हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनमें किसी तरह की राजनैतिक योग्यता नहीं होती, बावजूद वे चुनाव जीत जाते हैं, मंत्री, मुख्यमंत्री बन जाते हैं जानते कैसे हैं ? सिर्फ जातिवाद व साम्प्रदायवाद के दम पर | ऐसे नेता अपनी जाति या सम्प्रदाय के लोगों को दूसरी जातियों व धर्म के खिलाफ भड़का कर, दूसरी जाति व धर्म के लोगों का डर दिखा कर लामबंद करते हैं और उनके वोटों के दम पर चुनाव जीत जाते हैं लेकिन इस तरह के कुकृत्य से देश में जातीय साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाता है|
ऐसा ही एक उदाहरण नागौर के एक नेताजी का | ये नेताजी एक जाति विशेष को हमेशा निशाने पर रखते हैं, भीड़ एकत्र कर खुद चले जाते हैं और उनके समर्थकों की भीड़ निर्दोष लोगों के घर जला देती है| कभी ये नेताजी जाति विशेष के महापुरुषों को गालियाँ देते हैं सत्ता में आने पर उनकी प्रतिमाएं हटाने के भाषण देते हैं तो उनके समर्थक उनके खिलाफ लिखने, बोलने वाले न्यूज पोर्टल्स के पत्रकारों को संगठित रूप से गालियाँ निकालते हैं, हमले करते हैं| आज वही वीडियो नेता की चुनावी राह में कांटे बन गए|
लेकिन यही जातिवाद इस लोकसभा चुनाव में नेताजी के गले की फांस बन गया है, क्योंकि जिस जाति विशेष को आजतक गरियाते आये हैं आज चुनाव जीतने के लिए उनके वोट चाहिए| कल तक सोशियल मीडिया में गालियां लिखने वाले उनके समर्थक आजकल जातीय एकता की पोस्ट लिखते नजर आते हैं और हाँ जो निर्भीक पत्रकार उनके पिछले वक्तव्यों को उजागर करता है उसे जातिवादी का तगमा देकर उसपर संगठित हमला करने से भी नहीं चुक रहे हैं|
कुल मिलाकर नेताजी व उनके समर्थकों द्वारा एक जाति विशेष के खिलाफ उगला जहर आज उनके ही गले में अटका है|
इतिहास गवाह है जातिवादी बैसाखी को जिसने अवलंब बनाया वो दूर तक नहीं पहुंच पाए !