की जा सकती है |
चूँकि किला सीकर रियासत की अग्रिम सुरक्षा चौकी व युद्धकालीन राजधानी था, अत: इसके निर्माण में सुरक्षा का बहुत ध्यान रखा गया है ताकि आपातकाल में राजपरिवार के सदस्य जब किले में हों तो उन तक पहुँचने के लिए दुश्मन को सात सुरक्षा चक्र पार करने पड़े जो बेहद कठिन था |
किले में वर्षा जल संग्रहण का भी पूरा ध्यान रखा गया है | बड़े बड़े होज बने हैं, जो दो वर्ष तक किले में जल आपूर्ति करने में सक्षम है | किले की छत से दूर दूर तक फैली अरावली पर्वतमाला की सुन्दर छटा देखते ही बनती है | वर्तमान में किला सुनसान पड़ा है | जगह जगह से क्षत विक्षत हो चुका है, जिसकी मुख्य वजह खिड़कियों, दरवाजों के पत्थर व जालियां निकालकर ले जाना है | कई जगह ऐसा भी लगता है कि गड़े धन को निकालने के लालची लोगों ने भी किले में खुदाई कर निर्माण को नुकसान पहुँचाया है |
बेशक देवगढ फोर्ट में महल टूट चुके पर फिर भी किला देखने लायक है | किले में प्रवेश जितना रहस्यमय लगता है, उतना ही किले तक पहुँचने का सफ़र रोमांच पैदा करता है | यदि आप भी देवगढ फोर्ट को देखना चाहते हैं तो सीकर से हर्षनाथ पहाड़ की और जाने वाले सड़क मार्ग से जा सकते है | सीकर से बाहर निकलते ही एक ऊँची पहाड़ी पर आपको किला स्वत: दिखलाई देने लगेगा |