माफ कर दे मुझे में तेरे इश्क में शामिल न हो सका .
मै ही अदना रह गया मुझे वो हक़ हासिल न हो सका .
मै ही अदना रह गया मुझे वो हक़ हासिल न हो सका .
उतना प्यासा ना था मै तब, जितने अपने अश्क तूने पिलाये मुझे
आज दरख़्त सा खड़ा मै ,कोई पूछता नहीं मुझे
आज भी तू मेरे आस पास दोड़ती है सिरहन बन के
मेरा रोम रोम तेरे अहसानों से भरा पड़ा है
भुला नहीं हूँ मै वो सवाल ,जो जाने से पहले तेरी अश्को मै थे .
आज भी तन्हाई मे उन्ही के जवाब ढूंढता हूँ .
मेरी तमन्ना ,बन के गुजारिश तेरे दर पे खड़ी है .
तन्हा कर दे मुझे अपनी यादो से
एक बार मेरे आगोश मे आके मेरी पलकों को नम कर दे
केसर क्यारी ….उषा राठौड़
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