सेकुलर दोगलापन

Gyan Darpan
20
बाबा रामदेव के अनशन की घोषणा के बाद मिडिया से लेकर ब्लोग्स तक पर बाबा के समर्थन और विरोध में बहुत कुछ लिखा गया किसी ने बाबा की मजाक उड़ाई तो किसी ने उन्हें कारोबारी कहा और सबसे बड़ी हद दिग्गी राजा ने करदी कि बाबा को ठग ही कह डाला | सेकुलर लोग बाबा के अनशन करने पर इतने तल्ख़ थे उनके विचार से तो बाबा को सिर्फ योग तक सिमित रहना चाहिए | एसा सोचते और लिखते हुए उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि बाबा भी इस देश के नागरिक है और उन्हें भी इस देश की किसी भी ज्वलंत समस्या पर अपने विचार अभिवक्त करने का भारतीय संविधान उतना ही अधिकार देता है जितना उन तथाकथित सेकुलरों को देता है,साथ ही कारोबार करने का भी | खैर अब बाबा का आन्दोलन लट्ठ के जोर पर दबा दिया गया है,भट्टा-परसोला में युपी पुलिस की किसानों पर हिंसक कार्यवाही पर घड़ियाली आसूं बहाने वाली सेकुलर सरकार और उसके समर्थक सोते हुए,निहत्थे,बूढों,बच्चो व महिलाओं पर लाठियां भांज उन्हें भागकर वीरोचित भाव दर्शा रहे है पुरे सेकुलर गिरोह का सीना इस विजय से चौड़ा हुआ जा रहा है और हो भी क्यों नहीं जो सरकार राजस्थान में आरक्षण के लिए रेले रोकने वाले गुजरों के आगे कुछ नहीं कर सकी,पिछले दिनों जाट आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रेल पटरियों से नहीं हटा पायी उस बदनामी का बदला आखिर उसने रामलीला मैदान में रावण लीला कर ले लिया | धन्य हो सेकुलर सरकार धन्य हो | धन्य है तुम्हारी वीरता जो सोते हुए लोगों को तुम्हारी पुलिस ने बड़ी वीरता से खदेड़ दिया | इस वीरता के लिए तो दिल्ली पुलिस के महानिदेशक को वीर चक्र देना चाहिए |
अब चर्चा करते है सेकुलर लोगों द्वारा उठाये जाने वाले दोगले सवालों पर -
१- बाबा को योग तक सिमित रहना चाहिए|
क्यों ? क्या बाबा इस देश के आम नागरिक नहीं है ? क्या महंगाई का असर बाबा के भक्तों पर नहीं पड़ता ? क्या बाबाओं को कोई अनशन या आन्दोलन करने का हमारा संविधान ईजाजत नहीं देता ?
२- बाबा कारोबारी है ?
क्या इस देश में किसी को कारोबार करने की ईजाजत नहीं है ? बाबा रामदेव ने कारोबार कर धन कमाया है तो इसमें बुरा क्या है ? कारोबार भी तो संविधान में बने नियमों के अंतर्गत होता है | यदि बाबा ने कारोबार में अनिमितता की है,कर चोरी की है तो उसकी जाँच करवाई जा सकती है | क्या इस देश में कोई कारोबारी राजनीति नहीं कर रहा ? सरकार में शामिल मंत्री सांसदों में से कोई कारोबारी नहीं है ? देश की आजादी में जमनालाल जी बजाज जैसे कारोबारियों ने क्या हिस्सा नहीं लिया था ?
३- बाबा का मंतव्य राजनैतिक है |
क्या बाबा राजनीती में नहीं आ सकते ? क्या राजनीती करने का एकाधिकार सिर्फ उन्ही को है जो राजनीती में है ? जब चोर,डाकू,देशद्रोही,आतंकी,माफिया इस देश की राजनीति में घुल-मिल सकते है तो क्या कोई साधू राजनैतिक महत्वाकांक्षा नहीं पाल सकता ? क्या इस देश में पहले साधू महात्माओं ने चुनाव नहीं लड़े ? क्या इस देश की संसद में कभी कोई साधू सांसद नहीं बना ?
४- बाबा अपने ट्रस्ट की सम्पत्ति घोषित करे, साथ ही दान दाताओं की सूचि जारी करे |
क्या कभी किसी सेकुलर ने अपने एन जी ओ ,ट्रस्ट की सम्पत्ति घोषित की है ? क्या कभी कांग्रेस ने राजीव गाँधी फाउंडेशन की सम्पत्ति घोषित की है ? यदि नहीं तो पहले खुद घोषित करे ,साथ ही वह सूचि भी जारी करे जिन्होंने उस ट्रस्ट को दान दिया है और ये भी बताये कि -दान देने वाले ने दान के बदले सरकारी रियायतों का कितना फायदा उठाया ?
५- बाबा रामदेव ठग है |
पिछले दिनों सत्यसाईं बाबा की मौत के समय मैंने उनके और उनके चमत्कारों के बारे में काफी पढ़ा | कई वैज्ञानिको ने सत्यसाईं बाबा को ठग या जादूगर बताया | यु ट्यूब पर उनकी चालबाजी करते हुए वीडियो भी दिखाया गया | उन्होंने भी पैसा दान लेकर ही बनाया पर उनकी मौत के बाद उन्हें तिरंगे में लिपटाया गया सोनिया व मनमोहन उनके दर्शनों को गए | जिस व्यक्ति को वैज्ञानिक ठग व जादूगर ठहराने पर तुले थे उसको एसा सम्मान क्यों ? क्या यह दोगलापन नहीं ?
क्या कभी इस सरकार में यह सोचने की भी जरुरत की है कि -चर्च में आने वाले पैसे का श्रोत क्या है ?
इसी सेकुलर पार्टी के शासन में धीरेन्द्र ब्रहमचारी व तांत्रिक चंद्रास्वामी के रुतबे को भी आप देख चुके है |
दो शंकराचार्यों को आगे कर कांग्रेस ने उनसे बाबा रामदेव पर अवैध धन रखने का आरोप लगवाया गया | क्या उन शंकराचार्यों के पास जो धन है वो उन्होंने कमाया है ? क्या दान में आया धन नहीं है ? क्या रामदेव के ट्रस्टों के साथ उनकी जाँच करवाना जरुरी नहीं है ? क्या यह भी इस सेकुलर सरकार का दोगलापन नहीं है ?

नोट- मुझे बाबा का प्रवक्ता ना समझे,मैंने बाबा को सिर्फ एक आम नागरिक मान उसके मौलिक अधिकारों व तथाकथित सेकुलरों के दोगलेपन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है जरुरी नहीं आप मेरे विचारों से सहमत हों |
Tags

एक टिप्पणी भेजें

20टिप्पणियाँ

  1. पुरे "कथित सेकुलर गिरोह" का सीना कहो जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. sry hukum i cannot type in hindi so i thought to express my views in english -
    Baba Ramdev is a citizen of India and according to Indian constitution India is a sovereign , socialist and democratic country.
    Each citizen of India has some fundamental rights -
    Under right to freedom a citizen has got following rights
    1.right to speech
    2.right to forms union and associations
    3.right to move freely throughout the country.
    4.right to assemble peacefully without arms, on which the State can impose reasonable restrictions in the interest of public order and the sovereignty and integrity of India.

    Baba ramdev had not violated any law he was just expressing his views against government .
    And why khangress is scared so much with Baba Ramdev is it involvement in scams and corruption scandles . From Bofors to 2g spectrum khangress was involved in all scams and corruption scandals ......

    (sry hukum i cannot type in hindi so i thought to express my views in english)

    -khamma ghani

    जवाब देंहटाएं
  3. @ दिग्विजय जी
    आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर गूगल की सेवा का इस्तेमाल करते हुए रोमन से हिंदी लिख सकते है
    http://www.google.com/transliterate/indic

    जवाब देंहटाएं
  4. कानून आम नागरिक के लिये ,सारे हक भ्रष्टाचारियों के लिये ...

    जवाब देंहटाएं
  5. १- बाबा को योग तक सिमित रहना चाहिए|

    बिल्कुल नहीं, उन्हें जो अच्छा लगता है वो करे... पर छुप कर न करे.. अगर राजनीति करनी है तो करे और सीना ठोक कर कहें की मैं राजनीति कर रहा हूँ... योग और राजनीति के लिए अलग मंचों का उपयोग करे... मैं उनका योग पसंद करता हूँ और राजीनित नहीं तो मैं उनके पास नहीं जा सकता... क्योकि वो योग सीखाते सीखाते राजनीति भी करेंगें...


    २- बाबा कारोबारी है ?
    बिल्कुल कारोबारी है.. और कारोबार करना कानूनन अपराध नहीं है... वे करें..बहुत अच्छा करे पर ट्रस्ट के नाम पर न करें... ट्रस्ट के नाम पर सरकारी रियायतें लेकर मुनाफा वसूली नहीं कर सकते...



    ३- बाबा का मंतव्य राजनैतिक है |

    बिल्कुल है, हर नागरिक का होना चाहिए... बाकी उत्तर एक में जो है...


    ४- बाबा अपने ट्रस्ट की सम्पत्ति घोषित करे, साथ ही दान दाताओं की सूचि जारी करे |

    बिल्कुल करनी चाहिए... और केवल ट्रस्ट की क्यों कंपनी की भी करनी चाहिए.... अगर कोई नहीं करता तो उसे भी करना चाहिए... जिसे 'गलत और भ्रष्ट' समझते है उनका उदाहरण लेकर आप अपनी मिसाल नहीं से सकते....

    ५- बाबा रामदेव ठग है |
    पता नहीं..

    जवाब देंहटाएं
  6. रतन जी, दोगनापन तो दोगलापन होता है, वह चाहे सेकुलर हो अथवा भगवा। इसलिए सिर्फ एक के बारे में लिखना लेखन के एकांगी दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है।

    ---------
    ये शानदार मौका...
    यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...

    जवाब देंहटाएं
  7. बड़ी विकट स्थिति है... बाबा रामदेव की मुहिम को गाँधी के देश में गाँधी के तथाकथित अलम्बरदारों द्वारा जिस तरह से कुचला गया और जिस तरह से मीडिया और काँग्रेसी पिग्गी उनके पीछे पड़े लोग आने वाले समय में अनशन करने से पहले दस बार सोचेंगे... इससे बड़ी लोकतन्त्र की हत्या और क्या हो सकती है...अगली बारी अन्ना की भी आने वाली है...आखिर ये सेक्युलरिज्म के नाम पर देश को कहाँ ले जाना चाहते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय शेखावत जी आपसे पूरी तरह सहमत हूँ|
    बाबाजी पर उठाए गए सभी बेबुनियाद सवालों का आपने बहुत ही सही तरीके से उत्तर दे दिया है...अब इस सेक्युलर सरकार का समय ख़त्म हो गया है...
    आपका आभार...

    जवाब देंहटाएं
  9. रतन जी,
    बाबा की व्यक्तिगत पसंद नापसंद से आलोचना ही करना उन सभी की व्यक्तिगत क्षुद्रता है। जो उन आलोचको की बातों में बिट्वीन द लाईन्स हम पढ सकते है। उनका राजनैतिक समस्याओं पर आगे आना उन्हें पसंद नहीं। ये मात्र सेक्युलर ही नहीं है वे कुरिति संरक्षक मजहबी भी है जो इमान को सर्वप्रथम सिद्धांत मानते है भ्रष्टाचार का विरोध इमान का ही प्रश्न है लेकिन किसी भगवा वस्त्रधारी द्वारा उठाए जाने पर उनके इमान के पेरामीटर बदल जाते है और भ्रष्टाचार पीछे ठेल कर बाबा ही क्यों पर आ जाते है।

    जवाब देंहटाएं
  10. कांग्रेस का हांथ पबलिक के साथ...(जैसे रामलिला मैदान मे)

    जवाब देंहटाएं
  11. ओह!

    कांग्रेश का हाथ आम आदमी के साथ(जैसे रामलिला बैदान में!)

    जवाब देंहटाएं
  12. देश की जनता को दारु पिला कर वोट लेने वाले लोग डरते हैं कहीं किसे के जगाने से वह जाग न जाए, इसलिए सारे हथकंडे अपना रहे हैं,बाबा गैर राजनीतिक व्यक्ति थे इसलिए धोखा खा गए, इसकी चर्चायहाँ भी है, पधारें।

    जवाब देंहटाएं
  13. शेखावत जी क्या मेरे ब्लाग की सामग्री को भी आप इसी श्रेणी मे रखते हैं ? मुझ जैसे अनेको लोगो का विचार था कि बाबा को राजनीतिक ताकतो से खुद को दूर रखते हुये जन आंदोलन करें पर ऐसा नही हुआ खुद भ्रष्ट आचरण मे जुड़े हुये लोगो को साथ रख क्या बाबा भ्रष्टाचार से लड़ सकते हैं दूसरे पुलिस के हमले मे उनके द्वारा किया गया व्यहवार भी अनेपेक्षित था । मेरे विचार से इस चोर कांग्रेस को सबक सिखाने के लिये हमे ऐसे आदमी की जरूरत है जो गैरराजनैतिक आंदोलन खड़ा करे या मोदी जी जैसे साबित इमानदार नेता हो ।

    जवाब देंहटाएं
  14. @ अरुणेश जी
    १- आप सही कह रहे है बाबा को मंच पर साध्वी ऋतंभरा आदि को बुलाने से परहेज करना चाहिए था ,उन्हें साथ लेकर बाबा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को कांग्रेस द्वारा सेकुलर बनाम कम्युनल में बदलने का मौका दे दिया |
    २- आपका यह कथन भी सत्य है कि बाबा को ऐसे लोगों से मिलने से परहेज करना चाहिए जो खुद भ्रष्ट है जैसे चौटाला आदि |
    ३- पुलिस हमले के बाद बाबा के भागने को एक क्षत्रिय होने के नाते मैं तो कतई ठीक नहीं मानता | लेकिन इस तरह मर कर खुद ख़ुशी करना भी कुटनीतिक लिहाज से ठीक नहीं था | सिर्फ जान देकर युद्ध नहीं जीते जाते उसके लिए जिन्दा रहना होता है | हमारे पूर्वजों ने युद्धों में यही गलती की वे जिन्दा रहकर युद्ध जारी रखने के बजाय मरना पसंद करते थे |उस समय की परिस्थितयों का आकलन कर ही बाबा ने भागने का निर्णय लिया होगा | जरुरी नहीं कि ऐसे मौकों पर लिया गया निर्णय सबको पसंद हो |

    जवाब देंहटाएं
  15. रतन जी ,
    बेहद सटीक और तार्किक बातें कहीं है आपने। पूरी तरह सहमत हूँ आपसे ।

    जवाब देंहटाएं
  16. भगवा को गाली दो और अपने आपको सेकुलर साबित कर दो | हमारे देश का प्राचीन समय में भगवा झंडा रहा था इस लिए हमारी संस्कृति से जलने वाले लोग भगवा को गाली निकाल कर अपने आप को सेकुलर समझते है |

    जवाब देंहटाएं
  17. अजीब लोग हैं भई इस भारत में... देश लुटा जा रहा है और हम लुटेरों को उन्ही के सिद्धांतों से पकडना चाहते हैं.... हम तो खुद कर नही पा रहे हैं... एक ऐसा आदमी खोज रहे हैं, जो हमारे, कांग्रेस के , सभी सेकुलरों के, सभी गद्दारों के मन मुतानिक रस्ते पे चलकर इनसे देश को बचाए,... क्या वो आगे आने वाला व्यक्ति इन सभी का गुलाम होगा...????

    जो भी नेतृत्व करेगा वो शर्तों के साथ करे! फिर वो आप को बचाने क्यूँ आये?
    सिर्फ उन्हें हि पड़ी है चिंता... वो लड़ाई लदे और सिद्धांत आप टी करो?
    बाबा को किसी भी तरह से चाहे भगवा, चाहे साध्वी ऋतम्भरा, या फिर चौटाला का नाम ले कर कोशने से कोई नया नेता नही आ रहा जो १५० करोड मनों के मुताबिक लगभग १० करोड भ्रष्टों से लद सके... इन दस करोड में वे भी शामिल है जो व्यापार और आभास में भ्रष्टाचार करते हैं|

    स्वयम कुछ करें !
    और अगर नही तो शर्ते लादना तो छोड़ हि दे|

    जवाब देंहटाएं
  18. @ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ (Zakir Ali 'Rajnish') says: June 15, 2011 9:53 AM Reply
    रतन जी, दोगनापन तो दोगलापन होता है, वह चाहे सेकुलर हो अथवा भगवा। इसलिए सिर्फ एक के
    बारे में लिखना लेखन के एकांगी दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है।

    दोगलापन का रंगा हारा भी होता है. pehle aap uske baare me likhe

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें