गांवों में आज भी शादी हो या अन्य समारोह इंतजाम के लिए गांव वाले मिलकर ही कार्य करते है| शादी समारोह में मिठाइयाँ आदि बनाने के लिए हलवाई तो जरुर आता है पर उसकी सहायता के लिए गांव वाले ही कार्य करते है और सब बिना मेहनताने के एक दुसरे की सहायता स्वरूप होता है|
पर गांवों में कई व्यक्ति ऐसे भी होते है जो मेहनत नहीं करना चाहते और कार्य पूरा होते ही वहां पहुँच जाते है ताकि कोई यह नहीं कह सके कि वे काम करने आये ही नहीं थे| ऐसे व्यक्तियों के लिए अक्सर राजस्थान में ग्रामीण लोग हंसी मजाक करते हुए इस कहावत का प्रयोग करते है| खीरां आई खिचड़ी अर टिल्लो आयो टच्च यानि जब खिचड़ी पक गयी तो टिल्ला खाने के लिए झट से आ गया|
गांवों में ऐसे स्मार्ट बच्चों व व्यक्तियों के लिए जो अपने मतलब के लिए एकदम सजग रहते है को अक्सर टिल्ला कह कर पुकारा जाता है|
Rajasthani kahawat, lok lahavate, kahavate
बिलकुल सही .....ये लोग अपने आप को प्रदर्शित करने का मौका नहीं गवाते ।
जवाब देंहटाएंसहमत
जवाब देंहटाएंऐसे ही लोगों को आजकल बुद्धिमान समझा जाता है.
जवाब देंहटाएंसत्य वचन सर जी
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
हर जगह यह प्रजाति पायी जाती है।
जवाब देंहटाएंदेश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
मैं कई बारातों में ऐसे लोगों को प्रत्यक्ष देख चुका हूं। काम न करें या काम समाप्त होने पर मेहमान बनकर पहुंचे यह तो सहनीय है, पर उसके बाद कार्यकर्ताओं के काम में मीन-मेख निकालने की इनकी आदत से बहुत पीड़ा होती है।
जवाब देंहटाएंबेसरम की तरह हर जगह यह प्रजाति पनप रही है,,,,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
पहले ऐसे टिल्ला कम पाये जाते थे पर आजकल ये बहुतायत में पाये जाते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
aaj charo aur tile hi tile hai
जवाब देंहटाएंHar tille ke sath bi aesa hi karna chahiye
जवाब देंहटाएंHamare yaha to 90% tille h
जवाब देंहटाएंHamare yaha to 90% tille h
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