गादड़ी गारंटी और काला धन

Gyan Darpan
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लोकसभा चुनाव पूर्व बाबा रामदेव देशभर में काले धन को वापस लाने के लिए अभियान चलाये हुए थे और वे दावा कर रहे थे कि मोदी जी प्रधानमंत्री बने और भाजपा का राज आया तो सौ दिन में काला धन विदेशी बैंकों से वापस लाया जायेगा| देशी भाषा में कहूँ तो बाबा विदेशी बैंकों में जमा भारतियों का काला धन सौ दिनों में वापस लाने की गारंटी दे रहे थे| लेकिन ख़बरें पढने को मिल रही है कि भाजपा की मोदी सरकार ने घोषणा की है कि सरकार काला धन विदेशों में जमा कराने बालों के नाम बताने नहीं जा रही| यानी सरकार काला धन वापस लाना तो दूर काला धन जमा करने वालों के नामों का खुलासा भी नहीं करना चाहती| इससे साफ़ जाहिर है कि बाबा की गारंटी के साथ केंद्र में बनी कथित राष्ट्रवादी सरकार ने भी सरकार बनाते ही सौ दिन में जो काला धन वापस लाने का वचन दिया था उससे पल्टी मार गई और जनता को दिया वचन भंग कर दिया|
इस प्रकरण को देखते हुए एक लोक कहानी याद आ गई जो बचपन से सुनते आ रहे है कि एक गीदड़ ने गीदड़ी को शहर घुमाने की झूंठी गारंटी दी और गारंटी फ़ैल हो गई| इस कहानी के साथ साथ गांवों में जब भी कोई गारंटी देने की बात करता है तो लोग मजाक में कह देते कि भाई ये तेरी गारंटी "गादड़ी गारंटी" तो साबित नहीं होगी| कहानी के अनुसार एक गीदड़ अपनी गीदड़ी के पास अक्सर डींगे हांकता कि वह शहर में जाकर नित्य फिल्म देखता है और अच्छे अच्छे पकवान खाता है, बेचारी गीदड़ी समझाती कि शहर की और मत जाया करो, शहर के कुत्ते कभी मार डालेंगे| तब गीदड़ उसे एक कागज का टुकड़ा दिखाते हुए कहता कि उसके पास गारंटी पत्र है सो कोई कुत्ता उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता|

गारंटी देख गीदड़ी आश्वस्त हो गई और एक दिन गीदड़ से जिद करने लगी कि उसे भी शहर घुमाने ले चले| अब गीदड़ फंस गया पर करता क्या? सो बेमन से गीदड़ी को लेकर शहर की और चल पड़ा| दोनों शहर के पास पहुंचे ही थे कि कुत्तों को भनक गई और वे उन्हें पकड़ने को पीछे भागे| कुतों के झुण्ड को अपनी और आते देख गीदड़ जंगल की और बचने भागा तो गीदड़ी ने कहा - इनको गारंटी दिखाओं ना !
गीदड़ बोला - भाग लें ! ये कुत्ते अनपढ़ है सो गारंटी में नहीं समझते |
इस तरह गीदड़ द्वारा गारंटी को लेकर हांकी गई डींग की पोल खुल गई |

बाबा भी काले धन को लेकर जिस तरह देशवासियों को गारंटी देते घूम रहे थे, वो भी ठीक वैसे ही डींग साबित हुई जैसे गीदड़ वाली गारंटी साबित हुई थी| अत: बाबा रामदेव की गारंटी को भी "गादड़ी गारंटी" की संज्ञा दी जाए तो कोई गलत नहीं|
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2टिप्पणियाँ

  1. जब से बीजेपी सत्ता पे काबिज हुई है तब से बेचारा ब्बा अज्ञातवास काट रहे हैं। यदा कदा अपना समान बेचते विज्ञापन मे नज़र आते हैं।

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  2. rajendrakikalam.blogspot.com
    काला-धन
    कालेधन की परिभांषा को मैं भी अब तक समझ ना पाया
    कालेधन को संचित करके ,कैसे काले धन को खाया
    अरबों- खरबों के घोटाले, समाचार में हम पढते हैं
    ये भी एक अचम्भा देखो , मायावी कैसे बढते हैं
    मठ,मन्दिर की बुनियादें भी काले धन पर टिकी हुयी हैं
    ट्रस्ट बनाकर काले धन को खाने की तकनीक नयी है
    एन0जी0ओ0 ही आज दलाली कालेधन की करवााता है
    डोनेशन देने से काला धन सफेद क्यों हो जाता हैे
    उद्योगपति,व्यवसायी भी तो काले धन से ही जीते है
    काले - धन वाले नर-भक्षी खून हमारा क्यों पीते है
    सत्ता और सियासी सारे काले धन से भरे पडे़ हैं
    राजनीति में सभी विरोधी ,अन्दर से सब साथ खडे़ हैं
    एक लंगोटी हरदम काले धन का ही गाना गाती है
    अरबों-खरबों की माया क्या कपाल-भारती से आती है
    ऐसा कौन दयालू दुनिया में, जो दानी कहलाता है
    मठ,मन्दिर में रहने वाला कालेे - धन का ही भ्राता है
    अधिकारी, चपरासी, बाबू काले धन को बाॅंट रहे हैं
    सभी सियासी अपने - अपने अधिकारी को छाॅंट रहे हैं
    प्रजातन्त्र में कालाधन ही मूलमन्त्र क्यों बनकर आया
    काले - धन वालो ने दर-दर ठोकर खाना हमें सीखाया
    कनिमोझी,कलमाडी,राजा काले - धन के कलाकार हैं
    दश करोड़ चपरासी के घर , देखो कैसा चमत्कार है
    अरब - खरब के बडे़ भिखारी कैसे भारत में होते हैं
    मठ ,मन्दिर में इनको देखो फिर भी पैसे को रोते हैं
    अपने घर में चोर चकारी माल जमा परदेशों में
    भूखे , नंगे , बे - घर भारत में देखो दरवेषों में
    कितनी हिम्मत है भारत में भ्रष्टाचार मचाने की
    चोरों में भी होड़ लगी है क्यों इतिहास रचाने की
    कालेधन के राष्ट्र-गीत से सत्ता सीढी बन जाती है
    भूखी,नंगी जनता काले धन का ही गाना गाती है
    कंहा गया वो कालाधन अब,मैं भी सपने देख रहा था
    बाबा जी के सपनो से,अपनो में रोटी सेंक रहा था
    मुझको ये अहसास हो गया कालेधन से कौन बचा हेै
    कू-कर्मो के काले धन से भारत का इतिहास रचा है
    राम, कृष्ण,शंकर भी काले ,काले धन की कैसी माया
    कालेधन की ये परिभांषा कवि आग भी समझ ना पाया।।
    राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
    मो09897399815

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