क्या है और कैसे किया जाता है फेसबुक लाइक्स घोटाला ?

Gyan Darpan
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पिछले दिनों अख़बारों व सोशियल साईट पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फेसबुक पेज पर अचानक लाइक्स की संख्या बढ़ने की चर्चा ने जोर पकड़ते ही लोगों ने मुख्यमंत्री गहलोत पर फेसबुक लाइक घोटाले का आरोप ठोक दिया, लोगों का मानना था कि अशोक गहलोत ने किसी विदेशी फर्म से धन के बदले फेसबुक पर अपने विरोधियों के पेज पर लाइक्स की संख्या से ज्यादा संख्या दिखाने के लिए अपने पेज के लिये लाइक्स खरीदें है क्योंकि गहलोत के पेज पर लाइक्स की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ साथ ही लाइक करने वाले लोग इंस्तांबुल के ज्यादा थे, फेसबुक पेज के हिसाब से गहलोत एक ऐसे देश में ज्यादा लोकप्रिय है जिन्हें वहां कोई जनता तक नहीं, ऐसे में इन कुछ कारणों के चलते सोशियल साइट्स पर सक्रीय लोगों के लिए इस पर आशंका करना पर्याप्त था|

अक्सर अभिनेता, राजनेता व व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने फेसबुक पेज लाइक्स, ट्विटर पर फोलोवर आदि की बढ़ी संख्या दिखाकर लोगों के सामने अपनी झूंठी लोकप्रियता पेश करते है क्योंकि आजकल सोशियल साइट्स फेसबुक ट्विटर आदि पर पेज लाइक्स व फोलोवर की संख्या के आधार पर उनकी लोकप्रियता आंकी जाती है| अत: हर नेता, अभिनेता सोशियल साइट्स पर अपनी लोकप्रियता साबित करने के लिए लाइक्स व फोलोवर बढाने की जुगत में रहते है| इसी मांग ने इंटरनेट पर इसकी आपूर्ति करने वालों की बाढ़ ला दी|

कैसे बढ़ते है ये फर्जी लाइक्स, फोलोवर आदि ?

बाजार में मांग के अनुसार उत्पाद हमेशा उपलब्ध रहते है, इंटरनेट पर भी वेब प्रमोशन के लिए कार्य करने वाली ढेरों कम्पनियों की वेब साइट्स व टूल मौजूद है, इसी श्रंखला में इस लाइक्स व फोलोवर की मांग की पूर्ति करने वाली ढेरों वेब साइट्स इंटरनेट पर उपलब्ध है जो धन के बदले सोशियल साइट्स पर जरूरतमंद को लाइक्स या फोलोवर की मांग की आपूर्ति कर देती है| यह वेब साइट्स अपने ग्राहकों को उनकी पसंद के देशों के प्रसंशक उपलब्ध कराती है| राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए फेसबुक लाइक्स का जुगाड़ (मैनेज) करने वालों ने शायद इस बात का ख्याल नहीं रखा और उन्होंने लाइक्स मैनेज करनी वाली वेब साईट एडमीफ़ास्ट.कॉम पर विश्वभर से लाइक्स करने वालों को छुट दे दी, नतीजा यह हुआ कि गहलोत के पेज पर लाइक्स करने वाले प्रसंशक इस्तांबुल देश से ज्यादा हो गये और यह बात पकड़ में आते ही लोगों ने उनकी खिल्ली उड़ाते हुए इसे फेसबुक घोटाला करार दे दिया|

कैसे जुगाड़ (मैनेज) करती है ये वेब साइट्स प्रसंशक ?

इन वेब साइट्स के माध्यम से लाइक्स व फोलोवर बढाने हेतु एक खाता बनाकर पॉइंट्स जमा करने होते है ये पॉइंट्स खरीदने के साथ मुफ्त भी उपलब्ध होते है अत: नेता व अभिनेता जिनके पास समय नहीं होता और जल्द से जल्द जो सोशियल साइट्स पर प्रसंशक बढ़ाना चाहते है वे वेब साइट्स से धन के बदले पॉइंट्स खरीद लेते है और मुफ्त पॉइंट जमा करने वालों के लिए अपने प्रसंशक बन लाइक्स करने के लिये पॉइंट निर्धारित कर देते है जैसे अशोक गहलोत के फेसबुक पेज को लाइक करने वाले को एडमीफ़ास्ट.कॉम वेब साईट पर 9 पॉइंट दिए जा रहे है, ये मुफ्त पॉइंट एकत्रित करने वाले या तो बदले में अपने लाइक्स बढ़वाते है या फिर किसी के लिए प्रमोशन का कार्य करने के लिए धन लेकर अपने जमा पॉइंट्स अपने ग्राहक के लिए खर्च कर देते है| कुल मिलाकर ये सिस्टम आपस में एक दूसरे को लाइक करने या फोलोवर बनकर चलता रहता है जो खुद किसी को लाइक नहीं कर सकता या फोलोवर नहीं बन सकता है वह धन खर्च कर पॉइंट जमा कर लाइक्स बढ़वाता है|

इस तरह के प्रमोशन के लिए कितना करना होता है खर्च ?

इस तरह की सेवा देने वाली अलग-अलग वेब साइट्स अलग-अलग खर्च वसूलती है, सबके अपने अलग अलग पैकेज है, यहाँ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए जिस वेब साइट्स से लाइक ख़रीदे गए उसकी मूल्य सूची का चित्र सलंग्न है| इस सूची पर नजर डाली जाय तो इसके अनुसार इस वेब साईट का सबसे बड़ा पैकेज एक बार ख़रीदा जाय तो यह 400 डालर यानी लगभग चौबीस हजार रूपये में एक लाख पैंसठ हजार पॉइंट मिलेंगे, अब अशोक गहलोत के मैनेज किये जा रहे एक लाइक के बदले 9 पॉइंट दिए जा रहे है इस हिसाब से चौबीस हजार में रूपये में 18333 लाइक्स मिलते है, यदि गहलोत के लिए ख़रीदे गए लाइक्स का मूल्य निकाला जाय तो प्रति लाइक लगभग 1.31 रूपये बैठता है|

विरोधी को बदनाम करने के लिए इसका सहारा लिया जा सकता है

जिस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पेज पर बढे लाइक्स पर हंगामा हुआ और उन पर आरोप लगाये गये इसी तरह यदि कोई व्यक्ति या समूह अपने किसी विरोधी को इस मामले में बदनाम करना चाहे तो वो भी आसान है क्योंकि ये लाइक्स बढाने वाली वेब साइट्स जिस फेसबुक पेज के लाइक्स, ट्विटर फोलोवर आदि बढ़ाती है उसके स्वामित्व की जाँच नहीं करती अत: कोई भी व्यक्ति इन्हें धन चूका किसी के भी पेज के लाइक्स बढ़वाकर उस पर धन खर्च लाइक्स बढवाने का आरोप लगा बदनाम कर सकता है मुख्यमंत्री गहलोत के फेसबुक पेज पर भी हो सकता है किसी ने उन्हें बदनाम करने हेतु ऐसा खेल खेला हो|

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20टिप्पणियाँ

  1. good information..

    लेकिन यह भी हो सकता है इ विरोधी की खिल्ली उड़ाने के लिए मैं उसके नाम से लाइक खरीदद लूँ?

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    1. एकदम सही कह रहे है आप ! इस बात की पूरी संभावनाएं है इन वेब साइट्स पर | कोई भी पॉइंट्स खरीदकर किसी भी पेज पर यह फार्मूला अप्लाई कर सकता है| अत: आपकी आशंका १००% सही है !!

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    2. रंजन जी आपकी आशंका पोस्ट में शामिल कर दी गयी है| अख़बार में जो लेख भेजा गया है उसमें भी आपकी आशंका अपडेट कर भेजा गया|

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  2. पैसे से सब खरीदा जा सकता है,तो लाइक्स खरीदना गहलौत जी के लिए कौन सी बड़ी बात है,,,

    RECENT POST : अभी भी आशा है,

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  3. बस एक बार खरीदने चलिये , सब कुछ बिकता है।

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  4. लाइक्स बड़े मँहगे हैं। भारत इस बाज़ार में क्यों नहीं उतरता है।

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  5. यह जानकारी पता ही नहीं थी , हम भी कुछ खरीदते हैं लाईक्स ...

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  6. अब हर दोस्त की कद्र बढ़ जायेगी एक लाइक 1.31 रुपये का ...

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  7. यह तो गजब जानकारी मिली, अब ताऊओं का असली राज सामने आया.:)

    रामराम.

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  8. हरे राम! हमने इतने लाइक फ़ोकट में दे दिये!

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  9. आज की बुलेटिन अकबर - बीरबल और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी पोस्ट (रचना) को भी शामिल किया गया। सादर .... आभार।।

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  10. चाईना वाले इसमें भी कम रेट निकाल लेंगे।

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  11. रतनसिंहजी अखबारों और इलेक्ट्रोनिक मिडिया में सुनाथा लेकिन इतनी विस्तृत और संशोधित जानकारी देने के लिये धन्यवाद

    आनंद,गुजरात से महेंद्रसिंह परमार का प्रणाम

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  12. आँख खोल देने वाला लेख . अब सोशल मीडिया पर भी पैसा बोलने लगा!

    आज के समय में सच और झूट में फर्क करना बड़ा ही कठिन है.

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  13. अब फेसबुक का जमाना है सभी लोग पॉपुलर होना चाहते है ...

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  14. 1. लाईक खरीदने का एक घाटा भी है, खरीद हूवा लाईक एक हफते भी नही रह पता है। कुछ समय पहले 2 लाख 15 हजार लाईक था और आज 2 लाख से गिर कर 6 हजार ही रह गया ;)

    2. न्युज मे आता है की 50 हजार लोग पहूचें लेकीन ईस फेसबुक लाईक का सच्चाई चानने के बाद ये भी पता चल गया गी सिर्फ लाईक ही नही.. ;)

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