39.2 C
Rajasthan
Wednesday, June 7, 2023

Buy now

spot_img

ऐतिहासिक, पौराणिक व चमत्कारी ज्वालामाता शक्तिपीठ जोबनेर

जोबनेर स्थित ज्वालामाता मंदिर राजस्थान की प्राचीन व प्रसिद्ध शक्तिपीठ है| जोबनेर अरावली पर्वतमाला की विशाल पहाड़ी के शिखर की गोद में बसा है और इसी पहाड़ी की ढलान पर पहाड़ के बीचों बीच उसके हृदय स्थल पर ज्वालामाता का भव्य मंदिर बना है| सफ़ेद संगमरमर से बना यह मंदिर दूर से ही सुन्दर व आकर्षक लगता है| मंदिर के कुछ दूर पहाड़ी पर दो प्राचीन किले नजर आते है जो कभी चौहान शासकों ने बनवाये थे| कालांतर में जोबनेर को खंगारोत कछवाहों ने अपने अधीन कर लिया जिस पर आजादी तक उनका शासन रहा| जोबनेर के खंगारोत शासक जयपुर रियासत के ताजिमी ठिकानेदार थे|

इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ के बारे में पौराणिक लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने सती के शव को कंधे पर उठाकर ताण्डव नृत्य किया था, उस समय का सती का शरीर छिन्न भिन्न होकर उसके अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे थे, जो शक्तिपीठ बने| जोबनेर पर्वत पर सती का घुटना गिरा था, जिसे प्रतीक मानकर ज्वालामता या जालपा देवी के नाम से पूजा जाने लगा|

यह मंदिर कब बना यह तो कुछ नहीं कहा जा सकता पर हाँ यह मंदिर पौराणिक महत्त्व के साथ ऐतिहासिक दृष्टि से प्राचीन अवश्य है| इस मंदिर के सभा मंडप के स्तम्भ पर प्रतापी चौहान राजा सिंहराज का सन 965 ई. का एक शिलालेख देखने में आया है| शिलालेख भग्न होने के कारण पूरा पढ़ा तो नहीं जा सकता लेकिन अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें मंदिर के जीर्णोद्धार आदि का उल्लेख हो| आपको बता दें जोबनेर पर चौहान शासन के भग्नावशेष आज भी मौजूद है|

ज्वालामता के इस प्रसिद्ध व चमत्कारी शक्तिपीठ का उल्लेख मध्ययुगीन साहित्य में भी मिलता है, बाँकीदास री ख्यात में जोधपुर के महाराजा गजसिंह के कृपापात्र चारण महेशदास सामोर के भतीजे हेमा द्वारा अपनी भक्ति से ज्वालामाता को प्रसन्न कर वर प्राप्त करने की घटना का उल्लेख है| नवरात्र के समय यहाँ विशाल मेला भरता है, जिसमें दूर दूर से श्रृद्धालु इस चमत्कारी शक्तिपीठ पर दर्शन व पूजा पाठ करने आते है| पहाड़ी पर मंदिर तक आने जाने के लिए अलग अलग पक्के रास्ते बने है, नवरात्र के दौरान दर्शनों के लिए लम्बी लाइन लगती है, सुरक्षा के लिए पुलिस भी तैनात रहती है| कस्बे में मंदिर मार्ग पर प्रसाद आदि की सैंकड़ों दुकाने सजी रहती है|

यदि आप भी अरावली पर्वतमाला की गोद में स्थित इस प्राचीन शक्तिपीठ के दर्शनलाभ लेना चाहते है तो जोबनेर सड़क व रेल मार्ग से पहुँच सकते है| जोबनेर जयपुर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है, जोबनेर जयपुर से रेल यातायात के साथ ही राजमार्ग से भी जुड़ा है| jwala Mata Jobner, Jobner Mata, Jalapa Mata, Jwalamata temple jobner rajasthan

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,803FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles