ख्वाहिश
सितारे तोड़ना या चाँद छूना नहीं चाहती…….
सितारे तोड़ना या चाँद छूना नहीं चाहती…….
बस सितारों को निहारने की खवाहिश है ….
पंख फेला कर आसमाँ समेटना कौन नहीं चाहता …….
पर मेरी आसमाँ में सिमट जाने की ख्वाहिश है …… इमारतों का गुबंद बनने का होंसला है ………
पर अब नीव का पत्थर बनने की ख्वाहिश है ……
पता है दुनिया की भीड़ से अलग हू ………
पर अब इस भीड़ में गुम हो जाने की ख्वाहिश है इस जहाँ के अहसान इतने हो गए हम पर ……
अब अहसान फरामोश होने की ख्वाहिश है ……….
पत्थर दिल जोश था हिम्मत थी हम में ….
अब अपने आप से डर जाने की ख्वाहिश है ……..
जिंदगी हँसने का नाम है सब से कहा था ……..
अब अकेले में रोने की ख्वाहिश है ……………….
पंख फेला कर आसमाँ समेटना कौन नहीं चाहता …….
पर मेरी आसमाँ में सिमट जाने की ख्वाहिश है …… इमारतों का गुबंद बनने का होंसला है ………
पर अब नीव का पत्थर बनने की ख्वाहिश है ……
पता है दुनिया की भीड़ से अलग हू ………
पर अब इस भीड़ में गुम हो जाने की ख्वाहिश है इस जहाँ के अहसान इतने हो गए हम पर ……
अब अहसान फरामोश होने की ख्वाहिश है ……….
पत्थर दिल जोश था हिम्मत थी हम में ….
अब अपने आप से डर जाने की ख्वाहिश है ……..
जिंदगी हँसने का नाम है सब से कहा था ……..
अब अकेले में रोने की ख्वाहिश है ……………….
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
bahut achi panktiya hai sa usha ji ko congratulation
…प्रसंशनीय !!!
शानदार पोस्ट
बहुत शानदार पंक्तियों के साथ बढ़िया प्रस्तुति।
रचना खुबसूरत है |
पंख फेला कर आसमाँ समेटना कौन नहीं चाहता …….
पर मेरी आसमाँ में सिमट जाने की ख्वाहिश है …
मैं आसमाँ हूँ या अलग हूँ, छा रहा फिर भी,
समझना क्या मेरा रिश्ता, नहीं है यह तेरे बस का,
बहुत ही शानदार प्रस्तुति
हमने हमेशा से कहा था की आप में कुछ बात है और आज आपने हमें सही साबित कर दिया.कांग्रट्स एंड थेंक यू सो मच.आपकी इस कविता को पड़कर में एक लाइन कहना चाहूँगा "की करना तोह चाहते हैं बहुत कुछ दोस्तों के लिए पर कुछ कर नहीं पते बस हर जनम में आप जैसा प्यारा दोस्त मिले येही ख्वाइश है.तहे दिल से बधाइयाँ
इस नायाब रचना को ज्ञान दर्पण पर लाने का आभार |
aap sab ka bhut bhut aabhar………..}
अच्छी प्रस्तुति है और चित्र जैसे कविता के भावों का पूरक.
बहुत अच्छा चयन ,केसर जी को बधाई,सुन्दर भावपूर्ण कविता के लिए.
एहसानफरामोश होने के अलावा और सभी ख्वाहिशें अच्छी हैं …!
जिंदगी हँसने का नाम है सब से कहा था ……..
अब अकेले में रोने की ख्वाहिश है …………
अच्छे लोग कभी अकेले में रोते है तो स्वयं भगवान उनकी आंशु पोछने आता है ,बहुत ही अच्छी कविता साथ ही सम्बेदना से भरी हुयी …
आपको एक नेक इन्सान ब्रह्मपाल प्रजापति (आजाद पुलिस) को स्वेक्षिक सहायता देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ,आपने ऐसा कर इंसानी सम्बेदनाओं को जिन्दा करने का काम किया है ….
आपकी चर्चा यहाँ भी हुयी है -http://padmsingh.wordpress.com/2010/07/
मन विचलित होता है तो ऐसी सोच उभर आती है….पर एहसानफरामोश वाली मत रखिये
बहुत सुन्दर रचना दीदी,
बहुत सुन्दर दीदी,