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Friday, September 22, 2023

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“अथ रक्षाम” मासिक पत्रिका : समीक्षा

फरवरी माह में मुंबई के लिए जयपुर से रेलगाड़ी पकड़नी थी सो सुबह सुबह ही जयपुर पहुँच गए समय काफी था सो समय का सदुपयोग करने के लिए “अथ रक्षाम” मासिक पत्रिका के संपादक करण सिंह को मिलने के लिए फोन पर सुचना दी तो वे थोड़ी ही देर में मिलने पहुँच गये यह उनके साथ पहली प्रत्यक्ष मुलाकात थी उससे पहले इन्टरनेट व फोन के माध्यम से ही सम्पर्क था| संपादक महोदय ने आते ही हमें अपनी पत्रिका की एक प्रति भेंट की व साथ ही अनुरोध किया कि पढने के बाद पत्रिका को पाठकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने के लिए अपने सुझाव जरुर दें|

हमें भी रेलयात्रा में समय गुजारने के लिए एक अच्छा साधन मिल गया| सबसे पहले हमने पत्रिका का सम्पादकीय पढ़ा जो जयपुर में उस वक्त हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर को आधार बनाकर लिखा गया था| सम्पादकीय में कांग्रेस के चिंतन शिविर का शानदार व सटीक विश्लेषण करते हुए संपादक ने शिंदे के हिन्दू आतंकवाद पर बयान से भाजपा में नए प्राण के संचार पर जो प्रकाश डाला उसने बहुत प्रभावित किया| यही नहीं उसी समय भाजपा द्वारा अपने अध्यक्ष पद पर राजनाथ सिंह की ताजपोशी व कांग्रेस में राहुल के पार्टी उपाध्यक्ष बनने की परिस्थितियों व आने वाले समय पर दोनों दलों की कार्यप्रणाली व राजनैतिक चुनौतियों का भी विश्लेषण अच्छा लगा|

राजनैतिक विषयों के साथ ही डीजल की कीमत बढ़ोतरी, मंहगाई, एफडीआई के दूरगामी परिणामों पर लिखे लेख पढने के बाद लगा जन-कल्याण के लिए आवाज उठा पत्रिका जनहित से जुड़े सरोकारों के लिए प्रतिबध जो किसी भी पत्र-पत्रिका के लिए जरुरी है| साथ ही दलबदल पर लिखा लेख “कभी इधर कभी उधर” भी अच्छा लगा| पत्रिका में कहानियों के साथ स्वास्थ्य के लिए घरेलु नुस्खे, महिलाओं के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए रसोई टिप्स, धर्म परायण पाठकों के लिए सांगलिया धुनी के पीठाधीश्वर के अमृत वचन व भजन के साथ “पत्रिकाओं में “प्रकाशित होने के नुस्खे” वाला व्यंग्य लेख शानदार लगा|

अच्छी गुणवत्ता के पेपर पर छपी इस रंगीन चित्रों वाली मासिक पत्रिका का वार्षिक शुल्क 500 रु. भी आम पाठकों की पहुँच के करीब लगा| हाँ पत्रिका में सलाह देने के लिए एक कमी जरुर नजर आई कि- लेखों पर लेखकों के नाम नहीं थे आखिर पाठक को यह तो पता चलना ही चाहिए कि वह जो लेख पढ़ रहा है वह किसका लिखा है| इस सम्बन्ध में फोन वार्ता में संपादक यह गलती स्वीकार भी की व आगे के अंकों में इसे सुधारने का निश्चय कर वादा भी किया|

यदि आप भी इस पत्रिका को मंगवाने या अपनी रचनाएँ प्रकाशित करने के लिए भेजने के इच्छुक है तो निम्न पते पर संपादक से सम्पर्क कर सकते है : संपादक – करण सिंह, 412-14 चौथी मंजिल, एवरशाइन टावर, आम्रपाली सर्किल, वैशाली नगर, जयपुर फोन : 0141- 4045001 ईमेल : atharaksham@yahoo.in

मुझे पत्रिका के इस अंक में छपे लेखों में “प्रकाशित होने के नुस्खे” व्यंग्य लेख पढने में मजा तो आया ही साथ ही अपने लेख छपवाने के लिए नुस्खे जान ज्ञानवर्धन भी हुआ इसलिए आपके पढने हेतु यहाँ पर उसकी पीडीऍफ़ फाइल सलंग्न कर रहा हूँ आशा है आपको भी यह लेख पसंद आयेगा|

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