तुम आती हो जाती हो ,
तुम आती हो जाती हो
दिन हो या रात बस
हर पल चलती रहती हो
थक जाती होगी ना ?
आस मे रहती हो की
शायद मै कभी कह दू
तुम्हे की तुम आराम क्यों नहीं कर लेती
मै इतना भी नादाँ नहीं की तुम्हे ये कह दू
हा कह लो मुझे स्वार्थी ,
नहीं कहूँगा तुम्हे रुकने को
तब तक जब तक
मेरी हर ख्वाहिश पूरी ना हो जाती है
अब तुम ही कहो केसे कह दू मै तुम्हे
रुकने को
केसे कह दू की तुम थम जावो
आखिर सांसे हो तुम मेरी
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