इसी उद्देश्य से वह राजा रामपुर राज्य पहुँच गया, रामपुर के राजा ने अपने मित्र ताऊ को पडौसी राजा को कोई सबक सिखाने के लिए पहले ही कह दिया था ताकि वो दुबारा उसे कठिन पहेलियाँ भेज कर परेशान ना करें | इसलिए रामपुर नरेश ने पडौसी राजा की आगवानी करने से लेकर उसके सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था का जिम्मा ताऊ को दे दिया था | ताऊ ने भी मन में पडौसी राजा को सबक सिखाने का पक्का निश्चय कर रखा था, ताऊ ने राजा के भोज के लिए बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनवाये थे, उसका स्वागत भी बहुत बढ़िया तरीके से करवाया था शायद वैसा सत्कार तो भारत आये ओबामा को भी नहीं मिला होगा |
अपने जोरदार आदर सत्कार से अभिभूत पडौसी राजा जैसे ही खाने पर पहुंचा ताऊ ने दो बड़ी सी सुखी घिया के खोल जो पाइप सरीखे थे राजा को दिखा कर बोला कि हे राजन ! हमारे यहाँ अतिथि को भोजन कराते समय ये पाइप नुमा सुखी घिया के खोल उसके हाथों में पहना दिए जाते है ये खोल पहनकर ही हम विशिष्ट अतिथि को भोजन कराते है यही हमारे यहाँ की परम्परा है इसलिए आप ये खोल अपने हाथों में पहन कर भोजन करें |
इस आमन्त्रण के बारे में सुनकर महाघाघ ताऊ तो समझा गया था कि पडौसी राजा अपनी बीती का बदला जरुर लेगा, पर ताऊ को भी अपने ताउपने पर पूरा भरोसा था, सो वो नियत समय पर अपने कुछ साथियों (राम प्यारे आदि)व मित्र राजा के सैनिको सहित पडौसी राज्य की राजनैतिक यात्रा पर पहुँच गया | पडौसी राजा ने ताऊ के लिए ठीक उसी तरह का भोजन बनवाया जैसे ताऊ ने उसके लिए रामपुर में व्यवस्था की थी और घिया के खोल के पाइप की जगह राजा ने लोहे के पाइप बनवा रखे थे | भोजन के समय राजा ने ताऊ से कहा कि आपके यहाँ हाथों में पाइप पहन कर खाने का रिवाज है सो मैंने आपके लिए धातु के पाइप बनवा दिए ये पहनकर भोजन का आनन्द लीजिए | और राजा के मंत्रियों ने ताऊ को हाथों में लोहे पाइप पहना दिए जो कंधो से लेकर कलाई तक लम्बे थे | राजा ने ताऊ की यात्रा का समय भी सात दिन का रखा था ये सोचकर कि ताऊ को सात दिन तक भूखा रखूँगा |
पर ताऊ आखिर ताऊ था उसने पाइप हाथों में ख़ुशी-ख़ुशी पहने और भोजन के लिए बैठ गया | जैसे ताऊ के आगे भोजन परोसा गया ताऊ ने राजा से कहा कि हमारे यहाँ परम्परा है हम अकेले भोजन नहीं करते सो आप अपने मंत्री को हमारे साथ खाने के लिए बुलाइए | राजा ने तुरंत अपने मंत्री को बुलवा भेजा, ताऊ ने मंत्री को भी हाथों में पाइप पहनावा दिए और खाने के थाल पर अपने सामने बिठा दिया, ताऊ ने अपने पाइप पहने हाथ से खाना उठाया और मंत्री को खिलाते हुए (पाइप पहनने के बाद हाथ तो मुड़ नहीं सकता था इसलिए ताऊ ने खाने का जुगाड़ लगा लिया) बोला कि हमारे रिवाज के अनुसार आप अपने हाथ से हमें खिलाइए और हम अपने हाथ से आपको खिलाएंगे | और दोनों ने एक दुसरे को खाना खिलाते हुए स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया |
राजा ये सब देखकर हैरान रह गया वह समझ गया ये ताऊ घाघ ही नहीं महाघाघ है और इसके रहते रामपुर के राजा के पास आगे से कोई पहेली भेजने का कोई फायदा नहीं और राजा ने ताऊ के आगे अपनी हार मान ली कि आगे से वह उसके मित्र रामपुर के राजा को कभी पहेलियाँ भेजकर परेशान नहीं करेगा |
9 Responses to "पहेली बूझक राजा को ताऊ ने सिखाया सबक"