31.2 C
Rajasthan
Tuesday, May 30, 2023

Buy now

spot_img

आपकी आँखों के सामने यूँ बदला जा रहा है मेवाड़ राजवंश का वर्तमान इतिहास

सोशियल मीडिया पर अक्सर हम वामपंथियों व सेकुलर गैंग द्वारा इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर गुस्सा जाहिर करते हैं | जोधा-अकबर व पद्मावत फिल्म में भी इतिहास के साथ छेड़छाड़ पर क्षत्रिय समाज में बड़े आन्दोलन किये | पद्मावत फिल्म प्रकरण में तो पुरे देश के क्षत्रिय आंदोलित थे | पर क्या आपको पता है कि हमारे अपने खुद को स्थापित करने के लिए अपना ही इतिहास बदलने में लगे हैं | जी हाँ ! मैं बात कर रहा हूँ मेवाड़ राजवंश के वर्तमान इतिहास में गलत तथ्य शामिल करने के कुकृत्य की | और ये कुकृत्य कोई दूसरा नहीं कर रहा बल्कि पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के एक सदस्य खुद करवा रहे हैं |

मेवाड़ के महाराणा भगवतसिंह जी के दो पुत्र है बड़े महेंद्रसिंह जी व छोटे अरविन्दसिंह जी | राजपूत परम्परा के अनुसार मेवाड़ की गद्दी पर आज महाराणा महेंद्रसिंहजी विराजे हैं | मेवाड़ ही नहीं पूरा देश व मेवाड़ के सभी पूर्व सामंत व जागीरदार मेवाड़ की गद्दी पर महाराणा भगवतसिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र महेंद्रसिंहजी को महाराणा मानते हैं हालाँकि सरकारी कानून में आज महाराणा, महाराजा आदि पदवियां समाप्त की जा चुकी है, पर भारत परम्पराओं का देश है और यहाँ की जनता परम्परा के आधार पर महेंद्रसिंहजी को मेवाड़ का महाराणा मानती है, पारम्परिक रीति-रिवाजों के अनुसार मेवाड़ की गद्दी पर राजतिलक भी महेंद्रसिंहजी का हुआ था |

लेकिन मेवाड़ के पूर्व राजघराने के महल व अन्य संपत्तियों पर न्यायालय में मुकदमा लंबित है पर इस विवादित सम्पत्ति पर भगवतसिंहजी के कनिष्ट पुत्र अरविन्दसिंहजी का अधिकार है और जिस तरह से उनकी संस्था द्वारा प्रकाशित एक कलैंडर नाम वाली पुस्तिका की वंशावली में जो तथ्य दर्ज किये हैं उन्हें पढने के बाद लगता है कि अरविन्दसिंह अपने आपको इतिहास में मेवाड़ का महाराणा दर्ज करवाना चाहते हैं | मतलब विवादित सम्पत्ति पर कब्जे के बाद महाराणा पदवी पर भी कब्ज़ा करना चाहते हैं जो मेवाड़ की जनता व पूर्व ठिकानों ने उन्हें नहीं दिया | महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन्स ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित “The Palace Calendars 1987 – 2018” नामक पुस्तक में मेवाड़ राजघराने की आदित्य नारायण (अव्य) से लेकर आज तक वंशावली प्रकाशित की गई है, जिसमें महाराणा भगवतसिंह जी के बाद सीधे अरविन्दसिंह और उनके बाद उनके पुत्र लक्ष्यराजसिंह का नाम दर्ज किया गया है |

मतलब इस वंशावली में वर्तमान महाराणा महेंद्रसिंहजी का नाम तक हटा दिया गया है | और हाँ फूट नोट में लिखा है – महाराजकुमार महेंद्रसिंह (ज्येष्ठ पुत्र) उपचारत: और स्वेच्छया महाराणा भगवतसिंह जी मेवाड़ के परिवार की सदस्यता से वियुक्त हुए | इस पाद टिप्पणी में एक और चालाकी की गई है कि यह पाद टिप्पणी आभार सहित सहदेवसिंह वाला, डा.ओंकारसिंह राठौड़ व नरेंद्र मिश्र के हवाले से लिखी गई है| मतलब इन व्यक्तियों के नाम से परिवार की सदस्यता छोड़ने की पुष्टि करवाई गई है | पूर्व राजघराने की सम्पत्ति को लेकर दोनों भाइयों के मध्य मामला न्यायालय में चल रहा है उसका निर्णय तो न्यायालय करेगा पर महाराणा की पदवी मेवाड़ की जनता, मेवाड़ के पूर्व ठिकानेदार व राजपूती परम्पराएं तय करती हैं जो महेंद्रसिंह जी के पास है | उक्त पुस्तक की वंशावली से उनका नाम हटाना यह साजिस समझने के लिए काफी है कि अरविन्दसिंह इतिहास में इस पद पर अपना नाम दर्ज करवाना चाहते हैं |

हम सोशियल मीडिया पर इतिहास चुराने व बिगाड़ने पर आक्रोश व्यक्त करते हैं, दूसरों से बहस करते हैं पर हमारी आँखों के सामने मेवाड़ के वर्तमान पर गलत तथ्य दर्ज किये जा रहे हैं जो आने वाला इतिहास बनेगा | आपको एक बात और बता दूँ- हर शोधार्थी अपनी पुस्तक में लिखे तथ्यों का संदर्भ देता है, कल के इतिहास शोध लेखक भी इन्हीं गलत तथ्यों को इसी पुस्तक का सन्दर्भ देते हुए लिखेंगे तब आप चीखते रहना कि भगवतसिंह जी के बाद महाराणा महेंद्रसिंहजी थे |

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,791FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles