कर्नल टॉड ने फैलाई कई ऐतिहासिक भ्रांतियां

Gyan Darpan
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Colonel Tod spread historical misconceptions about rani padmini राजस्थान के इतिहास व इतिहासकारों के नाम की चर्चा चलती है तो बतौर इतिहासकार कर्नल टॉड का नाम शीर्ष पर आता है. ज्यादातर आधुनिक इतिहासकारों की कथित शोध (Colonel Tod)कर्नल टॉड द्वारा लिखित इतिहास के आगे पीछे ही घूमती है. हर कोई अपनी बात को प्रमाणिक साबित करने के लिए कर्नल टॉड संदर्भ देते है. जबकि कर्नल टॉड ने अपने इतिहास में बड़ी भारी भूलें की है, कई गलत जानकारियां लिखी है. लेकिन भारतीय इतिहासकारों द्वारा शोधपूर्वक लिखे सही इतिहास को वामपंथी व सेकुलर (Sekular) इतिहासकार पूर्वाग्रहपूर्वक टुकरा कर कर्नल टॉड द्वारा लिखे गलत तथ्यों को ज्यादातर उजागर करते है.

मैं ऐसा नहीं मानता कि कर्नल टॉड ने ये गलत जानकारियां जान-बुझ कर लिखी हों. कर्नल टॉड की निष्पक्षता पर भी मुझे कोई सन्देश नहीं है, बल्कि उसके इस कार्य को महान कार्य मानता हूँ. लेकिन कर्नल टॉड ने जो लिखा उसे हुबह सच मान लेना और भारतीय इतिहासकारों द्वारा की गई शोध को किसी राजनैतिक विचारधारा व पूर्वाग्रह के वशीभूत ठुकरा देना या उसे महत्त्व नहीं देना चिंतनीय है. कर्नल टॉड ने इस तरह की गलतियाँ की उसके पीछे उसकी दुर्भावना नहीं,बल्कि अज्ञान या गलत सूचनाएं मिलना जिम्मेदार है. साथ कर्नल टॉड बाहरी होने चलते राजस्थान की भाषा व संस्कृति को उतना नहीं समझ सकता था जितना एक राजस्थानी इतिहासकार. राजस्थान का लगभग इतिहास चारण-भाटों द्वारा साहित्य में लिखा गया है, अत: राजस्थान का इतिहास वही व्यक्ति अच्छी तरह समझ सकता है जो राजस्थानी साहित्य का अच्छा ज्ञान रखता हो. साथ राजस्थान का साहित्य में इतिहास भरा पड़ा है, कविताएँ, दोहे ऐतिहासिक घटनाओं के संदर्भ में लिखे गए है अत: यह भी तय है कि राजस्थानी साहित्य को भी बिना इतिहास की जानकारी के सही नहीं समझा जा सकता. कर्नल टॉड द्वारा लिखे कई गलत तथ्य इसी कमजोरी का परिणाम है.

कर्नल टॉड ने इतिहास में कितनी भ्रांतियां फैलाई ये शोध का विषय है, पर मैं इसकी एक झलक इस लेख के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.
भारत का बच्चा बच्चा चितौड़ (Chittor The Capital Of Mewar) की रानी पद्मिनी (Rani Padmini of Chittor)को जानता है. जब भी भारतीय वीरांगनाओं के जौहर (Johar)की बात याद आती है रानी पद्मिनी का नाम स्वत: मन-मस्तिष्क में घूमने लगता है. भारत का ऐसा कोई इतिहासकार नहीं होगा जो यह नहीं जानता कि रानी पद्मिनी चितौड़ के (Rana Ratn Singh) राणा रत्न सिंह की रानी थी. लेकिन इतिहास की सबसे बड़ी नायिका रानी पद्मिनी के बारे में कर्नल टॉड ने बिना तथ्यों की जांच-पड़ताल किये गलत लिख दिया. कर्नल टॉड अपनी history book “Annals and Antiquities of Rajasthan” में लिखते है - "Lakumsi was minor when he ascended the gadi in 1274, and Bhimsi, his uncle, acted as regent and protector. Bhimsi had married a Chohan princess, by name Padmini, who was of surpassing beauty . Indeed, if her charms were inferior to those of the heroine of Troy, they were not less fatal in their consequences; for, according to the bard chroniclers, it was the desire to possess this peerless princess, rather than the acquisition of military fame, which prompted Allah-ud-din to attack Chitor”.


इस तरह कर्नल टॉड ने दुनिया के इतिहास में जौहर के माध्यम से अपना अहम स्थान बनाने वाली भारत की राष्ट्र नायिका रानी पद्मिनी के पति का नाम राणा रत्न सिंह की जगह भीम सिंह लिखा है, जो चितौड़ के कभी शासक नहीं रहे. यही नहीं टॉड ने उस वक्त राणा रतनसिंह की जगह लखमसिंह को चितौड़ का शासक माना है और भीम सिंह को उसका संरक्षक. ये बात सही हो सकती है कि भीम सिंह चितौड़ के किसी नाबालिग राणा के संरक्षक रहे हों और रत्न सिंह के समय चितौड़ में महत्त्वपूर्ण पद पर रहें हों. लेकिन वे पद्मिनी के पति नहीं थे. एक बार टॉड की बात मान भी ली जाय तो भी क्या खिलजी (Alla-U-din-Khilji) चितौड़ के किसी अधिकारी की पत्नी मांगता? और मांगता तो क्या एक अधिकारी की पत्नी के लिए इतना बड़ा युद्ध होता?

B.K.Karkara अपनी पुस्तक “Rani Padmini : The Herione of Chittor” में लिखते है कि “The question now is as to who occupied this high pedestal of Hinduism when Alauddin left Siri to attack Chittor on 28 January, 1303. There is now hardly and doubt that Rawal Ratan Singh was the ruler of Chittor, he was her husband. However, we find Lt. Col. James Tod (a highly respected authority on the history of Rajputana) talking in terms of one Bhim Singh being the husband of Padmini and Lakshman Singh as the rular of Chittor at the time of the Alauddin’s attack. Obviously, Tod had been fed this information by the bard who often said what cheir patron wanted to hear.

इस तरह टॉड के लिखे गलत तथ्यों का यह उदाहरण है. ऐसे बहुत से एतिहासिक प्रसंग है जिनमें टॉड ने तथ्यों की बिना जाँच लिए सुने-सुनाये आधार पर या बिना समझे लिखकर राजस्थान के इतिहास में भ्रांतियां फैला दी और उन गलत तथ्यों का हवाला देकर सेकुलर गैंग इतिहास लिखकर और फ़िल्मी भाण्ड फ़िल्में व सीरियल बनाकर इन भ्रांतियों को सही साबित करने में जुटे है जो भारतीय इतिहास के लिए सोचनीय बिंदु है.


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4टिप्पणियाँ

  1. कर्नल टॉड विदेशी होने के कारण भाट व् बडुओ की बहियों व् डिंगल के अभिलेखो के उतना करीब नहीं जा सका । बहुत से प्रसंग कपोल कल्पित व सुने सुनाये ही उद्धृत कर दिए ।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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