गोगामेड़ी सो कॉल्ड बुद्धिजीवियों के निशाने पर : आजकल समाज का बुद्धिजीवी वर्ग आपराधिक छवि वाले लोगों द्वारा सामाजिक नेतृत्व हथिया लिए जाने काफी दुखी है| इन कथित बुद्धिजीवियों का कहना है कि आपराधिक छवि के लोगों का नेतृत्व चाहे किसी भी जाति वर्ग का हो वह खतरनाक है | एक बुद्धिजीवी ने फेसबुक पर अपना दुःख प्रकट करते हुए या फिर तंज कसते हुए लिखा कि- “मजे की बात यह है कि एससी -एसटी एक्ट के दुरुपयोग की आशंका भी वह सज्जन (?) जता रहे हैं, जो खुद हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार जैसे कई आरोपों में घिरे रहे हैं और जेल यात्राओं के बावजूद बेरोजगारी – बेकारी जैसी समस्याओं से जूझते नौजवानों और समाज का नेतृत्व करने के लिए सज -धज कर तैयार हैं|”
बुद्धिजीवियों के इस तरह के पोस्ट पढ़कर ये तो साफ़ है कि करणी सेनाओं को मिल रहे अपार समर्थन व करणी सेनाओं में आपराधिक छवि वाले लोगों के नेतृत्व से समाज के बुद्धिजीवी काफी विचलित है| ये उनका दुःख भी हो सकता, करणी सेनाओं की कामयाबी को लेकर उनके मन में जलन भी हो सकती है, सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जैसे कम पढ़े लिखे व हत्या के प्रयास, बलात्कार जैसे आरोपों का सामना करने वाले नेताओं के आगे बढ़ने का डर है, ये तो वो ही जाने पर यह सच है कि आज देशभर के क्षत्रिय युवाओं की पहली पसंद करणी सेनाएं ही है| पद्मावत मुद्दे पर विरोध हो, उपचुनावों में भाजपा को सबक सिखाना हो, हाल ही उज्जैन में दो लाख से ज्यादा की भीड़ एकत्र कर शिवराजसिंह को अपनी भाषा बदलने के लिए मजबूर करना हो, ये काम करणी सेनाओं, जय राजपुताना संघ व उन्हीं के सम्पर्क वाले विभिन्न क्षत्रिय संगठनों ने ही किया है| आपको बता दें सुखदेवसिंह गोगामेड़ी पर कई आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं, ऐसे मुकदमें संसद में बैठे कई नेताओं पर चल रहे हैं, हमारा संविधान उसे ही दोषी मानता है जिसका अपराध न्यायलय में साबित हो जाए, बाकी आरोप किसी पर भी, कभी भी, कैसे भी लगाए जा सकते हैं, आरोप लगते ही किसी को आपराधिक पृष्ठभूमि का कहना भी गलत है| सुखदेव गोगामेड़ी पर भी आरोप है, जो अभी तक साबित नहीं हुए|
बेशक ये संगठन और खासकर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी बुद्धिजीवियों के निशाने पर हों पर यह भी एक कड़वा सच है कि आज इन कथित बुद्धिजीवियों, सो कॉल्ड समाजसेवियों, राजनैतिक दलों में उपेक्षित राजपूत नेताओं की पूछ इन्हीं संगठनों के कारण बढ़ी है| अत: कथित बुद्धिजीवी व सो कॉल्ड समाज सेवी गोगामेड़ी व करणी सेनाओं की आलोचना करने के बजाय उनकी वजह से मिल रहे भाव को एन्जॉय करें और हाँ अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उन्होंने आजतक समाज के नाम पर क्या क्या फायदे उठाये, समाजहित में क्या क्या और कितने काम किये, युवाओं का कहाँ कहाँ सहयोग किया ? इन सबका आंकलन करें और आत्म-मंथन करें कि युवा पीढ़ी आप जैसे बुद्धिजीवियों व समाज हितैषियों को छोड़कर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का नेतृत्व क्यों पसंद कर रही है|
आपको जबाब मिल जायेगा कि आपने अपनी बुद्धि, हैसियत का प्रयोग निजी स्वार्थ के लिए किया, समाजहित के कार्य कम व दिखावा ज्यादा किया, युवाओं की समस्याओं की और कभी ध्यान नहीं दिया, ना युवाओं का कभी सहयोग किया, ना आप समाज व युवाओं की आवाज बने| हाँ युवाओं की भावनाओं का दोहन करने में आप आगे रहे, हर चुनाव में समाज के वोटों का सौदा करते रहे, जब भी समाज ने कभी संगठित होने की कोशिश की आपने उसमें अड़चने डाली और अब आपकी चिंताएं, समाजहित में कम गोगामेड़ी जैसे युवाओं के बढ़ते कदम रोकने में व आपकी बौखलाहट ही प्रदर्शित कर रही है|
रतन सिंह जी आपसे इस लेख की उम्मीद नहीं थी।
मैं मानता हूँ कि समाज की युवा पीढ़ी गलत दिशा में जा रही है, पर मैं निष्पक्ष लिखता हूँ क्योंकि समाज का हर बुद्धिजीवी इन्हें निशाना तो बनाता है पर खुद ज्ञान झाड़ने के अलावा कुछ नहीं करता, जो कुछ नहीं कर सकते उन्हें किसी पर अंगुली उठाने का भी अधिकार नहीं|
जिन नेताओं का जिक्र आप कर रहे हो जिन्होंने समाज के हितैसी होने का फायदा उठाया उस मे से एक सुखदेव सिंह भी है। सुखदेव सिंह की करणी सेना का समाज पर दुष्प्रभाव पर कुछ प्रकाश डालना चाहता हूं।
1.करणी सेना से अधिकांश जुड़े युवा समाज के वो युवक है जो कम पढ़े लिखे और बेरोजगार है।
2.इन युवाओं को समाज के नाम पर बरगलाने की पुरजोर कोशिश की जाती है, तोड़फोड़ और प्रदर्शन करवाया जाता हैं।
3.जब आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के कारण इन पे कानूनी कार्यवाही होती है तो करणी सेना अपने को इन से अलग कर लेती है और सारे मुकदमे ये युवक अपने दम पर लड़ने को मजबूर हो जाते है ।
4.जिन परिवारों को अपने बेटों से कुछ करने की आशा होती है वो सब मिट्टी में मिल जाती है और समाज के युवा गलत रास्तों की ओर अग्रसर हो जाते हैं ।
अगर वास्तव में देखा जाए तो करनी सेना समाज के लिए विष का काम कर रही समाज पिछड़ रहा है तो न समाज के तथाकथित ठेकेदारों और संस्थाओं के कारण
मैने आज तक ऐसा कोई संगठन नहीं सुना जो समाज के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की बात करता है और उसके लिए काम करता हैं। समाज के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन उनको कोई मार्गदर्शन करने वाला नहीं मिलता हैं । जो भी समाज के युवा जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम है ,मेरा यह लेख पढ़ रहे है उन से अनुरोध है कि समाज के नाम पर भ्रामकता पैदा करने वाली ऐसी संस्थाओं से दूर रहे और अपने बहेतर भविष्य बनाने का प्रयास करे
महावीर सिंह राठौड़
ठिकाना-लीचाना