पर जिस गलत चुनावी प्रबंधन की वजह से ये झगड़े हो रहे है उस और न तो किसी का ध्यान जायेगा न कोई उस गलत कृत्य पर अंगुली उठाएगा और ना ही सरकार इस तरह के चुनाव प्रबंध के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी !
सभी चित्र गूगल चित्र खोज से साभार
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ताऊ डाट इन: चेतावनी : इस पोस्ट को कृपया ब्लागर गण ना पढें.
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इतनी गन्दगी अभी हमारे इधर नही है .
"झुग्गिबस्तियों वालों ने शराब का छक कर मजा लिया"…अब तक तो टोपियों को अक़्ल आ जानी चाहिये थी
जनता को दो माल , सब जनता का है ।
एक बार देना है , फिर ५ साल लेना है ।
ये जितने गंदे लोग हैं सब राजनीती में हैं और इनका अंत भी आने वाला है क्योकि वक्त के न्याय से तो कोई बच ही नहीं सकता | बस इंतजार कीजिये …
जो भी है, लेकिन पुलिस-प्रशासन को पहले से सूचना थी और यदि इस पर पहले कार्रवाई की जाती तो आगजनी की नौबत न आती…
इस पोस्ट के लिेए साधुवाद
जब लोकतन्त्र का प्रारम्भ इस प्रकार होता है तो राह कहाँ से होकर जायेगी, पता नहीं ।
आप सही कह रहे है . इस देश में लोकतंत्र के नाम पर यही होता है . हिन्दीकुंज
ऐसा ही होता है।
आईये पढें … अमृत वाणी।
इस गंदी राजनीति का कोइ अंत नहीं है यह तो अब नासूर बन चुकी है इसका दूर दूर तक कोइ समाधान नजर नहीं आता है |
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मेरे ख्याल से हारा दबन्ग उम्मीदवार नहीं, वह जनता है जो दारू पर अपना वोट तय करती आयी है! 🙁