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Friday, June 9, 2023

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जब गैले (मूर्ख) ने दीवान बनते ही ऐसे सुधार दी राज्य की आर्थिक हालात

राजस्थान में मंदबुद्धि, आधे-पागल, मूर्ख, बेवकूफ व्यक्ति को गैला, गैलियो, बावला, बावलो आदि नामों से पुकारा जाता है| सीकर राज्य के दीवान राय परमानन्द कायस्थ को भी उनके बचपन में गैलो, गैलियो नाम से ही पुकारा जाता था, हालाँकि वे ना तो मंदबुद्धि थे, ना पागल| पर ग्रहण में जन्म होने के चलते उन्हें इन गैला समझकर इन्हीं नामों से पुकारा जाता था| परमानन्द के पूर्वज सीकर ठिकाने के बकाया का हिसाब किताब रखते थे| बड़े होने पर परमानन्द ने भी यही कार्य किया| लेकिन सीकर की प्रजा जिस व्यक्ति को मूर्ख समझकर “गैलियो” के नाम से पुकारती थी, वही एक दिन सीकर का प्रधानमंत्री बना और एक झटके में उसने सीकर का खजाना भरवा दिया|

वि.सं. 1923 में सीकर की गद्दी पर राव राजा माधवसिंह जी बैठे, तब उनकी उम्र महज छ: वर्ष थी| माधवसिंह जी राव राजा भैरूंसिंह जी के दत्तक पुत्र थे| उस समय राज्य का प्रशासन खवासवाल मुकंदजी चलाते थे, जो अपनी मनमानी करते थे| समझदार होने पर माधवसिंह जी ने उन्हें हटा दिया और इलाहीबक्स खां को प्रधानमंत्री बनाया, उनका भी व्यवहार ठीक ना था| कहते है कि एक बार सीकर में घोड़ों का व्यापारी आया हुआ था| माधवसिंहजी ने घोड़े खरीदने की इच्छा व्यक्त की तब उन्हें कहा गया कि खजाना खाली है सो कमाओ और घोड़े खरीदो| माधवसिंहजी अपने ही अधिनस्थों के इस जबाब से बड़े व्यथित हुए, पर स्थिति भांपते हुए गैलिये (परमानन्दजी) ने राजा के पास जाकर कहा- “हुकम ! आपको घोड़े मैं दिलवाऊंगा| आप कल सुबह आदेश देना कि मुझे पकड़कर घसीटते हुए दरबार में लाया जाये और मेरे आते ही आप कड़क कर पूछना- बकाया कितना है? जब मैं आपको बकाया की सूचि बताऊँ तब आप उसे वसूलने के सख्त आदेश देना और ना चुकाने वालों के लिए सीधी काठ की सजा सुनना|

दूसरे दिन ऐसा ही किया गया| परमानन्द (गैलियो) को घसीटते हुए दरबार में लाया गया| राव राजा द्वारा पूछने पर गैलिये ने बकाया की सूचि सामने रखदी| जागीरदारों व ठाकुरों से वसूली के सख्त आदेश दिए गए, एक दिन में खजाना रुपयों से भर गया| राव राजा गैलिये की योजना से बड़े प्रभावित व खुश हुए| शाम को ही सीकर शहर में मुनादी करवा दी गई कि आज से गैलिये को राय परमानन्दजी के नाम से पुकारा जायेगा, अगर किसी ने उन्हें गैलियो, गैला आदि नामों से पुकारा तो सजा मिलेगी| राय परमानन्दजी की हाजिर जबाबी, त्वरित निर्णय क्षमता व उनकी राजभक्ति को देखते हुए राव राजा माधवसिंहजी ने उन्हें अपना दीवान बना दिया|

इस तरह सीकर की प्रजा जिस व्यक्ति को मूर्ख समझकर गैलियो नाम से पुकारती थी, वो एक अपनी प्रतिभा के बल पर राज्य का दीवान यानी प्रधानमंत्री बन गया| राज्य का खजाना भरने के लिए राय परमानन्दजी रोचक योजनाएं बनाया करते थे| एक बार खजाना भरने के लिए उन्होंने राव राजा माधवसिंहजी से उलजलूल हरकत करवाई जिसकी रोचक कहानी अगले लेख में लिखी जायेगी|

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