नागौर जिले के डीडवाना के पास एक छोटा सा गांव है थाणु | मारवाड़ रियासत का यह गांव वि.सं. 1850 से पहले खालसा गांव था, यानि यहाँ कोई जागीरदार नहीं था और गांव सीधे जोधपुर राजा के अधीन था | वि.सं. 1850 में स्वरूपसिंह जोधा को यह गांव जागीर में मिला | स्वरूपसिंह इतिहास प्रसिद्ध कल्लाजी रायमलोत के वंशज है | आपको बता दें अकबर के भरे दरबार में मूंछों पर ताव देने और कवि द्वारा कल्पित मरसिया के आधार पर युद्ध करने के लिए कल्ला जी रायमलोत का इतिहास में नाम है |
बीकानेर के राजकुमार पृथ्वीसिंह जिसे साहित्यजगत में पीथल के नाम से जाना जाता है, से कल्लाजी ने अपने मरसिया बनाने का अनुरोध किया कि आप जिस तरह की मेरी मृत्यु का कविता में वर्णन करेंगे मैं वैसे वीरता प्रदर्शन कर मृत्यु का आलंगन करूँगा |
जोधपुर नरेश मालदेव जी के पुत्र रायमलजी को सिवाना की जागीर मिली थी | रायमल जी के पुत्र कल्याणसिंह जी थे, जिन्हें इतिहास में कल्ला राठौड़ के नाम से जाना जाता है | कल्याणसिंह जी नृसिंहदास जी और उनके केसरीसिंह जी हुए | इन्हीं केसरीसिंह जी के नाम से जोधा राठौड़ों की केसरीसिंघोत खांप चली | कल्लाजी के ये वंशज सिवाना से डाबगांव आये, और डाबगांव से हुसनपुरा आये | हुसनपुरा में इसी वंश परम्परा में जन्में स्वरूपसिंहजी को थाणु गांव जागीर में मिला | जो जागीरदारी उन्मूलन कानून बनने तक इनके वंशजों के अधिकार में था और आज भी गांव में ज्यादा आबादी इन्हीं के वंशजों की है |
समय समय पर इस गांव के कई योद्धाओं ने मारवाड़ रियासत के लिए युद्धों में भाग लिया | प्रथम विश्व युद्ध में इस गांव के जतनसिंह जी ने भाग लिया और फ़्रांस में वे शहीद हुए | आपको बता दें जतनसिंहजी इजरायल के हैफा शहर को आजाद कराने वाली जोधपुर लान्सर्स में सेवारत थे और विश्व युद्ध में फ़्रांस में शहीद हुए | गांव में जतनसिंहजी का झंझार जी महाराज के नाम से एक छोटा सा मंदिर बना है जहाँ उन्हें लोकदेवता के रूप में आज भी पूजा जाता है |
वर्तमान में देवीपाल सिंह गांव के युवा सरपंच है, गांव के ही बाघसिंहजी ने “मारवाड़ रियासत की थाणु जागीर के जोधा वंशज” नाम से गांव के इतिहास पर पुस्तक लिखी है | भंवरसिंह राठौड़ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से हाई फेशन गारमेंट एक्सपोर्ट करते हैं | फरीदाबाद में उनकी गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग की उनकी है |
गांव में राजपूत, रावणा राजपूत, मेघवाल, नायक, नाई, कुम्हार, ब्राह्मण, बनिए और कुछ मुस्लिम परिवार भी निवास करते हैं, गांव में जातीय व सामप्रदायिक सौहार्द बहुत अच्छा है सभी जाति धर्म के लोग काम पड़ने पर एक दूसरे के लिए काम आते हैं | गांव में ठाकुर जी, करणी माता, रामदेवजी, बालाजी व कई झुझार व भौमिया जी महाराज के मंदिर व देवालय बने है जो यहाँ के लोगों की धार्मिक आस्था के प्रतीक है |