संवेदनहीन द्वारा संवेदनशीलता की अपेक्षा

Gyan Darpan
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कुछ दिन पहले मै लाला रामजीलाल के कारखाने में उनके ऑफिस उनके पास बैठा था , लाला जी अपने कुछ देनदारों की संवेदनहीनता पर बड़े खीजे हुए और नाराज थे लाला जी की ये देनदार कम्पनियां लाला जी के कारखाने में अपना कच्चा माल भेज कर उसे जॉब वर्क पर तैयार करवाती है इसी जॉब वर्क के पैसे लाला जी को इन कंपनियों से लेने होते है लाला जी का कारखाना भी इन्ही कम्पनियों की मेहरबानी से चलता है | लाला जी का कोई अति निकट सम्बन्धी किसी घातक बीमारी के चलते अस्पताल में जीवन मृत्यु के बीच जूझ रहा था उसी के इलाज के लिए लाला जी को रुपयों की सख्त जरुरत थी , लाला जी ने अपने सभी देनदारों से अपने सम्बन्धी की बीमारी का हवाला देते हुए रुपयों का तकादा किया था पर कुछ देनदार कम्पनियां लाला जी की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी | उन्ही को संवेदनहीन बताते हुए लाला जी उन्हें कोस रहे थे कि ऐसी मुसीबत के समय इन देनदारों ने मुझे मेरा उधार रुपया पूरा नहीं चुकाया | उन्हें उन कम्पनी मालिकों द्वारा लाला जी के साथ पूरी सहानुभूति न दिखा पाने का मन में बड़ा दर्द व अफ़सोस था | लाला जी से बातचीत पूरी कर जैसे ही में उनके दफ्तर से बाहर निकला मुझे उनका प्रोडक्शन सुपरवाईजर मिल गया वह मुझे देखते ही कहने कि भाई साहब देखिये लाला जी कितने संवेदनहीन है अभी दो घंटे पहले कारखाने के एक कामगार को अपने सम्बन्धी के इलाज के लिए अस्पताल जाना था कामगार को उसके लिए छुट्टी के साथ कुछ रुपयों की भी जरुरत थी लेकिन लाला जी ने न तो कारीगर को छुट्टी दी और ना ही रुपये दिए उल्टा बेचारे कारीगर को हड़काते हुए दफ्तर से बाहर निकाल दिया कि कोई बीमार वीमार नहीं है तम्हे तो सिर्फ पैसे व छुट्टी लेने का बहाना चाहिए चल निकल यहाँ से और अपना काम कर |
सुपरवाईजर आगे कहने लगा - भाई साहब लाला जी अभी अपने रिश्तेदार की बीमारी से खुद परेशान है और चाहते है कि उनके परेशानी के चलते कारखाने का हर कर्मचारी उनके प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनकी अनुपस्थिति में ज्यादा जिम्मेदारी से कार्य करें पर आप ही बताईये जब लाला जी अपने कामगारों के प्रति संवेदनशील नहीं है तो कामगार से सहानुभूति की अपेक्षा क्यों रखते है ऐसी परिस्थिति में क्या कामगार मालिक के प्रति वफादार रहेंगे ?
आजकल हर कोई व्यक्ति इन्ही लाला जी कि तरह दूसरों से तो सहानुभूति व संवेदनशीलता की अपेक्षा रखता है पर खुद दूसरों के प्रति कितना संवेदनशील है इस पर कभी विचार नहीं करता |
लाला जी को भी अपनी परेशानियों तो नजर आई लेकिन उन्होंने अपने कामगार की परेशानी को उसका बहाना समझा और उसके प्रति संवेदनहीन हो गए | दुसरे दिन जब मैंने लाला जी को खरी खरी सुनाते हुए यह घटना याद कराकर बताया कि हो सकता है आपकी देनदार कम्पनियों ने भी आपके रिश्तेदार की बीमारी को आपका समय पूर्व या जल्दी भुगतान प्राप्त करने का बहाना माना हो तब लाला जी बगलें झाँकने लगे |


ताऊ पहेली - 63 : जवाब स्थगित
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9टिप्पणियाँ

  1. लालाजी गलती पर लगते हैं। पर संवेदनशीलता का नाजायज दोहन करने वाले भी बहुत देखे हैं।
    मैं स्वयं भी कई बार ठगा गया हूं। यह जरूर है कि अच्छे लोग भी पर्याप्त हैं जिनके चलते संवेदनशीलता मरी नहीं।

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  2. मैने देखा है कई बार बसों में जब भीड़ ज्यादा होती है | उस समय यदि आपके साथ आपकी पत्नी,माँ,या बहिन होती है तो आप यह सोचते है कि कोई महानुभाव आपके साथ आयी लेडीज के लिए अपनी सीट से खड़ा हो जाए | लेकिन जब दुसरे के साथ कोई लेडीज हो तो आप कितना सीट छोड़ देते है यह वक्त जानता है |

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  3. स्थितियां वक्त के हिसाब से पलटती रहती हैं.

    रामराम.

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  5. भाई मै बहुत ही संवेदनशील था, हर किसी के काम आना पेसा तक दे देता था, ओर आज दुत्कार भी देता हुं..... कारण आप ही बताये???

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  6. भाटिया जी
    शायद आपकी संवेदनशीलता का लोगों ने बेजा दोहन किया होगा | बहुत से लोग संवेदनशील व्यक्ति को भावनात्मक रूप से ब्लेकमेल कर उसकी संवेदनशीलता का बेजा दोहन कर डालते है |

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  7. जिसके पैर न फटी बिवाई!
    वो क्या जाने पीर पराई!!

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