प्रतिहार क्षत्रिय वंश का इतिहास वृहद व गौरवशाली रहा है| आठवीं शती के मध्य भारतीय राजनीति में व्याप्त शुन्यता भरने में जो राजनैतिक शक्तियां सक्रीय हुई, उनमें प्रतिहार क्षत्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है| गुर्जर देश पर शासन करने के कारण इतिहासकारों ने प्रतिहारों को गुर्जर प्रतिहार लिख कर भ्रम पैदा कर दिया और वर्तमान गुजर जाति के लोगों ने अपना गौरवशाली इतिहास बनाने के चक्कर में इस भ्रम का फायदा उठाते हुए प्रचारित करना शुरू कर दिया कि प्रतिहार क्षत्रिय वंश की उत्पत्ति गुर्जर जाति से हुई है| जबकि प्रतिहार शासकों को गुर्जर देश के शासक होने के चलते इतिहास में गुर्जर नरेश के नाम से संबोधित किया जाता था| इसी संबोधन के कारण आधुनिक शोधकों ने बिना समझे प्रतिहारों को गुर्जर मान लिया. जबकि उनका गुर्जर नरेश का संबोधन देशवाचक है ना कि जातिवाचक| जबकि गुजर जाति के लिए गुर्जर शब्द कबीला वाचक है और ध्वनिसाम्यता पर आधारित है| जिस प्रतिहार राजवंश को इतिहासकार गुर्जर प्रतिहार लिखते है दरअसल वह रघुवंशी क्षत्रिय प्रतिहार है|
चूँकि प्रतिहार शब्द भी जातिसूचक ना होकर पद सूचक है इसी कारण शिलालेखों में ब्राह्मण प्रतिहार , रघुवंशी क्षत्रिय प्रतिहार और गुर्जर (गुजर) प्रतिहारों का उल्लेख मिलता है| पर ये सब अलग अलग जातियां है, उनका गुर्जर जाति से कोई सम्बन्ध नहीं है| गुर्जर एक प्रदेशव्यापी शब्द नाम प्रतीत होता है इस अर्थ में इसका प्रयोग साहित्य एवं अभिलेखों में प्राप्त होता है, उल्लेखनीय है कि बाण के हर्षचरित में प्रभाकरवर्धन को “मालवलतारशु” तथा “गुर्जरप्रजागर” जैसे विशेषण दिए गए है. इन सन्दर्भों में स्पष्टत: लाट, मालव और गुर्जर जैसे शब्दों के प्रयोग देशवाची है ना कि जातिवाची|
गुर्जर शब्द का देशवाची प्रयोग श्वान च्वांग के यात्रा विवरण में भी देखने को मिलता है| ज्यादातर इतिहासकार गुजर जाति की उत्पत्ति विदेशी होने के मत को स्वीकार करते है और हूणों से गुजरों की उत्पत्ति मानते है. श्वान च्वांग कि-यू-चे-लो अर्थात् गुर्जर राज्य और उसकी राजधानी पि-लो-मो-लो (भीनमाल) का उल्लेख करते हुए उसके राजा को क्षत्रिय बतलाया है| यहाँ यह ध्यातव्य है कि श्वान च्यांग के लगभग तीन सौ वर्षों बाद तक हूणों को भारतीय समाज में क्षत्रिय होने का गौरव प्राप्त नहीं हो सका| स्वयं प्रतिहार शासकों के अधीन शासन करने वाले सामंतों ने हूणों का उल्लेख अपने अभिलेखों में विदेशी शत्रुओं के रूप में किया है| अत: प्रतिहार क्षत्रियों को गुर्जर प्रतिहार लिखना का मतलब उनका गुर्जर देश के शासक होना इंगित करता है ना कि गुजर जाति से उत्पन्न होना| प्रतिहार सम्राटों को गुर्जर मानना भ्रान्ति है और इसी भ्रान्ति का फायदा उठाकर गुजर जाति के लोग इन्हें अपना पूर्वज प्रचारित करने में लगे है, जो देश के इतिहास के साथ ही नहीं स्वयं गुजर जाति के इतिहास के साथ भी खिलवाड़ है|
सन्दर्भ :
- राजपूताने का प्राचीन इतिहास; गौरीशंकर हीराचंद ओझा
- गुप्तोत्तर युगीन भारत का राजनीतिक इतिहास, डा. राजवन्त राव, डा. प्रदीप कुमार राव
Pratihar Rajput Rajvansh History in Hindi
Gurjar Pratihar Rajvansh
is Pratihar is gurjar
Historical Fact of Pratihar Gurjar
आजकल क्षत्रिय इतिहास व क्षत्रिय योद्धाओं /महापुरूषो को अन्य जातियाँ अपना बता रहें है,या अपना दावा कर रहें है जों निन्दनीय है,महापुरूषों की कोई जाति नहीं होती उनके महानकार्यों से समस्त जाति /वर्ग लाभान्वित हुये है न की कोई वर्ग विशेष !सिर्फ अपनी जाति का झूठा ठप्पा लगाकर उन्हें महिमामंडित करना ..ये एक ट्रेड सा चल पङा है जो गलत है ।
Thanks for the informative post. May I suggest reading ‘ The glory that was Gurjaradesa’ by K M Munshi. First edition came in 1944.
Aap jara rashtrakut aur palo ke inscription padh lo unhone pratiharo ko apne sabhi shilalekho mein gurjar likha hai… Arab yatriyo ke lekh padho unhone bhi gurjar likha hai….. Kahin bhi rajput shabd hai hi nhi….. Jara rajaour shilalekh padho saaf tor par gurjar likha hai…. Ye toh ho gaye unke gurjar hone ke praman…rajput kounse shilalekh mein likha hai inko…..jara apne rajputo ko ye toh batayo?? Aur aapse kisne bol diya gurjar kshatriya nhi hai zara kisi apne brahman se hi puch lena gurjar kaun hai….ye logo ko kyu pagal bana rahe ho….. Gauri shankar ojha Udaipur state ke history department ka adhaksh tha aur udaipur state rajputo ki hai toh wo bechara kaise apne maliko ki burai karta…. Aur gauri shankar ojha colonel Tod ko apna guru manta tha aur colonel Tod ne aapke baare mein kya kya likha hai zara wo bhi toh apne rajput bhaiyo ko batayo?? Phir colonel Tod ne bhi sahi likha hai tumhare baare mein……. Aur pramaan do ke pratihar rajput thae gurjar nhi……lekh nhi chahiye shilalekh chahiye samjhe…..
गुर्जर जाति एक वीर जाति है. गुर्जरों से शाषित देश ही गुर्जर देश कहला सकता है. असल में गुर्जर का इतिहास छिपाया गया है.
हुकुम आपक बहुत बहुत आभार
प्रतिहार वंश एक शुद्ध राजपूत वंश है। ओर आजकल गुज्जर इनका इतिहास चोरी कर रहे। सभी गुज्जर भाई यूट्यूब पर मेरा वीडियो देख ले ओर उसका उतर दे जो शिलालेख। सेन्नया गया “गुर्जर प्रतिहार वंश गुज्जर नहीं एक शुद्ध राजपूत वंश है। हुकुम एकबार फिर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद सा
1.क्षत्रिय एक वर्ण है, जाति नहीं है ।
2.गुर्जरदेश क्यों बना ? क्या गुजरात व राजस्थान में केवल गुर्जर ही रहते थे? नहीं ।
क्योंकि यहां के शासक गुर्जर थे।उनके हर सबूत में गुर्जर लिखा है।राजपूत एकबार भी नहीं।
3.जरा सोचें –गुर्जर ——-गुर्जर देश ।
राजपूत—–राजपूताना।
क्या राजपूत,राजपूत नहीं थे ? तो कौन थे?
12 वी सदी से पहले राजपूतों की जाति क्या थी ? कौन थे ये?
क्षत्रिय, नहीं क्यों कि क्षत्रिय एक वर्ण है, जाति नहीं है।
हां तो जनाब आप कह रहे थे कि गुर्जर स्थान वाचक शब्द है
पहले तो मैं आपको यह बता दूं कि छत्रिय 1 वर्ण है जाति नहीं है । आपके ही अनुसार गुर्जर देश पर शासन करने के कारण शासक गुर्जर के लाए वैसे ही राजपूताना पर शासन करने के कारण शासक राजपूत कहलाए यह राजपूत नहीं थे और क्या थे।
गुर्जरों के शासनकाल में जो सामंत थे वही राजपूत कहलाए।
इतिहास लिखने का शौक है तो पहले सबूत व साक्ष्य को देखें फिर कोशिश करें
Ye sabhi mahanubhav Jo shilalekh ya dusre praman mang rahe h wo ncert ki history book pad le pata chal jayega…rajputo me Jo parihar vansh aata h wo hi pratihaar h or khastriya ya rajputra ek hi h…rajputra Mahabharata me bhi aaya h .. harshawardhan ne khud ko rajputra kha h ..using ka deshi Roop rajpoot h…Jo log rajputo or khastriyon ko alag batane ki kosish karte h ki rajputo ke purane sangthan ka naam akhil bhartiya khastriya mahasabha h..or Rahi baat unki Jo pratiharo ko apna banana chahte h wo khud to apne aapko charwaha or gumantu sabit karke sbc me reservation le rahe h..gadiya loohar or rebari jatio k sath unki sabse pehli mang this stuff me shamil kro baad me St ne virodh Kiya to sbc ki mang rakh di .. reservation chhaiye to gumantu or social media par khastriya ….dono hato me laddu mat rakho Sach ka samna kro…or baat shilalekho ki to rajputra or khastriya har silalekh me mil jayenge ….rajputra ka apbransh rajput h….jyada dikkat h to andolan kro general me aane k liye