सलवटे

SHEKHAWAT HIMMAT
17

क्या लिखू क्या न लिखू , कलम ये ख़ामोश हे !
गिर गया आंख से आंसू सलवटे हे फिर कागज़ पे !
क्या लिखू क्या न लिखू ...........
लिखने बेठा जो में हाल मेरे दिल का !
रुका न अश्क पलकों से गिरा वो दिल की कब्र पे !
सुलग उठे वो अरमा सोये दिल के महरबान !
किया मुझको परेशा फिर बीती यादों के सायों ने !
क्या लिखू क्या न लिखू ...........
दिल में यादे सजी ह सपने आखों में अब भी हे !
फिर भी तेरी कसम शिकवा कोई लब पे नहीं हे !
ख़ुशी के वो चंद लम्हे अब भी आखों में चुभते हे !
समेटे दर्द मुहबत का पलकों से गिरते हे !
क्या लिखू क्या न लिखू ...........
मत सजाओ पलकों में छलक जायेगे ये सपने !
यादे जब सताएगी अश्क बन के गिर जायेगे !
महज़ पानी की बूंद ह समझो तो मन का सकून हे !
टप टप ये गिरे इनमे कोई शिकवा जरुर हे !
क्या लिखू क्या न लिखू ...........
ना लब ये खुले न आवाज़ ही निकली!
गिरा अल्फाज़ बनके अश्क कागज़ की इन लकीरों पे !
बया कर गया हाल दिल का बेरहम सलवटे बन कर !
क्या लिखू क्या न लिखू ...........

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17टिप्पणियाँ

  1. महज़ पानी की बूंद ह समझो तो मन का सकून हे !... बहुत सुंदर पक्तिया है |

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  2. दिल में यादे सजी ह सपने आखों में अब भी हे !
    फिर भी तेरी कसम शिकवा कोई लब पे नहीं हे !
    ख़ुशी के वो चंद लम्हे अब भी आखों में चुभते हे !
    समेटे दर्द मुहबत का पलकों से गिरते हे !

    अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...

    इसे पढ़कर अपनी राय दे :-
    (आपने कभी सोचा है की यंत्र क्या होता है ....?)
    http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html

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  3. मत सजाओ पलकों में छलक जायेगे ये सपने !
    यादे जब सताएगी अश्क बन के गिर जायेगे
    really niceeeeeeeeee.........:)

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  4. बढ़िया पंक्तियों के साथ शानदार रचना

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  5. गिरा अल्फाज़ बनके अश्क कागज़ की इन लकीरों पे !
    बया कर गया हाल दिल का बेरहम सलवटे बन कर !
    क्या लिखू क्या न लिखू ...........
    बहुत सुंदर रचना जी

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  6. अच्छी है..पंक्तियाँ
    पर
    शिकवा तो जरूर है.;
    " और सुन्दर हो सकती थी --ये कविता.

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  7. महज़ पानी की बूँद समझो तो ही मन का सुकून है ...
    सुन्दर !

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  8. बहुत उम्दा!





    हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!

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