39.4 C
Rajasthan
Friday, June 9, 2023

Buy now

spot_img

इन वीरों ने शेखावाटी में ख़त्म किया था मुस्लिम राज्य

शेखावाटी के फतेहपुर, झुंझुनू व आस-पास के इलाके पर कायमखानी मुस्लिम शासकों की कई छोटी-बड़ी नबाबियाँ थी| आपको बता दें कायमखानी मुसलमानों की रगों में चौहानवंशी राजपूती खून दौड़ रहा है, यानी कायमखानी मुसलमान पहले चौहान राजपूत थे, पर उनके पूर्वज करमचंद द्वारा मुस्लिम धर्म स्वीकार कर अपना नाम कायमखान रखने के बाद उसकी संतिति कायमखानी मुसलमान कहलाने लगी| करमचंद वर्तमान में चुरू जिले में ददरेवा के मोटेराव चौहान का पुत्र था| मोटेराव चौहान के चार पुत्र थे, जिनमें तीन मुसलमान बन गए और चौथा जगमाल हिन्दू रहा| कायमखान के वंशजों ने दिल्ली के बादशाहों से मधुर सम्बन्ध रखे और बादशाह की और से कई युद्धों में वीरता प्रदर्शित की|

कायमखान के इन्हीं वंशजों ने फतेहपुर, झुंझुनू आदि के साथ ही कई छोटे छोटे राज्य स्थापित कर लिए| शेखावाटी क्षेत्र में कायमखानी मुस्लिम नबाबों के इस शासनकाल को इतिहास में “नबाबी काल” के नाम से जाना जाता है| कायमखान ने सन 1419 ई. में अपनी मृत्यु होने तक शासन किया| उसके बाद उसके विभिन्न वंशजों ने इस क्षेत्र पर शासन किया| लेकिन शेखावाटी के दो शेखावत वीरों ने सन 1729 ई. तक इस क्षेत्र से मुस्लिम राज्यों को ख़त्म कर केसरिया ध्वज फहरा दिया| ये वीर थे सीकर के राजा शिवसिंहजी व शार्दूलसिंहजी शेखावत| आपको बता दें शार्दूलसिंह झुंझुनू के नबाब के दीवान थे, झुंझुनू का सारा राजकार्य उनकी सम्मति से चलता था| शार्दूलसिंहजी बहुत ही दूरदर्शी व्यक्ति थे, उन्हें फतेहपुर के नबाब द्वारा अपने क्षेत्र के दो ढाढ़ीयों व अपने कुछ स्वजातीय बंधुओं की हत्या का बदला लेना था|

शार्दूलसिंहजी ने अपने भाइयों के साथ ही सीकर के राजा शिवसिंहजी से बातचीत कर क्षेत्र से नबाबी राज्य ख़त्म करने की योजना बनाई| इस योजनानुसार फतेहपुर शिवसिंहजी के अधिकार में तथा झुंझुनू शार्दूलसिंहजी के अधिकार में रहना था| दोनों वीरों ने एक दूसरे का सहयोग करते हुए आखिर क्षेत्र से सभी नबाबों को ख़त्म कर दिया| इसके लिए उन्होंने जयपुर के महाराजा जयसिंह जी का भी समर्थन लिया, ताकि कयामखानियों को दिल्ली से मिलने वाली सहायता रोकी जा सके| यही नहीं युद्ध के लिए धन की व्यवस्था के लिए शिवसिंह जी सीकर को अपने 80 गांव गिरवी भी रखने पड़े थे| फतेहपुर के साथ छोटे-मोटे तीन युद्ध व कई और छोटे मोटे युद्धों के बाद इन दोनों वीरों ने फतेहपुर व झुंझुनू पर अधिकार कर लिया| फतेहपुर सीकर राजा शिवसिंहजी के अधिकार में रहा तथा झुंझुनू पर शार्दूलसिंहजी का राज्य रहा|

History of Shekhawati in Hindi, Raja Shiv Singh of Sikar, Shardul Singh Shekhawat of Jhunjhunu History in HIndi, Kayamkhani History in Hindi

Related Articles

4 COMMENTS

  1. आप सीकर से हैं और सीकर में ढाका गोत्र जाटों का है और संख्या भी बहुत बताते हैं और पृथ्वीराज रासो में एक छंद है “ढाका लाकड़ा सायर सा, नर बारे नल वंश” ढाका ओर लाकड़ा दो भाई थे ये दोनों गोत्र हरियाणा में बहुत से गाँवों में एक साथ रहते हैं और आपस में विवाह संबंध भी नहीं करते क्योंकि भाई मानते हैं l इस छंद में उनको नल वंश से बताया गया है जो दक्षिण कोशल में नल वंश का शासन रहा है पाण्डु वंश से पहले, लेकिन दूसरा तथ्य कुछ दिन पूर्व मैंने सतना मध्य प्रदेश में स्थित ढाका राजपूत बताते हैं और Virudhaka (As per buddhist Pali language. But in sanskrit his name was Kshudrak, both are available on google in Present) son of kanshi koshal King Prasenajit से उत्पत्ति बताते हैं जो श्री राम के 149 पीढ़ी है महाराजा सोमित्र 154 वी पीढ़ी से थे हाँ नंद वंश से युद्ध में हारने के बाद ये बिखर गए थे.
    धन्यवाद.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,803FollowersFollow
20,900SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles