मारवाड़ का आसोप ठिकाना अनेक वीरों की जन्मस्थली व कर्मस्थली रहा है, तो संतों की तपोभूमि भी रहा है | आसोप में प्राचीनकाल से चार तालाब बने और चारों ही किसी संत या देवता से जुड़े है | आसोप का प्रमुख नौसर तालाब तो संतों व वीरों का संगम स्थल है | तालाब के किनारे अनेकों योद्धाओं की स्मारक रूपी कलात्मक छतरियां बनी है वहीं तालाब के किनारे बने गोपालजी के मंदिर प्रांगण में संतों की समाधियाँ बनी है | मंदिर प्रांगण में ही सफ़ेद रंग से पुती एक संत की बड़ी छतरी भी बनी है तो तालाब किनारे आसोप के ठाकुर राजसिंहजी, जिन्होंने जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंहजी के प्राण बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था, की विशाल छतरी बनी है | राजसिंह जी की छतरी के नीचे एक कक्ष भी बना है जिसमें कभी एक संत ने वर्षों जप किया था |
रियासत काल में बने गोपालजी के इस मंदिर में भगवान की कृष्ण की प्रतिमा लगी है, चार चौक वाला यह मंदिर वास्तुकला का अच्छा नमूना है | मंदिर में भगवान गोपालजी के लिए एक पालकी भी रखी है | मंदिर के बाहर एक चार दिवारी में अनेक संतों की समाधियों बनी है | मंदिर से तालाब में उतरने के लिए पक्की सीढियाँ बनी है | यह तालाब आसोप के ग्रामीणों का प्रमुख पेयजल स्रोत है आज भी ग्रामीण इस तालाब का पानी पीने के काम में लेते हैं | इस तालाब के बारे में कहा जाता है कि यह सदियों से इसी तरह भरा रहता है आजतक कभी सुखा नहीं |
आस पास के क्षेत्रों में कभी वर्षा की कमी से पेयजल की कमी हुई है तो दूर दूर से लोग यहाँ पानी भरने आते रहे हैं | तालाब के चारों और योद्धाओं के स्मारक और संतों की समाधियों व सुबह शाम ग्रामीणों द्वारा पानी ले जाने के दृश्य हर किसी का मन मोह लेते हैं | गोपालजी का यह मंदिर जिसे ठाकुरजी का मंदिर भी कह दिया जाता है आसोप के कूंपावत राठौड़ों का एक तरह से गुरुद्वारा है | आसोप के कूंपावत राठौड़ के लिए इसका कितना महत्त्व है यह हमें बताया आसोप निवासी जूने जागीरदार परिवार के हुकमसिंह कूंपावत ने, जो हमारे चैनल ज्ञान दर्पण पर वीडियो के इस लिंक पर क्लिक कर आप सुन सकते है |
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