बहु प्रतिभा के धनी पीयूष गोयल की कृतियां

Gyan Darpan
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नर न निराश करो मन को
नर न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो

इन लाइनों से प्रेरणा लेकर पले बढे है पीयूष गोयल १० फरवरी १९६७ को माता रविकांता व् डॉ दवेंद्र कुमार गोयल के घर जन्मे पीयूष गोयल बहु प्रतिभा के धनी है| पेशा से डिप्लोमा यांत्रिक इंजिनियर है व् एक बहु राष्ट्रीय कम्पनी मैं कार्यरत है|
इन सब के अलावा पीयूष गोयल ने दुनिया की पहली मिरर इमेज पुस्तक श्री मद भागवत गीता के रचयीता है| पीयूष गोयल ने सभी १८ अद्द्याय ७०० शलोक अनुवाद सहित हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओ मैं लिखा है| पीयूष गोयल नै इसके अलावा दुनिया की पहली सुई से मधुशाला भी लिख चुके है| अभी हाल ही मैं उन्होंने मेहंदी से लिखी पुस्तक गीतांजली लिखी है| पीयूष गोयल की 3 पुस्तके भी प्रकशित हो चुकी है। पीयूष गोयल संग्रह के भी शोकीन है| प्रथम दिवश आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगो के औटोग्राफ संग्रह (अमिताभ, सचिन, कपिल देव, राजीव गाँधी आदि )भी है!

1.उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे. आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है. पर आप ज्‍यों ही शीशे के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी. सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे. इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है| मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

2. सुईं से लिखी मधुशाला
दादरी के पीयूष ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों कि ऑंखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है I पीयूष ने पूछने पर बतया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? तो पीयूष ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तको को पढने के लिए शीशे क़ी जरुरत पड़ती है, पदना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मेने सूई से स्वर्गीय श्री हरबंस राय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को करीब २ से २.५ महीने में पूरा किया यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयीं है और इसको पदने लिए शिसे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों इतने प्यारे जेसे मोतियों से पेजों को गुंथा गया हो I उभरे हुए हैं जिसको पदने में आसानी है और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व् सूई से लिखी गई है और इसका श्रेय भारत के दादरी कसबे के निवासी 'पीयूष ' को जाता है I

3. कील से लिखी"पीयूष वाणी
अब पीयूष ने अपनी ही लिखी पुस्तक"पीयूष वाणी "को कील से अ-4 साईज की एलुमिनिउम सीत पर लिखा है.पीयूष ने पूछने पर बतया कि आपने कील से कयू लिखा है?पीयूष ने पूछने पर बतया कि मै इस से पहले दुनिया की पहली सुई से स्वर्गीय श्री हरबंस राय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को लिख चुका हु.अब मन मै विचार आया कि कयू न कील से भी प्रयास किया जाये सो मैने अ-4साइज कि अलुमिनिउम सित पर लिख्नने मै सफल हुआ .अलुनिनिउम की सित पर लिख्नना अलग बात है,और कागज पर लिख्नना अलग बात है.और ये हमेशा जिन्दा रहेगी।

4. मेहँदी से लिखी गीतांजलि
पीयूष ने एक ऑर नया कारनामा कर दिखाया उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबल पुरुस्कार विजेता "रविन्द्र नाथ टेगोर" की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को "मेहंदी कोन" से लिखा है i उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेहँदी से गीतांजलि लिखनी शुरु की ऑर सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पुरे कर दिए i इसको लिखने में 17 कोन व् दो नोट बुक प्रयोग में आयीं i पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधि में सुन्दर कांड, आरती संग्रह , हिंदी व् अंग्रेजी दोनों भाषाओ में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं I और "राम चरित मानस"((dohe, sorta and chopai) को भी लिख चुके है । .

अपने काम के प्रति लगन के मामले में पीयूष कहते है -"मधुमखियो को यह नहीं पता होता कि हम शहद बना रहे हैं वो तो सिर्फ अपना काम कर रहीं हैं" ।




लेखक : गोपाल गोयल iamcreative100@gmail.com>

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8टिप्पणियाँ

  1. सुपर ह्यूमन ऐसे ही होते हैं जो लीक से हटकर कुछ करते हैं। ऐसे लोग अलग रास्ता ही चुनते है मंजिल तक पहुँचने को, पहले से बने हुये रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते। सही मे इसकी प्रतिभा कबीले तारीफ है

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  2. ये तो आश्चर्यजनक है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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