गाय का मांस नहीं, दूध ज्यादा ताकतवर होता है : महात्मा लटूरसिंह

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रामपुर में महात्मा लटूर सिंह का गाय की महत्ता पर व्याख्यान चल रहा था, उनके व्याख्यानों के बारे में मुसलमानों को भी पता था कि वे क्या बोलते है? अत: उन्हें सुनने के लिये कई मुस्लिम भी आये थे, कुछ उन्हें सुनने तो कुछ उन्हें चुप कराने| जो चुप कराने आये थे उन्हें एक तकलीफ और भी थी, महात्मा लटूर सिंह मुसलमानों की शुद्धिकरण करते थे, मतलब उनका वापस धर्मान्तरण| सो उन्हें सबक सिखाने के लिए कुछ तत्व उस समय के नामी पहलवान वली मोहम्मद को साथ लेकर आये| वली मोहम्मद गामा पहलवान की जोड़ी का था और दोनों की कुश्ती बराबरी पर छुटी थी|

रामपुर में उस वक्त नबाब का राज था और पहलवान वली रामपुर नबाब का आश्रित पहलवान था|
महात्मा ने गाय की महत्ता समझाते हुये कहा- गाय का दूध, गाय के मांस से ज्यादा ताकतवर होता है अत: मुसलमानों को गौ-भक्षक की बजाय गौ-रक्षक बनाना चाहिये|

तभी वली मोहम्मद पहलवान बोल उठा - महात्मा आप गाय का दूध पीते है और मैं गाय का मांस खाता हूँ सो आपस में कुश्ती हो जाय| पता चल जायेगा कि दूध या मांस कौन ताकतवर है?

महात्मा ने सामने बैठे लोगों से पूछा - क्या कोई है जो इस पहलवान की चुनौती स्वीकार कर सकता हो?

लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं आई, चारों और ख़ामोशी छा गई जिसे देख महात्मा बोले - ठीक है आप में से कोई इस पहलवान से लड़ना नहीं चाहता तो फिर हम लड़ेंगे| आखिर हमने ही यह बात कही है सो जबाब भी अब हम ही देंगे|

बस फिर क्या था? दोनों की कुश्ती तय हो गई, उस वक्त रामपुर में अंग्रेज कलेक्टर हुआ करता था, तय समय पर कुश्ती हुई और महात्मा ने पहलवान वली मोहम्मद को एक ही मिनट में चित कर दिया| महात्मा ने उसे उठाया और फैंक दिया जिसकी वजह से उसकी पसलियाँ टूट गई और तीन दिन बाद पहलवान मृत्यु को प्राप्त हुआ|
इस तरह महात्मा ने साबित कर दिया कि गाय का मांस नहीं दूध ज्यादा ताकतवर होता है|

परिचय :- महात्मा लटूर सिंह का जन्म सन 1885 में मेरठ के पास मऊ ग्राम (बारहा) के ठाकुर लख्मीसिंह के घर हुआ था| बचपन में आपने गीत गाते हुए गायें चराई और गाय के दूध व घी का खूब उपभोग किया| जिससे आपका स्वास्थ्य बहुत बढ़िया हो गया, शरीर भी पहलवानों की तरह मजबूत हो गया, यही नहीं आपकी चुश्ती-फुर्ती देख आपको उसी समय लोग पहलवान कहने लग गए थे और आपने भी कुश्ती का अभ्यास किया व 35 साल की उम्र होते होते आपकी गिनती देश के प्रसिद्ध पहलवानों में होने लगी, 50 वर्ष की आयु तक आपने पहलवानी की व कभी किसी से हारे नहीं| शास्त्रों का अध्ययन करने के साथ ही आपने चार हजार मुसलमानों का शुद्धिकरण किया| आप आर्य समाजी भी थे| आपने कई ग्रन्थ लिख साहित्य सेवा भी की| पिलखुआ ने आपने राजपूत रेजीमेंट कालेज की स्थापना कराई, जनरल करियप्पा से आपकी अच्छी मित्रता थी| गढ़मुक्तेश्वर में आपने एक धर्मशाला भी बनवाई और आखिर 27 अक्टूबर 1973 को आप इस संसार को छोड़ गये|

राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर विक्रम सिंह जी महात्मा के बारे में बताते हुये-




संदर्भ : ठाकुर विक्रम सिंह द्वारा संपादित पुस्तक : आर्य समाज के भीम महात्मा लटूर सिंह

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5टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन प्रसंग, महात्मा जी ने वली मोहम्मद को क्या करारा जवाब दिया। जय महात्मा लटूर सिंह, जय गौ माता।

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  2. महात्मा लटूर सिंह ने सम्मान दिलाया गाय को भी !
    रोचक जानकारी !

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  3. हली बार आपके ब्‍लॉग पर आया अच्‍छा ब्‍लॉग है.

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