39.3 C
Rajasthan
Tuesday, June 6, 2023

Buy now

spot_img

ठाकुर शिवनाथसिंह आसोप : स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा

ठाकुर शिवनाथसिंह आसोप : राजस्थान के राजाओं की अंग्रेजों के साथ संधियाँ थी | इन संधियों के कारणों पर “शेखावाटी प्रदेश का राजनैतिक इतिहास” में लिखा है –“मराठों और पिंडारियों की लूट खसोट से तंग आकर न चाहते हुए भी राजस्थान के राजाओं ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से वि.सं. 1875 में संधियाँ कर ली |(पृष्ठ- 683)” लेकिन इन संधियों के बावजूद राजस्थान के बहुत से ठिकानों के जागीरदार इन संधियों व अंग्रेजी हकुमत के खिलाफ थे | इन्हीं ठिकानों में मारवाड़ रियासत के आसोप ठिकाने के ठाकुर शिवनाथसिंहजी कूंपावत भी महत्त्वपूर्ण थे | मारवाड़ राज्य की अंग्रेजों के साथ संधि थी, बावजूद ठाकुर शिवनाथसिंहजी ने अंग्रेजी हकुमत की सिर्फ खिलाफत ही नहीं की, बल्कि कम्पनी सरकार के खिलाफ युद्ध भी लड़ा |

मारवाड़ में आउवा, गूलर, आसोप, आलनियावास सहित कई ठिकानेदार अंग्रेज विरोधी गतिविधियों में सक्रीय थे | जोधपुर के महाराजा तख्तसिंहजी ने अपने इन ठिकानोंदारों को अंग्रेजों का विरोध ना करने के लिए खूब समझाया, ना मानने वालों की जागीरें जब्त की पर स्वतंत्र्यचेता इन योद्धाओं ने जोधपुर महाराजा की एक ना सुनी | सन 1857 ई. में स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ तो डीसा और एरिनपुरा की छावनी के सैनिकों ने विद्रोह किया | जब ये सैनिक मारवाड़ आये तो आउवा के ठाकुर कुशालसिंह जी ने उनका स्वागत किया व शरण दी | यह खबर सुनकर ठाकुर बिशनसिंह गूलर और ठाकुर अजीतसिंह आलनियावास भी अपनी सेना सहित आउवा विद्रोहियों से आ मिले |

इस विद्रोह को कुचलने के लिए अंग्रेजों के आग्रह पर जोधपुर की सेना ने आउवा को घेर लिया | कैप्टन मेशन भी अपनी सेना सहित आउवा पहुंचा | सूचना मिलते ही ठाकुर शिवनाथसिंह जी आसोप से अपनी सैनिक टुकड़ी लेकर आसोप पहुंचे और अक्समात अंग्रेज सेना पर भयंकर आक्रमण किया | जोधपुर की सेना के प्रमुख व्यक्तियों में ओनाड़सिंह व राजमल लोढा मारे गये | जोधपुर के सेनापति कुशलराज सिंघवी व विजयमल मेहता भाग खड़े हुए | कैप्टन मेशन भी स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं के हाथों मारा गया | इस कार्यवाही से जोधपुर के महाराजा बहुत नाराज हुए और उन्होंने आउवा व आउवा के जिलेदारों की जागीरें जब्त कर दी | कुछ समय बाद आसोप की जागीर भी जब्त की गई | तब ठाकुर शिवनाथसिंहजी आसोप से बड़लू (वर्तमान में भोपालगढ़) चले गये | जोधपुर की सेना ने उन्हें वहां जाकर घेर लिया | युद्ध हुआ, शिवनाथसिंहजी के कई योद्धा मारे गये |

आखिर जोधपुर के सेनापति ने समझा बुझाकर ठाकुर शिवनाथसिंह जी को मना लिया और जोधपुर ले आया | जहाँ उन्हें नजर कैद किया गया | कुछ समय बाद अवसर पाकर शिवनाथसिंहजी जोधपुर किले की कैद से निकल कर मेवाड़ चले गये | मारवाड़ के इन स्वतंत्रताचेता जागीरदारों ने अपनी जागीरें जब्त होने के बाद अंग्रेज विरोधी गतिविधियाँ बढ़ा दी | अंग्रेजों को डर था कि इनकी देखा देखी राजस्थान के अन्य जागीरदार भी विद्रोह करेंगे, क्योंकि वे इन विद्रोहियों का साथ दे रहे थे | अत: शांति स्थापित करने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने एक फौजी अदालत गठित की | उस अदालत ने इन ठिकानेदारों को कैप्टन मेसन की हत्या से बरी कर दिया |

फौजी अदालत द्वारा बरी करने के बाद जोधपुर महाराजा ने भी माफ़ करते हुए इन सभी विद्रोही ठिकानेदारों की जब्त की हुई जागीरें वापस दे दी | इस तरह ठाकुर शिवनाथसिंहजी को भी आसोप की जागीर पुन: मिल गई |

ठाकुर शिवनाथसिंहजी हिंगोली के ठाकुर मुहब्बतसिंहजी के पुत्र थे | आसोप के ठाकुर बख्तावरसिंहजी का निसंतान स्वर्गवास हो गया | अत: उनकी पत्नी माजी फूल कँवर खंगारोतजी ने शिवनाथसिंहजी को गोद लिया | जोधपुर के महाराजा मानसिंह जी ने भी इस गोदनामें को स्वीकार करते हुए शिवनाथसिंहजी को आसोप का जागीरदार माना | उस वक्त शिवनाथसिंहजी की उम्र महज 5-6 वर्ष थी | उनके गोदनामें को चुनौती देने वाले बासणी ठाकुर करणसिंह कूंपावत ने साथीण व नीबाज के ठिकानेदारों का सहयोग लेकर आसोप पर आक्रमण किया पर माजी फूल कँवर खंगारोतजी समझदारी व धीरज से काम लिया | एक तरफ उन्होंने इन आक्रमणकारियों से वार्ता जारी रखी दूसरी ओर आउवा ठाकुर खुशालसिंह जी के पास सन्देश भिजवा दिया | आउवा ठाकुर साहब के साथ कई ठिकानों व जोधपुर की सेना पहुंची तो घेरा डालने वाले भाग खड़े हुए|

ठाकुर शिवनाथसिंह जी की पत्नी झालामंड के ठाकुर गंभीरसिंहजी राणावत की पुत्री चाँद कुंवर जोधपुर की महारानी की भतीजी थी | शिवनाथसिंहजी एक विवाह बिजोलिया के ठाकुर कुँवरसिंह पंवार की पुत्री व दूसरा कनावातों के यहाँ हुआ था | इस तरह शिवनाथसिंहजी ने तीन विवाह किये थे | स्वतंत्रता समर के योद्धा शिवनाथसिंहजी का स्वर्गवास वि.सं. 1929 की पौष शुक्ला 12 को हुआ था | उनकी ठकुरानी राणावतजी ने उनकी स्मृति में एक स्मारक रूपी कलात्मक छतरी का निर्माण कराया था |

स्वतंत्रता संग्राम के इस योद्धा को देश की आजादी के बाद सम्मान तब मिला जब केंद्र में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल सदस्यों का एक दल आसोप पहुंचा और स्मृति स्वरुप ठाकुर शिवनाथसिंह जी का एक चित्र उनके वर्तमान वंशजों को भेंट किया |

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,802FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles