राजस्थान के जन मानस में लोक देवताओं का बहुत महत्त्व है| इन लोक देवताओं के प्रति जन मानस में अटूट विश्वास का ही कमाल है कि इन लोक देवताओं के स्थान पर विभिन्न जातियों, वर्गों, सम्प्रदायों के लोग बिना किसी भेदभाव, छुआछुत के एक साथ एकत्र होकर अनेकता के एकता प्रदर्शित कर जातीय व साम्प्रदायिक सौहार्द का सन्देश देते है|
राजस्थान के विभिन्न लोक देवताओं में हरभु जी (हड़बू जी) सांखला का नाम विशेष रूप से प्रसिद्ध है| हरभु जी सांखला जो योगी सिद्ध पुरुष थे, की गिनती पंचपीरों में की जाती है| सिद्ध योगी पुरुष हरभु जी सांखला के प्रति राजस्थान के जन मानस में अटूट विश्वास रहा है और वर्तमान में भी हरभु जी को मानने, उनके लिए मन में श्रद्धा भाव रखने वालों की बड़ी संख्या है| हरभु जी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव तंवर के समकालीन व एक ही गुरु के शिष्य थे|
हरभूजी मारवाड़ राज्य के भूडेल गांव के महाराज सांखला के पुत्र थे| महाराज सांखला शत्रु के आक्रमण में मुकाबला करते हुए मारे गए| पिता के निधन के बाद हरभूजी सांखला भूडेल गांव छोड़कर फलोदी (जोधपुर के उत्तर-पश्चिम) क्षेत्र के गांव चाखू के जंगल में तपस्या करने लगे| यहीं उनसे राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता और पांचों पीरों में से एक बाबा रामदेव तंवर मिले| तबसे हरभूजी रामदेव जी के गुरु बालनाथ जोगी के शिष्य के बने|
राठौड़ रणमल की हत्या कर मंडोर (मारवाड़ की राजधानी) पर मेवाड़ वालों ने कब्ज़ा कर लिया था| रणमल राठौड़ का पुत्र, जोधपुर का संस्थापक राव जोधा मंडोर को मेवाड़ से आजाद कराने के लिए गुरिल्ला युद्ध के रूप में संघर्ष कर रहे थे| उसी संघर्ष के दौरान राव जोधा की जंगल में हरभूजी सांखला से भेंट हुई| राव जोधा ने हरभूजी से मेवाड़ के खिलाफ अपनी आजादी की जंग में सफलता का आशीर्वाद मांगा| हरभूजी ने राव जोधा को मारवाड़ में उसका पुन: राज्य स्थापित होने का आशीर्वाद देते हुए भविष्यवाणी की कि "जोधा तुम्हारा राज्य मेवाड़ से जांगलू तक फैलेगा|" हरभूजी के आशार्वाद के बाद राव जोधा मंडोर पर अपना शासन स्थापित करने में जहाँ सफल रहे वहीं हरभूजी की जांगलू तक उसके राज्य प्रसार की भविष्यवाणी तब सच हुई जब राव जोधा के पुत्र बीका ने काका कांधल के सहयोग से जांगलू प्रदेश पर अधिकार कर बीकानेर बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया, जहाँ भारत की आजादी तक उसके वीर वंशजों का शासन रहा|
हरभूजी मारवाड़ राज्य के भूडेल गांव के महाराज सांखला के पुत्र थे| महाराज सांखला शत्रु के आक्रमण में मुकाबला करते हुए मारे गए| पिता के निधन के बाद हरभूजी सांखला भूडेल गांव छोड़कर फलोदी (जोधपुर के उत्तर-पश्चिम) क्षेत्र के गांव चाखू के जंगल में तपस्या करने लगे| यहीं उनसे राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता और पांचों पीरों में से एक बाबा रामदेव तंवर मिले| तबसे हरभूजी रामदेव जी के गुरु बालनाथ जोगी के शिष्य के बने|
राठौड़ रणमल की हत्या कर मंडोर (मारवाड़ की राजधानी) पर मेवाड़ वालों ने कब्ज़ा कर लिया था| रणमल राठौड़ का पुत्र, जोधपुर का संस्थापक राव जोधा मंडोर को मेवाड़ से आजाद कराने के लिए गुरिल्ला युद्ध के रूप में संघर्ष कर रहे थे| उसी संघर्ष के दौरान राव जोधा की जंगल में हरभूजी सांखला से भेंट हुई| राव जोधा ने हरभूजी से मेवाड़ के खिलाफ अपनी आजादी की जंग में सफलता का आशीर्वाद मांगा| हरभूजी ने राव जोधा को मारवाड़ में उसका पुन: राज्य स्थापित होने का आशीर्वाद देते हुए भविष्यवाणी की कि "जोधा तुम्हारा राज्य मेवाड़ से जांगलू तक फैलेगा|" हरभूजी के आशार्वाद के बाद राव जोधा मंडोर पर अपना शासन स्थापित करने में जहाँ सफल रहे वहीं हरभूजी की जांगलू तक उसके राज्य प्रसार की भविष्यवाणी तब सच हुई जब राव जोधा के पुत्र बीका ने काका कांधल के सहयोग से जांगलू प्रदेश पर अधिकार कर बीकानेर बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया, जहाँ भारत की आजादी तक उसके वीर वंशजों का शासन रहा|
हरभूजी सांखला क्षत्रिय थे| सांखला परमार क्षत्रियों की एक शाखा है| मारवाड़ राज्य के अधीन किराडू के स्वामी बाहड़ परमार के दो पुत्र थे| प्रथम पुत्र का नाम सोढ था जिसके वंशज सोढा परमार कहलाये| दुसरे पुत्र का नाम बाघ था| बाघ जैचंद पड़िहार के हाथों मारा गया| तब उसके पुत्र वैरसी ने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ओसियां स्थित माता सचियाय से वरदान प्राप्त कर अपने पिता की हत्या का बदला लिया| इस सम्बन्ध में राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार नैणसी अपनी ख्यात में लिखते है- "माता ने उसे दर्शन दिए और शंख प्रदान किया, तभी से वैरसी के वंशज सांखला कहलाने लगे|
जोधपुर के मंडोर उद्यान में स्थित देवताओं की साल में लगी विभिन्न लोकदेवताओं की प्रतिमाओं में हरभूजी सांखला की भी प्रतिमा लगी है|
सन्दर्भ : 1- क्षत्रिय राजवंशों का इतिहास, लेखक-देवीसिंह मंडावा 2- मुंहता नैणसी री ख्यात जोधपुर के मंडोर उद्यान में स्थित देवताओं की साल में लगी विभिन्न लोकदेवताओं की प्रतिमाओं में हरभूजी सांखला की भी प्रतिमा लगी है|
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-06-2016) को "मन भाग नहीं बादल के पीछे" (चर्चा अंकः2363) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया जानकारी, आभार
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