पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंतसिंह की टिकट काटने से राजपूत समाज में भाजपा के खिलाफ शुरू हुआ गुस्सा अब चरम सीमा पर पहुँचता जा रहा है। जैसलमेर का चुतरसिंह हत्याकांड, आनंदपाल आदि कई प्रकरणों ने इस गुस्से की आग में घी डालने का काम किया। सोशियल मीडिया की वजह से राजस्थान से शुरू हुआ यह गुस्सा अब देशभर में फैल रहा है। जिसका पता भाजपा हाईकमान को भी है, यही कारण है कि किसी के आगे न झुकने की छवि रखने वाली वसुंधराराजे आजकल राजपूत समाज को मनाने में लगी है. लेकिन राजे के प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे है। राजपूत युवाओं को राजे पर कतई भरोसा नहीं है। चुतरसिंह हत्याकांड, आनन्दपाल एन्काउन्टर व राजपूत आरक्षण के लिए राजस्थान सरकार ने राजपूत नेताओं के साथ जो भी समझौते किये सभी छलावा साबित हुए है। इस छलावे ने भाजपा के सबसे कट्टर व पारम्परिक समर्थक राजपूत जाति को अपने से और ज्यादा दूर कर दिया है।
राजपूत समाज फिल्म उद्योग द्वारा इतिहास के साथ तोड़मरोड़ कर फिल्मों में राजपूत संस्कृति पर की जा रही चोट को लेकर बहुत ज्यादा उद्वेलित है। रानी पद्मावती फिल्म इसका ताजा उदाहरण है। राजस्थान ही नहीं पूरे देश का राजपूत समाज आज रानी पद्मिनी के सम्मान हेतु भंसाली के खिलाफ आंदोलित है। करणी सेना द्वारा भंसाली को पड़े थप्पड़ और विरोध के बाद राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय करणी सेना को लिखित में दिया था कि राजस्थान में राजपूत समाज की सहमति के बिना फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने दिया जायेगा। बावजूद राजस्थान के गृह मंत्री का बयान आया है कि वे फिल्म का विरोधी करने वालों को कानून नहीं तोड़ने देंगे। गृहमंत्री के बयान से साफ जाहिर है कि वे फिल्म प्रदर्शन को सरकारी संरक्षण देंगे। यदि ऐसा हुआ तो राजस्थान के गृहमंत्री का कृत्य भाजपा के खिलाफ राजपूत समाज के गुस्से की आग में घी डालने जैसा होगा। जबकि आवश्यकता है इस मुद्दे पर राजपूत समाज का साथ देकर, उसकी बात मानकर फिल्म पर रोक लगाकर भाजपा अपने नाराज परम्परागत वोट बैंक को मनाने की।
इस वक्त बड़े प्रश्न ये है कि क्या भाजपा रानी पद्मावती फिल्म के बहाने पार्टी से दूर होते जा रहे राजपूत समाज को साध पायेगी या मोदी के जादू के भरोसे बैठी रहेगी? क्या भाजपा भंसाली के खिलाफ राजपूतों के गुस्से का राजनैतिक फायदा उठा पायेगी? क्या गुजरात चुनाव में राजपूतों के गुस्से से होने वाले नुकसान का अंदेशा भाजपा आलाकमान को है या अति-आत्मविश्वास के चलते वे अँधेरे में है?
गुजरात, हिमाचल विधानसभा चुनाव पूर्व भाजपा के लिए रानी पद्मावती फिल्म पर रोक लगाकर राजपूत समाज की नाराजगी कम करने का एक ऐसा सुनहरा अवसर है, जिसका फायदा उठाकर भाजपा नाराज होकर छिटक रहे अपने पारम्परिक वोट बैंक को छिटकने से बचा सकती है।