Home Historical Facts इस वीर ने खिलजी से छीन लिया था सोमनाथ महादेव का ज्योतिर्लिंग

इस वीर ने खिलजी से छीन लिया था सोमनाथ महादेव का ज्योतिर्लिंग

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सोमनाथ महादेव को स्थापित करने वाला कान्हड़देव चौहान

अल्लाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर चढ़ाई की। वहां की बहुत सी जनता को मारा और सोरठ में देव पट्टन में सोमइया (सोमनाथ) महादेव को लूटकर ज्योतिर्लिंग को गीले चमड़े में बाँधा और गाड़ी में डालकर चल पड़ा। गुजरात से वापस लौटते समय खिलजी ने जालोर के गांव सकराणे में डेरा डाला। सकराणा गांव जालोर से 9 कोस की दूरी पर है। जालोर के वीर शासक रावल कान्हड़देव चौहान ने सुना कि खिलजी सोमइया महादेव को बांधकर लाया है। तब उसने कांधल ओलेचा और चार वीर राजपूतों को खिलजी के पास भेजकर कहलाया कि- ‘‘इतने हिन्दू मारे और कैद किये, महादेव को भी बाँध लाये, मेरे गढ़ के नीचे मेरे ही गांव में ठहरे, यह आपने अच्छा नहीं किया। क्या आपने मुझे राजपूत ही नहीं समझा?’’

खिलजी ने कान्हड़देव के सन्देश को महत्त्व नहीं दिया, उल्टा एक उड़ते पक्षी (चील) को तुक्के से मार कर, उस पर तीरों की वर्षा करवाकर, कांधल के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। कांधल ने खिलजी के सामने एक भैंसे को सींगों सहित काटकर अपनी शक्ति प्रदर्शित कर खिलजी को जबाब दिया। कांधल ने खिलजी के डेरे से बाहर आते समय बंधे हुए महादेव के दर्शन किये व प्रण लिया कि- ‘‘जल पिए बिना तो नहीं रह सकते, पर अन्न तो आपको (महादेव) छुड़ाकर ही खायेंगे।’’ महादेव के सामने यह प्रतिज्ञा कर कांधल जालोर गढ़ की तरफ चला। खिलजी के दो विद्रोही मुसलमान उमरा मन्सूशाह (मुहम्मदशाह) और मीरगाभरू जिनके पास 25 हजार का सैन्य बल था, ने जब कान्हड़देव व कांधल की बात सुनी और कांधल को आते देखा तो उससे मिले और खिलजी से बदला लेने की बात की। दोनों पक्षों के मध्य समझौता हुआ। रणनीति बनी और रात में खिलजी के शिविर पर हमला किया गया। इस अचानक हुए हमले में खिलजी किसी तरह जान बचाकर भागा।

कान्हड़देव के राजपूतों ने भागते हुए तुर्कों को खूब मारा। कान्हड़देव ने सोमइया महादेव के ज्योतिर्लिंग को उठाया और लिंग की सम्मान के साथ मकराणे गांव में स्थापना की व वहां बड़ा मंदिर बनवाया। इस तरह इस वीर राजपूत ने उस वक्त के भारत के सबसे शक्तिशाली बादशाह को पीठ दिखाकर भागने के लिए मजबूर कर दिया और हिन्दुओं पर किये अत्याचार और महादेव के अपमान का बदला लेकर दुश्मनी मोल ली।

खिलजी जैसे शक्तिशाली बादशाह से दुश्मनी मोल लेना कोई छोटी बात नहीं थी, पर धर्म रक्षक राजपूत वीर इस बात की कहाँ परवाह करते थे कि कौन कितना शक्तिशाली, बलशाली है।

सन्दर्भ : मुंहणोत नैणसी री ख्यात, ( नोट : चित्र प्रतीकात्मक है)

2 COMMENTS

  1. हमारे गांव सराणा में जो सोमनाथ महादेव का मंदिर है उसके ेेतीहसिक महता की बतावे।अगर आपके पास जानकारी उपलब्ध है तो ओर हा उस समय जालोर पे चौहान राजवंश का शासन था तो हमारे गांव के ऐतिहासिक के बारे में बतावे की उस समय कोनसी राजपूत साख का यहाँ पर शासन था

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