पहेली बूझक राजा को ताऊ ने सिखाया सबक

Gyan Darpan
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आपने ज्ञान दर्पण पिछली पोस्ट "पहेली से परेशान राजा और बुद्धिमान ताऊ" में पढ़ा कि कैसे रामपुर के राजा को ताऊ ने पडौसी राजा की पहेलियों से बचाया | ताऊ द्वारा रामपुर के पडौसी राजा द्वारा भेजी सभी कठिन पहेलियों को हल करने से भौचंके पडौसी राजा ने निश्चय किया कि रामपुर राजा के दरबार में पहेली हल करने वाले बुद्धिमान ताऊ से वह खुद व्यक्तिगत रूप से रामपुर जाकर मिलेगा , और ताऊ की प्रतिभा व्यक्तिगत तौर पर देखेगा और हो सका तो इतने बुद्धिमान महाघाघ ताऊ को जैसे कैसे पटाकर अपने यहाँ लाकर मंत्री बनाएगा |

इसी उद्देश्य से वह राजा रामपुर राज्य पहुँच गया, रामपुर के राजा ने अपने मित्र ताऊ को पडौसी राजा को कोई सबक सिखाने के लिए पहले ही कह दिया था ताकि वो दुबारा उसे कठिन पहेलियाँ भेज कर परेशान ना करें | इसलिए रामपुर नरेश ने पडौसी राजा की आगवानी करने से लेकर उसके सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था का जिम्मा ताऊ को दे दिया था | ताऊ ने भी मन में पडौसी राजा को सबक सिखाने का पक्का निश्चय कर रखा था, ताऊ ने राजा के भोज के लिए बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनवाये थे, उसका स्वागत भी बहुत बढ़िया तरीके से करवाया था शायद वैसा सत्कार तो भारत आये ओबामा को भी नहीं मिला होगा |

अपने जोरदार आदर सत्कार से अभिभूत पडौसी राजा जैसे ही खाने पर पहुंचा ताऊ ने दो बड़ी सी सुखी घिया के खोल जो पाइप सरीखे थे राजा को दिखा कर बोला कि हे राजन ! हमारे यहाँ अतिथि को भोजन कराते समय ये पाइप नुमा सुखी घिया के खोल उसके हाथों में पहना दिए जाते है ये खोल पहनकर ही हम विशिष्ट अतिथि को भोजन कराते है यही हमारे यहाँ की परम्परा है इसलिए आप ये खोल अपने हाथों में पहन कर भोजन करें |
राजा ने ताऊ के कहने पर वो पाइप नुमा खोल पहन लिए पर खोल पहनने के बाद हाथ की कोहनी तो मुड़ नहीं सकती इसलिए बेचारा राजा खाना कैसे खाए ? ताऊ ने राजा के सामने छप्पन तरह के भोग लगवा दिए पर हाथ नहीं मुड़ने के चलते बेचारा राजा कुछ भी नहीं खा सका और अपने तीन दिन के राजकीय प्रवास के दौरान उसका भूख से हाल बेहाल हो गया | उसने मन ही मन सोचा कि वह ताऊ को अपने राज्य में आमंत्रित कर एसा ही सबक सिखयेगा | और अपने विदाई समारोह के दौरान उसने रामपुर के राजा से अनुरोध कर डाला कि अपने बुद्धिमान मंत्री ताऊ को हमारे राज्य की यात्रा के लिए जरुर व जल्द भेजें |

इस आमन्त्रण के बारे में सुनकर महाघाघ ताऊ तो समझा गया था कि पडौसी राजा अपनी बीती का बदला जरुर लेगा, पर ताऊ को भी अपने ताउपने पर पूरा भरोसा था, सो वो नियत समय पर अपने कुछ साथियों (राम प्यारे आदि)व मित्र राजा के सैनिको सहित पडौसी राज्य की राजनैतिक यात्रा पर पहुँच गया | पडौसी राजा ने ताऊ के लिए ठीक उसी तरह का भोजन बनवाया जैसे ताऊ ने उसके लिए रामपुर में व्यवस्था की थी और घिया के खोल के पाइप की जगह राजा ने लोहे के पाइप बनवा रखे थे | भोजन के समय राजा ने ताऊ से कहा कि आपके यहाँ हाथों में पाइप पहन कर खाने का रिवाज है सो मैंने आपके लिए धातु के पाइप बनवा दिए ये पहनकर भोजन का आनन्द लीजिए | और राजा के मंत्रियों ने ताऊ को हाथों में लोहे पाइप पहना दिए जो कंधो से लेकर कलाई तक लम्बे थे | राजा ने ताऊ की यात्रा का समय भी सात दिन का रखा था ये सोचकर कि ताऊ को सात दिन तक भूखा रखूँगा |

पर ताऊ आखिर ताऊ था उसने पाइप हाथों में ख़ुशी-ख़ुशी पहने और भोजन के लिए बैठ गया | जैसे ताऊ के आगे भोजन परोसा गया ताऊ ने राजा से कहा कि हमारे यहाँ परम्परा है हम अकेले भोजन नहीं करते सो आप अपने मंत्री को हमारे साथ खाने के लिए बुलाइए | राजा ने तुरंत अपने मंत्री को बुलवा भेजा, ताऊ ने मंत्री को भी हाथों में पाइप पहनावा दिए और खाने के थाल पर अपने सामने बिठा दिया, ताऊ ने अपने पाइप पहने हाथ से खाना उठाया और मंत्री को खिलाते हुए (पाइप पहनने के बाद हाथ तो मुड़ नहीं सकता था इसलिए ताऊ ने खाने का जुगाड़ लगा लिया) बोला कि हमारे रिवाज के अनुसार आप अपने हाथ से हमें खिलाइए और हम अपने हाथ से आपको खिलाएंगे | और दोनों ने एक दुसरे को खाना खिलाते हुए स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया |

राजा ये सब देखकर हैरान रह गया वह समझ गया ये ताऊ घाघ ही नहीं महाघाघ है और इसके रहते रामपुर के राजा के पास आगे से कोई पहेली भेजने का कोई फायदा नहीं और राजा ने ताऊ के आगे अपनी हार मान ली कि आगे से वह उसके मित्र रामपुर के राजा को कभी पहेलियाँ भेजकर परेशान नहीं करेगा |

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9टिप्पणियाँ

  1. दूसरों को सुख दुख में शरीक कर लेना चाहिये।

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  2. एक बार फिर ताऊ कि ताऊगिरी महान सिद्ध हो गयी है |

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  3. लगै ताऊ नै घाघपनै मैंह पी.एच.डी कर राक्खी सै :)

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  4. हा-हा-हा
    मजेदार
    राजा तो क्या कोई भी ताऊ से टक्कर नहीं ले सकता।
    जै हो ताऊ की

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  5. Vatav Mein Tau Bada Budhiman Tha Budhi Balaat Gariyese

    Yane Bal Se Budhi Badhkar Hoti Hein

    Dhanyavad Thank You

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