”माम” अपनी तो ”डैड” अपनी ”मायावी” दुनिया में मस्त हैं ..!
”संताने” अपने अपने महंगे गैजेट्स में अस्त-व्यस्त हैं …!!
उनको नहीं मतलब संताने क्या गुल खिला रही हैं ..!
किस से कर रही हैं डेटिंग और किसे घर बुला रही हैं..!!
दादा-दादी तो अब ऐसे कम ही घरों में नजर आते हैं..!
आते भी हैं तो ये सब देख देख कोने में पड़े कराहते हैं ..!!
”डैड” बस माया देकर अपना कर्तव्य की इतिश्री समझते हैं..!
मस्ती में अपनी खलल ना पड़े इसलिए नाजायज मांगे भी पुरी करते हैं ..!!
”माम” की तो पूछो ही मत उसकी हर रोज ”किटी” होती है ..!
किसी भी वक्त इनको देखो कई किलो मेकअप में ”लिपटी” होती है…!!
ऐसे परिवारों के बच्चे ”कूल ड्यूड” और ”हॉट बेबज” होते हैं..!
उनकी उलटी कारस्तानियाँ देख देख के बड़े बुजुर्ग रोते हैं ..!!
अगर देना चाहते हो अपनी संतान को अच्छे और ऊँचे संस्कार..!
”अमित” की मानो और बदलो पहले अपना आचार-विचार और व्यवहार..!!
साथ बिठा के संतानों को दिखाइये अपने देश के महान लोगों के उच्च विचार..!!!
लेखक :-
”भड़ास-रस” © कुंवर अमित सिंह
आज के समय को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना। धन्यवाद।।
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ज्ञान – तथ्य ( भाग – 1 )
धन्यवाद
बहुत सटीक व्यंग रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
घणी घणी राम-राम ताऊ को
सही है . . . 🙂
समय बदल रहा है, पर अपनी पहचान बचाये रखें हम सब।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल – शुक्रवार – 04/10/2013 को
कण कण में बसी है माँ
– हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः29 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर …. Darshan jangra
बहुत बढ़िया,सुंदर सटीक रचना !
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