आईये हिंदी चिट्ठों पर पाठक बढ़ाएं

Gyan Darpan
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मानव जीवन में बहुत से ऐसे विलक्ष्ण क्षण आते है जो अविस्मर्णीय होते है ऐसे ही विलक्ष्ण पलों का मौका था नागलोई जाट धर्मशाला में आयोजित हिंदी चिट्ठाकार सम्मलेन में बिताये चार घंटों का , जहाँ आभासी कही जाने वाली दुनियां के आभासी मित्रों से साक्षात होने के अवसर ने इन पलों को अविस्मर्णीय बना दिया | यहाँ मिलने वाले हिंदी चिट्ठाजगत के मित्रों से अब तक सिर्फ उनके द्वारा लिखे लेखों व टिप्पणियों के माध्यम से ही कभी कभार संवाद होता था | अत: सम्मलेन की सुचना मिलते ही आभासी दुनियां के इन मित्रों से साक्षात मिलने की उत्सुकता बढ़ गयी थी व मिलने पर जो सुखद अनुभूति व ख़ुशी हुई वह शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती |
इस सम्मलेन में किसने क्या कहा वो सारी ख़बरें आप तक विभिन्न चिट्ठों के माध्यम से पहुँच चुकी है अत : उन्हें दुहराने की बजाय मैं सीधे मुद्दे पर आता हूँ |
दोस्तों आज हिंदी चिट्ठाजगत को सबसे जरुरत है तो वो है पाठकों की | अंतरजाल पर अभी भी हिंदी पढने वाले बहुत कम है जो हमारे चिट्ठों को पढ़ सके इसके लिए हमें प्रयास करना होगा कि अंतरजाल पर ज्यादा से ज्यादा लोग हिंदी पढ़े | जब पाठक बढ़ेंगे तो लिखने वालों के हौसले भी बढ़ेंगे साथ पाठकों में से भी बहुत से लोग हमारे चिट्ठों से प्रभावित व् प्रेरित हो चिटठा लिखना शुरू कर देंगे इस तरह यदि हम अंतरजाल पर हिंदी पाठक बढ़ाने का प्रयास करेंगे तो चिट्ठाकार अपने आप बढ़ जायेंगे |

पर सवाल यह उठता है कि पाठक आते कहाँ से है ?

यदि आपने अपने चिट्ठे पर गूगल विश्लेषक या कोई अन्य औजार लगा रखा है जो आपके चिट्ठे पर आपने वाले पाठकों कि गणना कर उनका हिसाब किताब रखता हो तो उसके विश्लेषण को देखिए तो आपको पता चलेगा कि पाठकों का एक बहुत बड़ा वर्ग गूगल खोज परिणामों से कुछ शब्द खोज कर आपके चिट्ठे पर आया है | जब आप अपने चिट्ठे पर लगे विश्लेषक औजार से विश्लेषण रपट देखेंगे तो पाएंगे  कि ब्लॉग वाणी व चिट्ठाजगत की अपेक्षा गूगल खोज से आपके चिट्ठे पर पाठक ज्यादा आये है | चिटठा एग्रीगेटर से पाठक सिर्फ उसी दिन आते है जिस दिन आपका लेख प्रकाशित होता है | खुशदीप जी सहगल के शब्दों में " हिंदी चिटठा एग्रीगेटर की हॉट लिस्ट में आई पोस्ट की उम्र तो सिर्फ एक ही दिन की होती है |"
खुशदीप जी ने  एकदम सटीक कहा | यदि कोई चिट्ठाकार कुछ हथकंडे अपनाकर एग्रीगेटर पर अपने लेख को हॉट लिस्ट में ले भी आये तो उस पोस्ट पर एक ही दिन तो पाठक आ जायेंगे लेकिन दुसरे दिन कौन आएगा ?

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सर्च इंजन (गूगल आदि ) से पाठक आते कैसे है ?

जब भी हमें अंतरजाल पर कुछ खोजना होता है तो हम गूगल या कोई अन्य सर्च इंजन पर सम्बंधित विषय के कुछ शब्द लिखकर खोज करते है और सर्च इंजन द्वारा उपलब्ध कराये खोज परिणामों के लिंक्स पर चटका लगाकर सम्बंधित वेब साईट या ब्लॉग पर पहुँच जाते है अब चूँकि खोज परिणाम हमारी जरुरत के अनुसार आये है तो सम्बंधित ब्लॉग पर जानकारी भी हमारी जरुरत और रूचि की होगी ही जिसे हम पढेंगे और उस ब्लॉग पर अपनी रुचिनुसार और भी लेख तलाश करेंगे व पढेंगे तो जाहिर है उस ब्लॉग या साईट पर ट्रेफिक तो बढेगा ही | उस बढे ट्रेफिक का सारा श्रेय सर्च इन्जंस को जायेगा | 
इस तरह सर्च इन्जंस अपने खोज परिणामों द्वारा चिट्ठों व वेब साईटस पर पाठक भेजकर अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर चिट्ठों व वेब साईट पर ट्रेफिक बढ़ाकर अपनी भूमिका निभाते है |

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सर्च इंजन से हिंदी ब्लोग्स पर पाठक क्यों नहीं आते ?

हिंदी ब्लोग्स पर अंग्रेजी ब्लोग्स के मुकाबले सर्च इंजन से पाठक बहुत कम आते है जिसका सबसे बड़ा कारण है सर्च इन्जंस पर खोज हिंदी में बहुत ही कम होती है लगभग लोग खोज अंग्रेजी में करते है तो जाहिर है खोज परिणाम भी अंग्रेजी में ही आयेंगे और पाठक उन्ही खोज परिणामों के लिंक पर चटका लगा वहीँ पहुंचेगा |
अत : स्पष्ट है हिंदी ब्लोग्स पर सर्च इन्जंस से पाठक कम आने का सबसे बड़ा कारण हिंदी में खोज की कमी है |

सर्च इंजन से हिंदी ब्लोग्स पर पाठक बढ़ाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

मेरी ऐसे लोगों से मुलाकात होती रहती है जो पिछले दस -पन्द्रह वर्षों से कंप्यूटर का उपयोग कर रहें पर उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके कंप्यूटर पर साधारण की बोर्ड का उपयोग करके भी हिंदी लिखी जा सकती है जब मैं उन्हें अपना हिंदी ब्लॉग दिखाता हूँ तो वे ब्लॉग पर हिंदी भाषा में लिखे लेख देखकर आश्चर्यचकित हो जाते है कि आपने हिंदी में कैसे लिखा तब मैं उन्हें गूगल बाबा की हिंदी ट्रांसलेट सेवा से कुछ हिंदी के शब्द उन्हें लिखकर दिखाता हूँ तो देखने वाले की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता और वे अपने आपको कोसने लगते है कि इतना आसान होते हुए भी हमें इसका पता नहीं था और हिंदी लिखना सीख कर वे अपने आपको धन्य समझने लगते है |
अक्सर ज्ञान दर्पण के पाठकों व फेसबुक व अन्य अंतरजाल के मित्रों से भी ई-मेल मिलते रहते है कि वे भी हिंदी लिखना चाहते है कृपया मार्गदर्शन करें | तब मैं उन्हें भी गूगल बाबा की ट्रांसलेट सेवा टूल का लिंक व बरहा व हिंदी राइटर टूल जैसे सोफ्टवेयर की जानकारी भेजता हूँ कुछ देर बाद उनकी धन्यवाद मेल हिंदी में लिखी मिलती है तो मन बड़ा प्रसन्न होता है कि एक हिंदी का लिखने वाला तो बढ़ा और वह लिखने वाला गूगल पर हिंदी खोज कर हमारे ब्लोग्स के पाठक में तब्दील हो जाता है |
अब जब कंप्यूटर उपभोगकर्ताओं को पता ही नहीं कि उनके कंप्यूटर के साधारण की-बोर्ड से ही आसानी से हिंदी लिखी जा सकती है तो वे हिंदी में वेब खोज कैसे करेंगे और बिना हिंदी में वेब खोज के हमारे ब्लोग्स पर कैसे पहुंचेंगे ?

तो आईये हम आज से ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को कंप्यूटर पर हिंदी लिखने वाले औजारों की जानकारी देकर अपने जानपहचान वालों को कंप्यूटर पर हिंदी लिखना सिखाएं व लिखने के लिए प्रेरित करें , तभी अंतर्जाल पर हिंदी में वेब खोज बढ़ेगी और जब सर्च इन्जंस पर हिंदी वेब खोज बढ़ेगी तो निश्चित है खोज परिणामों से पाठक हमारे ही हिंदी ब्लोग्स पर आयेंगे और  उन्हें हिंदी ब्लोग्स पर अपनी मातृभाषा में जब जानकारियां का खजाना मिलेगा तो वे बार-बार हमारे ब्लोग्स पर पढने आयेंगे |
इस तरह हम जितने लोगों को कंप्यूटर पर हिंदी लिखना सिखायेंगे समझो हमने उतने ही हिंदी ब्लोग्स पढने वाले पाठक तैयार कर दिए |


अपने चिट्ठे पर आने वाले पाठको की संख्या व सर्च इंजन से आने वाले पाठकों द्वारा शब्दों की खोज का रुझान आदि का विश्लेषण करने के लिए आप गूगल की विश्लेषक सेवास्टेटकाउंटर की फ्री सुविधा का लाभ उठा सकते है |


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24टिप्पणियाँ

  1. उम्दा पोस्ट.
    यह औजार वाकई काम का है.

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  2. खोजी और उपयोगी जानकारी देती पोस्ट के लिए आभार ,हम सब के एकजुट प्रयास से हिंदी और हिंदी ब्लोगिंग का विकास जरूर होगा |

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  3. रतन जी, आपने सही कहा कि लोग मूलतः अंग्रेजी में सर्च करते हैं इसीलिए उन्हें हिंदी के ब्लॉग्स के लिंक नहीं मिल पाते.
    अपने ब्लौग पर अधिक पाठकों को लाने के लिए मैं अब हर पोस्ट के नीचे अंग्रेजी में एक पंक्ति में उस पोस्ट के की-वर्ड्स देने लगा हूँ. इससे पाठकों की संख्या में कुछ इजाफा हुआ है.

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  4. "दोस्तों आज हिंदी चिट्ठाजगत को सबसे जरुरत है तो वो है पाठकों की|"

    यही "सौ बात की एक बात" है रतनसिंह जी! पाठकों की संख्या बढ़ाने के लिये हम सभी को कमर कसना होगा।

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  5. रतन जी,

    कई दिनों से मेरे मन में हिंदी पोस्टों पर अंग्रेजी कीवर्ड लिख कर ट्रैफिक सर्च इंजिनों से पाठक डायवर्ट करने का विचार था लेकिन आज आपकी इस पोस्ट ने मेरी उस सोच को कुरेदना शुरू कर दिया और आज से मैंने यह युक्ति लागू करने का मन बना लिया है।

    आशा है बाकि ब्लॉगर जन भी यह युक्ति अपनाएंगे।

    रतन जी, आपको इस कुरेदनात्मक पोस्ट के लिए धन्यवाद देता हूँ।

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  6. कहना तो आपका सही है पर लेख में दो बातें और जोड़ दें तो यह समग्रता प्राप्त कर लेगा (1) ब्लागर किस-किस साइट पर जाकर ब्लाग लिस्ट करे कि सर्च इंजन उसे ढूंढ लें (2) वो विजेट कौन से हैं व कहां से लगाएं जो यह सीधे-सीधे बता दें कि फलां-फ़लां कहां-कहां से आए :)

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  7. उपयोगी व् ज्ञानवर्धक जानकारी |

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  8. रतन जी

    सादर
    , बहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक आलेख. बिना हिन्दी टंकण का प्रचार-प्रसार किये हम वाकई अपने ब्लाग पर पाठक नहीं बढ़ा सकते.

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  9. सुझाव पर घ्यान देने के लिए विनम्र आभार भाई शेखावत जी.

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  10. बहुत बढिया जानकारी
    ज्ञान का सागर ही उमड़ पड़ा

    आभार

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  11. नमस्कार मे आप सभी लोगो को अपने ब्लॉग पर भी क्विज़ खेलने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ

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  12. इस जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हिन्दी ब्लॉग्स को थोड़े प्रचार की आवयशकता है।

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  13. बढ़िया जानकारी है
    मेरा ब्लॉग bundelkhandsamrat.blogspot.com

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  14. यह जानकारी हिंदी प्रेमियों और हिंदी के पाठकों के लिए अवश्य ही उपयोगी सिद्ध होगी. आप सभी समय निकालकर कृपया http://bhartihindi.blogspot.com/ इस ब्लॉग का भी अवलोकन करें और अपने अमूल्य सुझाव भी दें.

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