कोई अपनी उंगलियों से कंघी कर दे,
फिर देखो लहराऊं मैं कैसे …….
सुखी झाड़ी की जड़ों सी मैं
कोई इनमे कुछ अपने आंसू रो ले ,
फिर देखो खिल आऊं मैं कैसे …….
रीती गागर सी पड़ी मैं ,
कोई मेघ एक बरस जाये
फिर देखो छलक आऊं मैं कैसे ………..
बैठी जिन्दगी के किनारे मैं सिमटी सी ,
कोई अपनी उतरन दे दे फिर देखो निखर आऊं मैं कैसे ……..
बंधी खुशियों की गठरी सी बस कोई एक गांठ खोल दे ,
फिर देखो बिखर आऊं मैं कैसे …………..
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