RTI के माध्यम कृषि विभाग का निरीक्षण : अनुभव

Gyan Darpan
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सरकारी अधिकारीयों से बातचीत में सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के माध्यम से सूचना प्राप्त करने की चर्चा चलती है तो ज्यादातर अधिकारी इस कार्य को नकारात्मक बताते हुये RTI कार्यकर्ताओं को ब्लेकमेलर तक की संज्ञा दे देते है| जबाब में जब उनसे पूछा जाता है कि ईमानदारी से कार्य करने वाले किसी भी सरकारी कर्मचारी को सूचना लेकर कोई कैसे ब्लेकमेल कर सकता है? तब उनके पास कोई जबाब नहीं होता| इसके विपरीत कई अधिकारी इस अधिनियम को देश के लिए बहुत अच्छा मानते है, RTI कार्यकर्ताओं का सम्मान करते और अपने विभाग की सूचनाएं देने में पूर्ण सहयोग करते है| ऐसे अधिकारीयों ने देश की जनता को यह अधिकार देते समय संसद की भावनाओं को ईमानदारी से समझा है, और वे अपने आपको लोक सेवक समझते है|

पिछले माह अभिनव राजस्थान अभियान के अभिनव मित्र डा.अशोक चौधरी ने राजस्थान में अभिनव कृषि के लिए कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी लेकर उन पर अभिनव मित्रों द्वारा नजर रखने के उद्देश्य से कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं व किये जाने वाले कार्यों पर शोध कर सूचनाएं मांगने हेतु कुछ आवेदन पत्र तैयार कर उपलब्ध कराये ताकि विभिन्न जिलों में सक्रीय अभिनव मित्र अपने अपने जिले के कृषि विभाग द्वारा किये जाने वाले कार्यों पर नजर रख सके, सरकार या अधिकारीयों की कार्य प्रणाली समझ सके और कृषि को अभिनव बनाने में अपना योगदान दे सके|
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मैंने भी डा.अशोक चौधरी द्वारा शोधपूर्ण तैयार किये आठ RTI आवेदन कृषि विभाग को देने का निश्चय किया, अपने जिला मुख्यालय से बाहर रहने के चलते मैं अक्सर RTI आवेदन डाक से भी भेजता हूँ, लेकिन उस वक्त मुझे किसी अन्य कार्य से अपने जिला मुख्यालय जाना था, सो सोचा क्यों ना व्यक्तिरूप से देकर विभागीय अधिकारीयों का भी सूचना के अधिकारी अधिनियम के प्रति प्रत्यक्ष रूप से रवैया देख जाय| यही सोचकर 14 अगस्त को मैं कृषि विस्तार, सीकर के कार्यालय पहुंचा, वहां पहुँचते ही मैं सीधे प्रमोद कुमार, उपनिदेशक, कृषि विस्तार, सीकर के पास पहुंचा और पूछा कि इस कार्यालय में RTI आवेदन लेने के लिए कौन अधिकारी, कर्मचारी नियुक्त है? प्रमोद कुमार जी ने बैठने का कहते हुए कहा कि आप सभी आवेदन मुझे ही दे दीजिये| मेरे द्वारा आठ आवेदन सौंपने के बाद उन्होंने एक एक आवेदन देखा जिनमें कुछ उनसे सम्बंधित नहीं थे, फिर भी उन्होंने ये कहते हुए आवेदन ले लिए कि मैं सम्बन्धित अधिकारी को अग्रेषित कर दूंगा|

आवेदन के कुछ दिन बाद कृषि विस्तार से ईमेल आया कि आप कार्य समय में कभी भी दो दिन पहले सूचित कर स्वयं आ जाये और जो भी दस्तावेज व सूचनाएं चाहिए उनका निरीक्षण कर लें, आप जो दस्तावेज लेना चाहेंगे उन्हें गिनकर उसी वक्त नियमानुसार उनका शुल्क ले लिया जायेगा| सूचना के अधिकार से सूचना मांगने के बदले यह पहला अवसर था कि किसी अधिकारी ने ईमेल से जबाब भेजा| कृषि अधिकारी की ईमेल पढ़कर मुझे सुखद अहसास हुआ क्योंकि उनके द्वारा ईमेल भेजने से जहां मुझे उनका सन्देश त्वरित गति से मिला, वहीं सरकार का भी डाक भेजने का खर्च बचा| ईमेल सन्देश के अनुसार मैंने जैसे ही प्रमोद कुमार जी से बात की, उन्होंने सीधा सा उतर दिया कि- आपको बुलाने का मकसद सिर्फ यही है कि किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं रहे और आपको जो चाहिए वो ठीक से समझकर, आपको दस्तावेजों का निरीक्षण करवा कर सही सूचना उपलब्ध करा सके|

आखिर मैं 2 सितम्बर को ग्यारह बजे कृषि विस्तार पहुँच गया| उपनिदेशक कृषि विस्तार श्री प्रमोद जी ने तुरंत अपने अधीनस्थ कृषि अनुसंधान अधिकारी हरदेव जी बाजिया को बुलाकर मेरा परिचय देते हुए मुझे चाही गई सभी सूचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिये और इस तरह पहली बार मेरे द्वारा RTI के तहत किसी विभाग का निरीक्षण शुरू हुआ|
हरदेव जी बाजिया ने मेरे एक एक आवेदन के एक एक प्रश्न का पूरा जबाब देते हुये कार्यालय का रिकार्ड दिखाया और मांगे गये दस्तावेजों की प्रतियाँ दी| साथ ही कार्यालय के जिन कर्मचारियों, अधिकारीयों से जो सूचनाएं संबंधित थी, उन्हें भी बुलाकर मेरे साथ उन बिन्दुओं पर चर्चा कर सूचनाएं एकत्र की| इस तरह 11 बजे शुरू हुआ निरीक्षण 3 बजे ख़त्म हुआ| इस दौरान किसी भी अधिकारी, कर्मचारी ने यह बहाना नहीं किया कि उनका लंच टाइम हो गया और आप इंतजार करे, बल्कि वे बिना घड़ी देखे मुझे सूचनाएं देने में जुटे रहे| इस बीच अनौपचारिक चर्चा में हरदेव जी बाजिया और प्रमोद जी ने "सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 और 26" के बारे में मुझे ही पूछ लिया कि इनमें क्या होता है? लेकिन इनके बारे में पूरी तरह से मुझे भी नहीं पता था, सो मैंने संक्षिप्त में ही उन्हें इन धाराओं के बारे में समझाया कि यह आपके द्वारा इस अधिनियम के प्रचार-प्रसार के लिए किये जाने वाले कार्यों से संबंधित है, तब उन अधिकारीयों ने भी दुबारा RTI Act पढने की जरुरत महसूस करते हुये तय किया कि वे एक फिर यह Act पढ़कर अपने आपको अपडेट करेंगे ताकि सूचनाएं उपलब्ध कराने में कोई चूक नहीं हो|

इस तरह इस निरीक्षण में इस अधिनियम के बारे में पहली बार अधिकारीयों का प्रत्यक्ष रवैया देखा, जो सकारात्मक मिला| कृषि विस्तार, सीकर के कार्यालय में जिस तरह से इस अधिनियम की मूल भावना समझकर सूचनाएं उपलब्ध कराई गई, वे सराहनीय, प्रसंशनीय है|

तो आप भी बिना किसी झिझक के इस अधिकार का उपयोग कीजिये और देश के विकास हेतु चल रही विभिन्न परियोजनाओं पर नजर रख, उनमें होने वाले भ्रष्टाचार, कामचोरी पर निगाह रख अपना सहयोग दीजिये|

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