सिक्को की खनखनाहट सी हँसी मेरी …………..
कंधो पर झूलती दो चोटियों सी मस्ती मेरी …….
तार पर गीली चुनर सुखा दी हो किसी ने ,,
उस में से गुजर कर आने वाली ठंडी हवा सी खुशबू मेरी ……
ओस की बूंदों ने जमावड़ा लगाया हो जैसे पंखुड़ियों पर वैसी बातें मेरी
नृत्य करती मोरनी सी चंचलता मेरी ………
कमर पर टिकी करधनी सी अधर में टिकी निगाहे मेरी ……….
पानी में उछलती मछलियों की छपछपाहट सी आहट मेरी …..
ये सब थी मेरी जिंदगी के झोले में ……अब खो गई है …
……….आपने देखा है इन्हें कही ???????????????????????????……..
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