कैसे बने फरीदाबाद स्मार्ट सिटी ? जब सड़कों से गायब हो ज़ेबरा क्रासिंग भी !!

Gyan Darpan
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प्रधानमंत्री की स्मार्ट सिटी बनाने की योजना में फरीदाबाद का भी स्मार्ट सिटी बनाने हेतु चयन किया है| लेकिन हरियाणा का प्रमुख औद्योगिक शहर जिसके बीचों-बीच दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग निकलता है उस पर पैदल यात्रियों के लिए जेबरा क्रासिंग तक नहीं| शहर की इसी समस्या और अधिकारीयों की उदासीनता पर प्रकाश डाल रहे है हिंदी समाचार पत्र "हरियाणा प्रभात टाइम्स" के संपादक सुशील सिंह...

कैसे बने फरीदाबाद स्मार्ट सिटी ?
शहर की सड़कों से गायब ज़ेबरा क्रासिंग
अधिकारीयों की लापरवाही ना डूबे स्मार्ट सिटी का सपना ??

जैसा कि हम सभी जानते है कि रोड पर पहला अधिकार पैदल चलने वालों का होता है खासकर जबकि रोड पार करना हो, विदेशों में भी रोड पार करने वाले लोगों को प्रमुखता दी जाती है| बाद मे वाहन पर चलने वालों को पर इसे शहर की विडम्बना कहें या बदकिस्मती की एक ओर जहाँ शहरवासी, लोकप्रतिनिधि व अधिकारी जिले को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना देख रहे है, वही दूसरी ओर प्रशाशनिक कारगुजारियों के चलते शहर की सड़कों व मौजूद प्रमुख चौराहों पर व्याप्त भारी अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिल जाता है| शहर मे कही भी पैदल व साइकिल सवार लोगों के लिए रोड पर चलने की अलग से व्यवस्था नहीं की गयी है|

इसके चलते यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि ऐसे हालातों मे शहर स्मार्ट सिटी कैसे बन सकता है| शहर के विभिन्न विभागों के अधिकारी व प्रतिनिधि रोज़ दिन मे कई बार जिन सड़कों का प्रयोग करके अपने गंतव्य तक जाते है, उन्ही सड़कों के चौराहों पर कही भी ज़ेबरा क्रासिंग का निशान देखने को नहीं मिलता है| जिसके चलते शहरवासी यह सोचने पर मजबूर है कि या तो सम्बंधित अधिकारियों को चौराहों पर ज़ेबरा क्रासिंग की जरुरत महसूस नहीं होती या ज़ेबरा क्रासिंग किसको कहते है उन्हें पता नहीं है| जहाँ ज़ेबरा क्रासिंग है भी तो वह तकनीकी रूप से ठीक नहीं है अगर कही ठीक भी है तो वहां पर इसकी कोई अनुपालना नहीं हो रही है|

हकीकत से कोसों दूर
शहर मे ऐसे हालात तो तब है जबकि शहर को देश के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्मार्ट सिटी बनाने का मौका दिया जा रहा है| नगर निगम द्वारा हर साल करोड़ों रुपए का बज़ट शहर के विकास के लिए दिखाया जाता है परन्तु आज तक शहर का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जिसे पूर्ण रूप से विकसित होने का दावा किया जाता हो| शहर मे रोज़ किसी न किसी विधायक व अधिकारी द्वारा यह बयान दे दिया जाता है कि स्मार्ट सिटी बनाने के लिए फरीदाबाद जिला अन्य जिलों की तुलना मे बिलकुल उपयुक्त है लेकिन हकीकत से कोसों दूर ये सारे बयान इनके द्वारा अपने वतानिकूलित कार्यालयों मे बैठकर लिए जाते है देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है|

राजस्व का नुकसान
ट्रैफिक पुलिस के अधिकारीयों से जब यह पुछा गया की ज़ेबरा क्रासिंग क्रॉस करने पर वर्ष 2015 में कितने चालन किये गए है तो उन्होंने इस बारें मे जानकारी होने से चुप्पी साध ली व रिकॉर्ड देखकर बताने की बात कही| जब उन्हें यह बताया गया कि शहर मैं ज़ेबरा क्रासिंग तो है ही नहीं तो चालान कैसा और कैसा रिकॉर्ड, इस बाबत जानकारी ना होने पर अपनी जिम्मेदारियों को अन्य विभागों पर डालते नज़र आने लगे जबकि शहर के लोगों को पूर्ण रूप से सुरक्षित रोड पर चलने व इस बाबत सुविधाएँ देने के लिए पुलिस का ट्रैफिक विभाग ही जिम्मेदार होता है| और अगर विभाग द्वारा किसी भी कारण के चालन नहीं काटे जा रहे है तो इससे राजस्व को भी नुकसान हो रहा है व विभाग के ऊपर प्रश्नचिन्ह भी लग रहा है|

क्या कहते है ट्रैफिक विभाग के अधिकारी
जिले मे ट्रैफिक का सुचारू संचालन व रोड पर राहगीरों व वाहनों की व्यवस्था ठीक रखने के लिए अलग से एक विभाग बना है, जिसमे एसपी स्तर का एक अधिकारी, डीएसपी स्तर के दो अधिकारी व थाना स्तर पर एक इंस्पेक्टर जो कि ट्रैफिक थाना प्रभारी होता है व अन्य सिपाहीयों व कर्मचारियों से लेस है| परन्तु जब एक एक कर इस अव्यवस्था के बारें में सभी से बात की गयी तो सभी चुप्पी साध गए व कहने लगे कि यह काम हुडा विभाग का है उन्हें तो जो मिला है उसी को चला सकते है| जब इनसे यह पुछा गया कि चौराहों पर निगरानी हुडा करता है या आप तो जवाब देने मे असमर्थ दिखाई दिए| जब उनसे यह पुछा गया की ट्रैफिक विभाग द्वारा ज़ेबरा क्रासिंग बनाने के लिए कितने चौराहे चिन्हित किये गए है व हुडा को कितनी बार लिखित दरखास्त दी गयी है, तो इस बारे मे भी विभाग कुछ बताने से चुप्पी साध गया जिसको देखकर यह प्रतीत हुआ की यह विभाग पूरी तरह से खानापूर्ति के लिए बना है, जिसका काम केवल ड्रंकन ड्राइव व बिना हेलमेट व कागजों वाले वाहनों के चालान काटना रह गया है| जैसा की अक्सर शहर मे देखने को मिल रहा है|

कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह
आज जिले के लगभग हर विभाग मे कोई न कोई परेशानी साफ़ देखने को मिल रही है| प्रदेश के मुखिया द्वारा सीएम विंडो खोलकर शहरवासियों को भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली देने की जो बात कही जा रही थी| अब उसी सीएम विंडो पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे है| लोगों द्वारा भेजी शिकायतों का निपटारा होना तो दूर की बात, अब तो उन शिकायतों पर संज्ञान भी नहीं लिया जा रहा है| और ऐसा तब हो रहा है जबकि शिकायत से सम्बंधित विभाग खुद प्रदेश के मुखिया के पास है| अगर बदस्तूर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब विपक्ष सत्ताधारीयों को हर तरफ से घेर कर उन्हें उनकी अनुभवहीनता से अवगत कराने का प्रयास करती नज़र आएगी और सत्ताधारी लोगों के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा और स्मार्ट सिटी बनने का सपना चकना चूर होता सभी को नज़र आएगा|

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