बढ़ने लगा फेसबुक से फेस टू फेस रूबरू का दौर

Gyan Darpan
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फेसबुक अब सिर्फ वर्चुअल दुनियां तक सीमित नहीं रही, फेसबुक मित्र-मंडलियां अब विभिन्न मौकों व मुद्दों को लेकर आयोजित कार्यक्रमों में फेस टू फेस रूबरू होकर फेसबुक मित्रता को धरातल पर उतार रहे है| विभिन्न शहरों, कस्बों में फेसबुक मित्रों द्वारा राजनैतिक, सामाजिक मुद्दे या जन-समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाने की खबरे अक्सर अख़बारों में पढने को मिलती है| इसी कड़ी में फेसबुक पर उपस्थित मित्रों का एक समूह “आजाद देश के गुलाम” के सदस्य राजस्थान के डीडवाना शहर में दीपावली मिलन समारोह के बहाने फेस टू फेस मिलने को १० नवम्बर को दोपहर एक बजे इकट्ठा हो रहे है| इस आयोजन में दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के जयपुर सहित विभिन्न शहरों व डीडवाना के आस-पास के गांवों में निवास करने वाले इस फेसबुक समूह के सैंकड़ों सदस्य शामिल होंगे| कार्यक्रम में समूह के सदस्यों के साथ कई सामाजिक कार्यकर्त्ता व ब्लॉग लेखक भी उपस्थित रहेंगे|

दीपावली मिलन के साथ ही इस समूह के सदस्य राजनीति में युवाओं की भागीदारी व राजनैतिक पार्टियों द्वारा युवाओं को प्रतिनिधित्त्व देने के नाम पर कोरी बयानबाजी जैसे जवलंत मुद्दे के साथ चुनावों के समय सक्रीय होने वाले विभिन्न जातीय संगठनों की भूमिका, उनके सक्रीय होने के पीछे के कारणों, अपने निजी फायदे के लिए समाज के लोगों को इन संगठनों द्वारा बरगला अपने हित में जातीय भावनाओं का दोहन करने हेतु अपनाये जाने हथकंडों पर चर्चा के साथ ही चुनावों के दौरान स्वार्थी सामाजिक संगठनों द्वारा की जाने वाली सामाजिक ठेकेदारी के खिलाफ जनजागरण कार्यक्रम की रुपरेखा आदि विषयों पर गहन मंथन किया जायेगा| डीडवाना के बाद इस समूह के सदस्य जयपुर में एक मिलन कार्यक्रम रख संगठित हो अपने कार्य को धरातल पर साकार करने की योजना भी बना रहे है|

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3टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार को (09-11-2013) गंगे ! : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1424 "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत ही सार्थक और उद्देश्यपूर्ण पहल।

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  3. वाकई इस प्रकार कि पहल से सामाजिक -संस्थाओं व् उनके विचारों में और भी पारदर्शिता आएगी |

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