पुस्तक समीक्षा : जयचंद्र गद्दार नहीं परमदेशभक्त बौद्ध था

Gyan Darpan
0
Book Review : Jaichandra Gaddar Nahi Param Deshbhakt Baudh Tha.

15 जनवरी 2017 को दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित पुस्तक मेले में सम्यक प्रकाशन दिल्ली ने बौद्धाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध द्वारा लिखित पुस्तक "जयचंद्र गद्दार नहीं परमदेशभक्त बौद्ध था" का विमोचन किया गया| शांति स्वरूप बौद्ध 21 वर्ष केंद्र सरकार के राजपत्रित पद पर कार्य करने के बाद बौद्ध धर्म के इतिहास, सांस्कृतिक, कलात्मक और साहित्यिक-सामाजिक क्रांति हेतु समर्पित है| कन्नौज नरेश महाराज जयचंद पर अपनी पुस्तक में शांति स्वरूप बौद्ध लिखते है कि 2002 दिल्ली पुस्तक मेला में सम्यक प्रकाशन की स्टाल पर उनकी मुलाकात इतिहासकार डा. श्रीभगवानसिंह से हुई| डा. सिंह ने इतिहास पर चर्चा करते हुए उन्हें बताया कि "जयचंद गद्दार नहीं थे, संयोगिता प्रकरण भी भाण्ड-कवियों द्वारा रचित झूठ है| मैं जो कुछ बता रहूँ उसके सूत्र आपको विशुद्धानंद पाठक कृत "उत्तर भारत का राजनीतिक इतिहास" नामक पुस्तक में मिलेंगे|" शांति स्वरूप बौद्ध अपने लेखकीय में लिखते है कि "डा. सिंह की बात सुनकर हमारी तो मानो नींद ही हराम हो गई|" और शांति स्वरूप बौद्ध महाराज जयचंद पर पुस्तक लिखने हेतु शोध में जुट गये|

इस दिशा में लेखक ने कन्नौज का इतिहास, महाराज जयचंद की सत्य कहानी उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रकाशित और आनन्द स्वरूप मिश्र द्वारा लिखित, डा. धर्मरक्षित द्वारा लिखित पुस्तक सारनाथ का संक्षिप्त इतिहास, लामा तारानाथ की भारत में बौध धर्म का इतिहास, राहुल सांकृत्यायन की पुरातन निबंधावली तथा बौद्ध संस्कृति, डा. मोतीचंद की "काशी का इतिहास" पुस्तक, सारनाथ का इतिहास व उपलब्ध लेखों के अध्ययन के साथ इन्टरनेट भी महाराज जयचंद के बारे में पड़ताल की| इन्टरनेट पर लेखक को ज्ञान दर्पण.कॉम पर महाराज जयचंद के बारे में पहले से मौजूद लेख मिले जिनमें भी पुख्ता ऐतिहासिक तथ्यों के साथ महाराज जयचंद द्वारा देश के साथ किसी गद्दारी का खण्डन था|

पुस्तक में ज्ञान दर्पण.कॉम, जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार डा. आनंद शर्मा द्वारा जयचंद पर शोध के बाद अपनी पुस्तक "अमृत पुत्र" की भूमिका में उन्हें धर्मपरायण और देशभक्त राजा स्वीकारने के साथ कन्नौज का इतिहास, महाराज जयचंद की सत्य कहानी उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रकाशित और आनन्द स्वरूप मिश्र द्वारा लिखित, डा. धर्मरक्षित द्वारा लिखित पुस्तक सारनाथ का संक्षिप्त इतिहास, लामा तारानाथ की भारत में बौध धर्म का इतिहास, राहुल सांकृत्यायन की पुरातन निबंधावली तथा बौद्ध संस्कृति, डा. मोतीचंद की "काशी का इतिहास" पुस्तक, सारनाथ का इतिहास आदि पुस्तकों के सन्दर्भ देते हुए अपनी पुस्तक में साफ़ किया है कि महाराज जयचंद गद्दार नहीं देशभक्त राजा थे|

पुस्तक में महाराज जयचंद के जन्म, बाल्यकाल, शिक्षा-दीक्षा, रण कौशल, राज्याभिषेक, विवाह, विभिन्न विजय अभियानों, सांस्कृतिक कार्यों, सभी धर्मों के प्रति उनकी धार्मिक सहिष्णुता व उनके जीवन कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी समेटी गई|
पुस्तक में जहाँ महाराज जयचंद को गद्दार ठहराने के दुष्प्रचार का पुरजोर खण्डन कर उनके देशभक्त व धर्मपरायण राजा के पक्ष में ऐतिहासिक सबूत किये गए है वहीं लेखक ने विभिन्न बौद्ध लेखकों के सन्दर्भ देते हुए महाराज जयचंद्र को बौद्ध धर्मावलम्बी ठहराया गया है| उसके लिए लेखक ने डा. धर्मरक्षित द्वारा लिखित पुस्तक सारनाथ का संक्षिप्त इतिहास, लामा तारानाथ की भारत में बौध धर्म का इतिहास, राहुल सांकृत्यायन की पुरातन निबंधावली तथा बौद्ध संस्कृति, डा. मोतीचंद की "काशी का इतिहास" पुस्तक, सारनाथ का इतिहास आदि पुस्तकों के सन्दर्भ दिए है|

पुस्तक के बारे में संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि लेखक ने ज्ञान दर्पण.कॉम पर महाराज जयचंद के गद्दार खण्डन के समर्थन में ऐतिहासिक तथ्य उपलब्ध करवाकर उसकी पुष्टि की है| साथ ही पुस्तक पढने के बाद लेखक का सन्देश साफ़ हो जाता है कि महाराज जयचंद द्वारा बौद्ध धर्म को संरक्षण देने के चलते द्वेष भावना से ओतप्रोत होकर पंडावादी तत्वों द्वारा राक्षसराज तक उपाधि देकर उन्हें देश का गद्दार प्रचारित कर दिया गया| लेखक ने महाराज जयचंद को बौद्ध धर्म का अनुयायी बताया है और उसके पक्ष में उपरोक्त कई पुस्तकों के संदर्भ दिए है| महाराज जयचंद ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था या नहीं यह शोध का विषय है, पर हाँ यह सच है कि महाराज जयचंद धार्मिक रूप से सहिष्णु थे और उन्होंने अपने राज्य में सभी धर्मों का आदर किया और उनका संरक्षण भी किया| इतिहास के जानकारों के अनुसार महाराज जयचंद की दादी कुमार देवी बौद्ध धर्म की विदुषी थी, सो हो सकता है महाराज जयचंद पर बौद्ध धर्म का असर हो और उन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया हो, पर उनके द्वारा पूर्णरूप से बौद्ध धर्म स्वीकार लिया गया था या नहीं, इसके लिए बौद्ध लेखकों के प्राचीन संदर्भों के साथ गहन शोध की आवश्यकता है|

उक्त पुस्तक सम्यक प्रकाशन के निम्न पते से मंगवाई जा सकती है| 32/3 Club Road Paschim Puri Near Madipur Metro Station on Green Line New Delhi, Pin : 110063
Contact No. : +91-9810249452 , +91-9818390161
Email Id : hellosamyak1965@gmail.com
Website : www.samyakprakashan.in


Book on Maharaj Jaichand of Kannauj in Hindi, by Shanti Swrup Bauddh, Samyak Prakashan Delhi, Ture History of Maharaj jaichandra of Kannauj in Hindi

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)