लोक देवताओं का महत्त्व

Gyan Darpan
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भारत में लोक देवताओं (Lok Devta) की अपनी अलग ही भूमिका और महत्त्व रहा है. खासकर राजस्थान में लोकदेवताओं की मान्यता और उनके प्रति जन मानस में अटूट विश्वास रहा है और वर्तमान में भी है. राजस्थान में ऐसे बहुत से महापुरुष हुए जिन्होंने अपने सद्कर्मों से समय समय पर जनता को अच्छे संदेश दिए. उन्हीं महापुरुषों को जनता ने लोकदेवता के रूप में मान्यता दी. इन लोक देवताओं में रुणिचा (पोकरण) के शासक बाबा रामदेव (Baba Ramdev, Ramsa Peer)ने जातीय भेदभाव, छुआछूत दूर करने का सन्देश देते हुए उन जातियों के लोगों को गले लगाया, साथ रखा जिनसे लोग छुआछूत रखते थे, भेदभाव करते थे. बाबा रामदेव जिन्हें पीर भी कहा जाता है ने जातीय सौहार्द ही नहीं बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई और उनकी उसी भूमिका के चलते आज देश का जनमानस उन्हें लोक देवता के रूप पूजता है. राजस्थान ही नहीं, बाबा रामदेव के भक्तगण से राजस्थान के बाहर पुरे देश में है. इसी तरह जाम्भो जी ने पर्यावरण बचा कर उसे बनाये रखने के लिए सन्देश दिए. उनकी शिक्षा पर चलने वाले वर्तमान में विश्नोई समाज के नाम से जाने जाते है. ज्ञात हो विश्नोई समाज आज भी पर्यावरण की रक्षा के लिए मरने-मारने पर उतारू रहते है. यह सब जाम्भो जी की शिक्षाओं व सन्देश का ही असर है. इसी तरह पाबू जी (Pabu ji Maharaj), हडबू जी, तेजाजी (Veer Teja ji)आदि ने गौ-रक्षण के लिए बलिदान दिया. जिन्हें आज भी लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है. इस तरह किसी भी महापुरुष को लोक देवता का नाम देकर उसकी पूजा करना, महिमामंडित करना भले तथाकथित आधुनिक शिक्षित व सेकुलर गैंग की नजर में अन्धविश्वास हो पर इन लोक देवताओं की जातीय सौहार्द, पर्यावरण संरक्षण, पशुधन संरक्षण, अपराधों की रोकथाम में जो भूमिका रही है उसे नकारा नहीं जा सकता.

ये लोक देवता भले किसी जाति के रहे हों, पर आज भी उनकी याद में होने वाले कार्यक्रमों में सभी जातियों के लोग एक साथ आत्मीयता की भावना से एकत्र होते है जो जातीय सौहार्द बढाने में सहायक है. इन्हीं लोक देवताओं के प्रति श्रद्धा लोगों में मन जातीय सौहार्द बनाये रखने, पर्यावरण संरक्षण और पशुधन संरक्षण के प्रति प्रेरणा जगाती है. यही नहीं इन्हीं लोकदेवताओं के कोप का भय अपराधों की रोकथाम में भी बहुत बड़ा सहायक है.

अभी हाल ही की बात करें तो ख़बरों के अनुसार बाबा रामदेव के मंदिर से करीब सवा सौ किलो चांदी और लाखों की नकदी चोरी करने वाले चोरों ने वारदात के 50 दिन बाद पश्चाताप कर चोरी का माल वापस लौटा दिया.

मामला जैसलमेर के रुणिचा गांव का है. यहां बाबा रामदेव मंदिर के मंदिर से गत 4 मई को 117 किलो चांदी और 4.30 लाख रुपए की नकदी चोरी हो गई थी. जिसका पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई पर बाबा रामदेव के कोपभाजन बनने का डर हो, या चोरों के मन में बाबा के प्रति उपजी श्रद्धा का परिणाम हो, चोरों के मन में इस पवित्र जगह से चोरी करने का पश्चातापवश हुआ और वे 50 दिन बाद स्वयं ही चोरी किया हुआ सामान मंदिर क्षेत्र में छोड़कर चले गए. यह घटना साफ़ जाहिर करती है कि लोगों के मन में इन लोक देवताओं के प्रति श्रद्धा, इनके कोप व श्राप का डर अपराधों की रोकथाम में भी सहायक है.


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