टका वाळी रौ ई खुणखुणियौ बाजसी = टका देने वाली का ही झुनझुना बजेगा |
सन्दर्भ कथा — एक बार ताऊ मेले में जा रहा था | गांव में ताऊ का सभी से बहुत अच्छा परिचय था सो गांव की कुछ औरतों ने अपने अपने बच्चो के लिए ताऊ को मेले से झुनझुने व अन्य खिलौने लाने को कहा और ताऊ सबके लिए खिलोने लाने की हामी भरता गया | इनमे से एक गरीब औरत ने ताऊ को हाथों हाथ ४ आने देकर अपने बच्चे के लिए एक झुनझुना लाने का आग्रह किया | सभी औरते ताऊ का मेले से लौटने का इंतजार करती रही और अपने बच्चो को बहलाती रही कि ताऊ मेले गया है तुम्हारे लिए खिलौने मंगवाए है | आखिर शाम को ताऊ मेले से लौट कर आया तो सभी औरतों और उनके बच्चो ने ताऊ को घेर लिया पर उन्हें आश्चर्य के साथ बड़ा दुःख हुआ कि ताऊ तो सिर्फ एक झुनझुना लाया था उस बच्चे के लिए जिसकी माँ ने पैसे दिए थे | ताऊ ने सभी से मुस्कराकर कहा “मैंने मेले में दुकानदार से सभी के लिए खिलौने मांगे थे पर बिना पैसे खिलौने देना तो दूर कोई बात तक नहीं करता | जिसने पैसे दिए ,उसी का बच्चा झुनझुना बजायेगा |
मानवीय संसार में सर्वत्र धन का बोलबाला है धन के अभाव में न तो बच्चो के लिए झुनझुना आता है और न ही जवान और बुजुर्गों के लिए सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध हो सकते है | धन नहीं तो कुछ भी नहीं |
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