मुग़ल सम्राट अकबर को लेकर आज तगड़ा भ्रम फैला है| पुराने इतिहासकारों ने उसे धार्मिक रूप से सहिष्णु व सबको साथ लेकर चलने वाला महान बादशाह लिखा है| यह सच है कि यदि अकबर धार्मिक रूप से सहिष्णु नहीं होता तो राजपूतों राजाओं के साथ उसकी संधियाँ नहीं निभती| पर आजकल भारत में धार्मिक तौर पर एक नया ट्रेंड चला है, दूसरे के धर्म, जाति को कठघरे में खड़ा कर उसका चरित्रहनन करने का| अकबर भी इस नए ट्रेंड का पूरा शिकार है| पहले विदेशी व वामपंथी इतिहासकारों ने उसे भारतियों का मनोबल तोड़ने के लिए जरुरत से ज्यादा महिमामंडित किया तो आज राजनैतिक, धार्मिक रूप से उसका चरित्रहनन किया जा रहा है| लेकिन इस ट्रेंड को चलाने वालों की मानसिकता के विपरीत कुछ और लोग भी है अकबर को लेकर नये ऐतिहासिक तथ्य प्रस्तुत कर रहे है जिन्हें उनके विरोधी सिर्फ नकार तो देते है पर उनके तर्कों का तर्कपूर्ण जबाब नहीं देते|
इस घटनाक्रम की जानकारी अंग्रेजों को लगी इसका उल्लेख रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल में हुआ तो यह बताया गया की सयोख भुवन तो ब्राह्मण छोड़ कर इस्लाम ग्रहण कर चूका था (हालांकि इसका कोई उल्लेख या साक्ष्य नहीं मिलता) इसलिए उसने ऐसा लिखा| अल्लाहोपनिषद को अकबर के भांजे की रचना बताई गयी और विष्णु अवतार की बात पर concede किया और मान लिया| इस तरह से रॉयल एशियाटिक सोसाइटी में भी मामले का पटापेक्ष हो गया|”
डा. कैलाश सारण ने अपने फेसबुक स्टेटस पर ASI रिपोर्ट का सन्दर्भ देते हुए एक बार लिखा- “गुजरात के भाद्भुत गाँव में जो भरूच जिले में स्थित है जहाँ ईस्वी सोलह सौ में अकबर द्वारा लिखा हुआ एक शिलालेख मिलता है जिसमे अकबर के द्वारा भार्भुतेश्वर मंदिर का निर्माण पूरा कर ब्राह्मणों को दान देने का उल्लेख है और बदले में ब्राह्मणों ने अकबर को पितामह की उपाधि से नवाज़ा था |” डा. सारण द्वारा लिखित यह तथ्य यदि यह सही है साफ़ है कि अकबर धार्मिक रूप से सहिष्णु था|
”जिस तरह से वेदों में ब्रह्म की व्याख्या जगत से परे और अपरिवर्तनशील की है, उसी तरह पृथ्वी के महान शासक अकबर ने गायों और ब्राह्मणों की सुरक्षा करने के लिए जन्म लिया है. उसके धर्मपरायण नाम को शास्त्रों के सागर में हर स्थान पर लिया जाता है. इनमें स्मृति और इतिहास आदि शामिल हैं. यह तीनों लोकों में ज्ञात है. इसीलिए उनके नाम के साथ इस कृति का निर्माण किया गया है. गायों की रक्षा हेतु भगवान विष्णु एक विदेशी परिवार में अकबर के रूप में अवतीर्ण हुए. ऐसे परिवार में, जो कि गायों और ब्राह्मणों को नुकसान पहुंचाना पसंद करते थे, जन्म लेने के बावजूद अकबर गायों और ब्राह्मणों के रक्षक बने क्योंकि वह स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं.”
डा. सारण, मनोज अभिज्ञान के अलावा फेसबुक पर कई और लोग भी है जो इन ऐतिहासिक तथ्यों का समर्थन करते हैं| हो सकता है इन लोगों की विचारधारा ब्राह्मणवाद के खिलाफ होने के कारण ये सब दुष्प्रचार हो, लेकिन डा. सारण व उनके जैसे अन्य कई लोगों की विद्वता व शोध पर संदेह नहीं किया जा सकता| उनके तथ्यों को सिर्फ नकारने से काम नहीं चलने वाला, उनकी काट के लिए या तो सही ऐतिहासिक तथ्य प्रस्तुत किये जाएँ या फिर उनके तथ्यों को सही माना जावे| इस्किन जिम्मेदारी हमारे विद्वान ब्राह्मण मित्रों की है|
नोट : ज्ञान दर्पण अकबर को विष्णु का अवतार घोषित करने वाले तथ्यों की ऐतिहासिकता की पुष्टि नहीं करता, सिर्फ जो तथ्य फेसबुक पर प्रचारित किये जा रहे है वे आपके समक्ष प्रस्तुत कियें है|