आज का ख्याल -2

pagdandi
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अभी कुछ दिन पहले गाँव गई थी तो शाम के वक्त घूमते घूमते खेतों की तरफ निकल गई .वापस लौटते समय रास्ते में बहुत धुल उड़ रही थी क्योंकि मेरे साथ लौट रहे थे सारे चरवाहा अपने अपने पशुधन को लेकर और और वो धूल उड रही थी उनके पशुधन के पैरों से, पता है मैनें देखा की वो सभी पशु अपने ग्वाले से आगे भाग रहे थे उन्हें बहुत जल्दी थी घर जाने की .और वे पशु अपने-अपने बाड़ों मे सीधा घुस गए और अपने अपने बछड़ों को गले लगा लगा कर चूम रहे थे चाट रहे थे बहुत अच्छा लग रहा था देख कर....उसी समय आसमान में भी यही नजारा था वहां भी पक्षियों का झुण्ड का झुण्ड उड़ा जा रहा था अपने घोसलों की तरफ हां में बस उनके साथ उड़ नहीं पाई, पर मे पुरे विश्वास के साथ कह सकती हूं की वो भी अपने बच्चों को इसी तरह दुलार रहे होंगे .
बस सोचते सोचते गाँव मे प्रवेश कर लिया तभी देखा एक काकी जो जाति से कुम्हार है ओर और भी कई जाति की औरतें थी जिसमे मैं राजपूतों का नाम भी लेना चाहुंगी .आपस मे बातें कर रही थी कि ६ बजे वाली गाड़ी तो कब की निकल गई पर अभी तक मेरे वो नहीं आये घर पर वो से मतलब पति परमेश्वर से था .मेरा घर पास मे ही था तो मै भी वहीं बाते करने लग गई बातों ही बातों मे २ घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चला पर तब तक उनके वो नहीं लौटे. मैने पूछा काकी कहां रुक गए तो बोली आज लगता है कि स्टेशन [दारू की दुकान ]पर रुक गए है अब आयेगें तो आज घर मै तो महाभारत होनी है .ये सुन कर बहुत दुःख हुआ .थोडा आगे आई तो मैनें हमारी पड़ोसन को आवाज लगाई, भोजाई सो गई क्या ?तो वो भाग कर बहार आई और बोली नहीं नहीं म्हारा बेटा अभी कहां सोना ,आज तो आपका भाई चढ़ा के आया है आज नींद कहां ? आज तो सारी रात रातिजगो लागेलो वो भी गालियों का,सुन कर बहुत दुःख हुआ पर ये सच है सिर्फ गाँवो का ही नहीं शहरों का भी. तो क्या अब ये मान लिया जाये कि एक परिवार का मुखिया होना इन्सान से ज्यादा अच्छे से पशु और पक्षी निभाते है ,मानना क्या है सामने है आपके .मै इस बारे मे ज्यादा कुछ नहीं कहुंगी पर.........अब ख्याल है आ गया सो आ गया जी.......जब जानवर भी शाम को अपने घरो की तरफ भागता है तब हम इन्सान मदिरालय या फिर कोई ओर ठिकाना क्यों ? हम क्यों नहीं अपने बीवी बच्चो के पास भागते हुए आते है खैर ये सब का सच नहीं है पर हां ये ख्याल झूठां भी तो नहीं है ना.......

केसर क्यारी (उषा राठौड़)

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17टिप्पणियाँ

  1. ये शराब परिवारों व स्वास्थ्य को ठीक उसी तरह चट कर जाएगी जैसे दीमक लकड़ी को चट कर जाती है

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  2. छोटी-छोटी बातों में भी गंभीर विषय तलाशना कोई आपसे सीखें :)

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  3. समाज में पता नहीं क्यों परिवार वह स्वस्थ परिवेश नहीं दे पाते हैं जिससे सायं सब घर में बैठें और सुख दुख बाटें। परिवारों को मानसिक और बौद्धिक रूप से दृढ़ नहीं किया जायेगा तो समाज कमजोर पड़ जायेगा।

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  4. बहुत विचारणिय पोस्ट, आभार.

    रामराम

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  5. रतन जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

    आपके लिए ये दिन लाखों बार आये |

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  6. ऊषा जी ,बहुत ही सुन्दर बात कही है आपने | इस शराब की लत ने बड़े बड़े राज घरानो का पतन कर दिया था | आजकल की युवा पीढ़ी इसे आधुनिकता का नाम देकर अपना वर्तमान और भविष्य बर्बाद कर रही है | एसी जागरूक करने वाली पोस्ट हेतु आपका आभार |

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  7. Bahut Khoob Iss sharab ki barbadi ka sabse bada udharun hum sab ke saamne hai "Devdas".Nicely written & potrayed.Congrats

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  8. पता नही लोग पीते क्यो है कि उन्हे होश ही ना रहे.....

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  9. जब जानवर भी शाम को अपने घरो की तरफ भागता है तब हम इन्सान मदिरालय या फिर कोई ओर ठिकाना क्यों ?

    काश कि हर व्यक्ति यह समझ पाए ...
    अच्छी पोस्ट ...!

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  10. पक्षी, पशु और पर्यावरण
    सदा करें इनको ही वरण
    शराब के पड़ गए चरण
    सो मानवता हो गई क्षरण।

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  11. I am surprised of your thinking skills, you relate two things very simply in your post.

    I can't say anything about the "DARU", It is not good for our society. But a discussion can not solve this problem.

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