राजस्थान विधानसभा चुनाव : मोदी लहर के बावजूद

Gyan Darpan
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राजस्थान विधानसभा की २०० सीटों पर अभी हाल ही में संपन्न हुये चुनावों में भाजपा ने रिकोर्ड १६३ सीटें जीतकर अप्रत्याशित जीत दर्ज की जिसकी उम्मीद भाजपा को भी नहीं थी, ज्यादातर भाजपा नेता १२० सीटों के आस-पास संख्या मान रहे थे, पर नरेंद्र मोदी की रैलियों में उमड़ी भीड़ के बाद मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में एकतरफा मतदान कर साबित कर दिया कि राज्य में मोदी की जबरदस्त लहर थी|

यह इस मोदी लहर व केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार और काले कारनामों के विरुद्ध आम जनता के रोष का ही कमाल था कि – सीकर जिले की धोद विधानसभा क्षेत्र जहाँ से आजतक कभी भाजपा उम्मीदवार जीतना तो दूर टक्कर में भी नहीं रहा, वहीँ इस बार इस सीट से भाजपा के गोवर्धन वर्मा ने पिछले चार चुनावों में लगातार जीत रही माकपा को ४५०७१ वोटों के तगड़े अंतर से हराया| मजे की बात है कि खुद भाजपा समर्थक मान रहे थे कि जीत कुछ हजार मतों के अंतर से होगी, क्योंकि माकपा का इस सीट पर तगड़ा जनाधार व समर्पित कार्यकर्ताओं की फ़ौज वाला कैडर है, के बावजूद भाजपा जितने वोटों से जीती उतने वोट भी माकपा को नहीं मिले| धोद ही क्यों डीडवाना विधानसभा की बात करें तो चुनाव में बसपा से श्यामप्रताप सिंह द्वारा मैदान में ताल ठोकने के बाद भाजपा प्रत्त्याशी युनुस खान द्वारा वहां से चुनाव लड़ने से ही कतराने की ख़बरें आ रही थी, और डीडवाना क्षेत्र का शुरू में चुनावी माहौल देखने से लग रहा था कि – यहाँ भाजपा जीतना तो दूर टक्कर में भी नहीं रहेगी, लेकिन चुनावों से एन वक्त पहले चली मोदी लहर और डीडवाना के पास लाडनू क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी ठा. मनोहरसिंह का डीडवाना क्षेत्र के राजपूत मतदाताओं से भाजपा को वोट देने का सन्देश पहुँचने के बाद इस सीट पर भाजपा ने अप्रत्यषित ११४४४ मतों से विजय प्राप्त की|

इसी तरह परबतसर में भी अधिसंख्य जाट मतों का कांग्रेस के जाट प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद होने की खबरों के बाद भाजपा की जीत की क्षीण आशंकाएं ही बची रह गयी थी, पर इस सीट पर ही भाजपा उम्मीदवार की रणनीति व मोदी लहर के चलते सभी जातीय समीकरण बिगड़ गये और भाजपा ने १६२९८ वोटों से चुनाव जीता|

इस तरह कई और भी सीटें है जहाँ भाजपा की जीत की क्षीण संभावनाएं थी पर प्रदेश में मोदी लहर के चलते ऐसी जगहों पर भाजपा भारी मतों से जीती| पर इस लहर के बावजूद प्रदेश में कुछ क्षेत्र ऐसे भी रहे जहाँ स्थानीय मुद्दों, जातिवाद आदि पर मोदी लहर कोई असर नहीं डाल पाई और भाजपा के अजेय समझे जाने वाले देवीसिंह भाटी सरीखे नेता चुनाव हार गये, हालाँकि भाटी सिर्फ ११३४ वोटों के बहुत ही कम अंतर से चुनाव हारे पर एक जनप्रिय और बड़े नेता की हार ने हर किसी को सोचने पर मजबूर किया| वहीँ करौली की महारानी रोहिणी कुमारी अपनी अच्छी छवि व भाजपा के पक्ष में चली लहर के बावजूद १७१६७ वोटों से हार गई|

भाजपा के ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया मोदी लहर के बावजूद १०७२३ वोटों से बुरी तरह से चुनाव हार गये| सुभाष महरिया के क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ में महरिया द्वारा पूर्व चुनावों में अनेक नेताओं के साथ किये भीतरघात की चर्चा पर मोदी लहर असर नहीं कर सकी| लोगों में महरिया द्वारा जातिवाद के आधार पर पूर्व व इन चुनावों में भीतरघात की चर्चाओं को लेकर रोष था और बहुत से जातीय सामाजिक संगठन उससे बदला लेने को सक्रीय हो गये और आखिर मोदी लहर के बावजूद महरिया को हराने में कामयाब हुये|

अलवर जिले की बानसूर विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार शकुंतला रावत की भाजपा पर २३९१६ वोटों से जीत ने भी चौंकाया| इस क्षेत्र में भी भाजपा विधायक रोहताश शर्मा अजेय माने जाते थे, पर राज्य में मोदी लहर के बावजूद रोहताश शर्मा कांग्रेस के हाथों बुरी तरह पराजित हुये जबकि उन्हें जिन निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से हार का डर था वे ज्यादा वोट भी नहीं ले पाये, पर चर्चा कि रोहताश शर्मा ने कुछ जातियों के वोटों के लिये गलत बयान दिये थे अत: हो सकता है उनके गलत बयानों से आहत होकर कुछ जातियों ने उसके खिलाफ मत दे उन्हें हार का मुंह दिखा दिया|

गंगानगर आँचल की बात करें तो वहां भी मोदी लहर के बावजूद जमींदारा पार्टी की कामिनी जिंदल और रायसिंहनगर से सोनादेवी ने भाजपा पर क्रमश: ३७०६८ और ४४५४४ मतों की शानदार बढ़त से जीत हासिल की| बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों ने भी भाजपा को कई जगहों पर तीसरे स्थान पर धकलते हुए हराकर मोदी लहर की हवा निकालते हुए तीन स्थानों पर जीत दर्ज की| यही नहीं प्रदेश की जिन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते वहां ज्यादातर पर भाजपा तीसरे स्थान पर रही| नवलगढ़, वल्लभनगर, मंडावा, खीमसर, बस्सी आदि जगह निर्दलीय चुनाव जीते और यहाँ भाजपा तीसरे स्थान पर रही| वल्लभनगर से भाजपा के ही रणजीतसिंह भिंडर ने टिकट नहीं मिलने के चलते बागी होकर चुनाव लड़ा और १३१६७ वोटों से जीते, यहाँ भाजपा टक्कर में भी नहीं आ पाई| नवलगढ़ से पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजकुमार शर्मा को कांग्रेस के एक बड़े नेता की जिद्द के कारण टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ा और मोदी लहर की हवा निकालते हुये और कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता के रोष को दरकिनार करते हुए ३३५६६ मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज कराने में कामयाब हुये|

इसी तरह खीमसर में भी भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक हनुमान बेनीवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और २३०२० मतों के भारी अंतर से जीता, जबकि इस सीट पर जीत हासिल करने को वसुंधरा राजे ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा था और भाजपा के कई बड़े नेता कुछ जातीय सामाजिक संगठनों के ठेकेदारों के साथ हनुमान बेनीवाल को हराने में जुटे थे, लेकिन मोदी लहर पर यहाँ भी स्थानीय जातिवाद भारी पड़ा और बेनीवाल के स्वजातीय मत उनके पक्ष में लामबंद हो गये और भाजपा यहाँ तीसरे नंबर पर धकेल दी गई, इस सीट पर दुसरे स्थान पर बसपा के दुर्गसिंह चौहान रहे, कांग्रेस यहाँ चौथे नंबरपर सिमट गई|

उपरोक्त विश्लेषण से साफ़ जाहिर है कि राज्य में मोदी लहर का व्यापक असर रहा फिर भी बहुत से क्षेत्रों में स्थानीय या जातीय मुद्दे मोदी लहर पर भारी रहे|


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  1. इसी तरह से म.प्र.में अनुपपुर जिले से 3 में दो विधान सभा 1-कोतमा २- पुष्पराजगढ़ पिछले 15-२० सालों से भाजपा के पास थी इस बार कोंग्रेस ने ५०३० - ३५२९३ मतों के भारी अंतर से जीत ली,एक सीट अनुपपुर जो कांग्रेस की हमेशा से थी वह भाजपा के पक्ष में चली गई ,हमारे विन्ध्य अंचल में पहले कोंग्रेस के मात्र २ विधायक थे आज कांग्रेस के 13 विधायक जीते है ४ बासपा के, विन्ध्य क्षेत्र में मोदी का जादू नही चला,,,न कोई ख़ास असर पडा,,,,!
    Recent post -: सूनापन कितना खलता है.

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  2. आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (26 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।

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  3. लूणकरणसर में बीजेपी ने जाट को टिकट दी
    जाट तुष्टिकरण की इस नीति से खफा अन्य जाति के वोट बीजेपी के बागी मानिक जी को मिले और जाट वोट के कांग्रेस-बीजेपी में बंटवारे से निर्दलीय मणिकजी जीत गए

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