36.6 C
Rajasthan
Saturday, September 30, 2023

Buy now

spot_img

जब सवाई जयसिंहजी ने खाया सीकर का खीचड़ा

जब सवाई जयसिंहजी ने खाया सीकर का खीचड़ा : किसी भी युद्ध में हथियारों की आपूर्ति के साथ सैनिकों के भोजन की आपूर्ति सबसे महत्वपूर्ण होती है | एक स्थानीय कहावत है कि “भूखे भजन नहीं होत गोपाला” | यह कहावत युद्धरत सैनिकों पर भी लागू होती है, भूखे रहकर सैनिक कितने दिन युद्धरत रह सकते हैं| वर्तमान में चूँकि आपूर्ति व भोजन बनाने के आधुनिक साधन प्रचुर मात्रा में है अंत: सेना के लिए अपने सैनिकों हेतु भोजन की आपूर्ति करना कोई विशेष समस्या नहीं, पर प्राचीनकाल में सेना को भोजन व्यवस्था युद्ध के मैदान पर ही करनी पड़ती थी | ऐसे में यदि मौसम प्रतिकूल हो तो भोजन बनाना चुनौती बन जाता था और भोजन आपूर्ति बड़ी समस्या बन जाया करती थी|

ऐसी ही समस्या एक बार जयपुर व जोधपुर की सेना के सामने खड़ी हो गई थी| पंडित झाबरमल शर्मा द्वारा लिखित सीकर के इतिहास के अनुसार संवत 1789 में सवाई जयसिंहजी मालवा के सूबेदार बनाये गए| मराठों ने बादशाही शासन की जड़ हिला दी थी| अतएव उनके मुकाबले का भार सवाई जयसिंहजी को सौंपा गया| महाराजा जयसिंहजी ने मालवा के लिए प्रस्थान किया| धीरे धीरे सवारी चलती थी| मौजाबाद में भी एक पड़ाव डाला गया| वहीं अजमेर से जोधपुर नरेश अभयसिंहजी आ सम्मिलित हुए और शेखावाटी से शार्दूलसिंहजी व राव शिवसिंहजी भी पहुँच गए| सीकर के बख्शी झुथालाल ने लिखा है कि सात दिनों की लगातार वर्षा से लोग भोजन बनाने का सुयोग भी नहीं पा सके और हजारों मनुष्य क्षुधा से व्याकुल हो उठे|

स्थिति देखकर सीकर के राव शिवसिंहजी ने अपने खेमे में कड़ाहा चढ़ाकर खीचड़ा बनवाया| उनका नियम था कि भोजन तैयार होने पर नगारा बजवाते थे| नगारे के शब्दों को सुनकर जो लोग आ जाते, उन्हें भोजन कराने के बाद स्वयं आहार करते थे| राव शिवसिंहजी के नगारे के शब्द सुनकर सवाई जयसिंहजी और अभयसिंहजी के सभी सैनिक पहुँच गए और खीचड़ा खाकर तृप्त हो लौटे| राव शिवसिंहजी ने दोनों नरेशों से भी पधारने की प्रार्थना की| तदनुसार वे भी पधारे और सबने मिलकर भोजन किया| इस पर सवाई जयसिंहजी बड़े प्रभावित हुए और प्रसन्न होकर राव शिवसिंहजी के 100/ रूपये दैनिक रसोवड़ा खर्च (भोजन गृह व्यय) और 600/- रूपये वार्षिक उनके थाल के नियत कर दिए| जो आजादी से पहले तक सीकर रियासत को मिलते रहे|

इस तरह जयपुर व जोधपुर के दोनों नरेशों ने सीकर का खीचड़ा खाया और प्रतिकूल मौसम में सेना के लिए ऐसे स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था देख प्रभावित हुए|

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,875FollowersFollow
21,200SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles