जातीय भावनाओं का दोहन

Gyan Darpan
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जब से अमर सिंह जी समाजवादी पार्टी से बाहर हुए है | मोबाइल फ़ोन पर क्षत्रिय एकता के एस एम् एस की बाढ़ सी आई हुई है | क्षत्रियो जागो ,उठो , एक हो जावो , आज स्वाभिमान रैली है , आज गर्जना रैली है ,आज रथ यात्रा फलां शहर पहुंचेगी उसका जोश के साथ स्वागत करें , क्षत्रिय एकता जिंदाबाद , रैली में ठाकुर अमर सिंह जी मुख्य वक्ता होंगे आदि आदि |
आज से पहले क्षत्रिय समाज के उत्थान पतन की न अमरसिंह जी को कभी चिंता था न इस समय एस एम् एस भेजने व इन रैलियों को आयोजित करने वाले आयोजकों को | अब जब सपा से बाहर होने के बाद अमर सिंह जी को अपनी राजनैतिक जमीन तलाशनी है तब अचानक ये रैलियां आयोजित होनी लगी है अमर सिंह जी अब अपने नाम के साथ ठाकुर लगाने लगे है | जातीय भावनाओं का दोहन कर इन रैलियों में जातीय भीड़ इक्कठा कर इनके माध्यम से अपनी राजनैतिक ताकत व व्यापक जनाधार दिखाने का अमर सिंह जी का मंसूबा साफ़ दिखाई दे रहा है और क्षत्रिय एकता के नाम पर राजपूतों की इन रैलियों में उमड़ती भीड़ देखकर वे अपने इस मिशन में सफल होते भी दिखाई दे रहे है |
प्राय: अक्सर देखा गया कि जब भी किसी कम जनाधार वाले नेता पर कोई राजनैतिक संकट आया है सभी ने किसी न किसी रूप में अपनी जाति या धर्म का सहारा लेकर अपना संकट दूर करने की कोशिश की है संकट दूर होने के बाद अक्सर फिर वे अपनी जाति व धर्म को भूल जाते है शायद ठाकुर अमर सिंह जी भी क्षत्रिय एकता के नाम पर अपना व्यापक जनाधार व ताकत दिखाने व राजनैतिक जमीन हासिल करने बाद फिर सिर्फ अमर सिंह ही बन जाये | पर फ़िलहाल तो वे सपा से निकलने के बाद अपने आप को क्षत्रिय नेता के तौर पर स्थापित करने में लगे है |
उनके द्वारा प्रायोजित रैलियों से क्षत्रिय समाज का तो कितना भला व उत्थान होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन यह तय है कि वे क्षत्रियों समाज की जातीय भावनाओं का दोहन कर अपनी राजनैतिक जमीन हासिल करने में कामयाब जरुर हो जायेंगे |



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16टिप्पणियाँ

  1. आम आदमी के विश्‍वास का नाजायज फायदा ये नेता उठाते हैं .. सही कह रहे हैं आप !!

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  2. जगाया जाना ज़रूरी है वर्ना लोग सोते रह गए तो नेता लोगों को गाड़ी कौन चढ़ाएगा..

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  3. सही कह रहे हैं,आपसे १०० % सहमत...

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  4. जाति या धर्म का सहारा ले कर जो वोट मांगे उसे दो जुते मारो

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  5. मायावती, मुलायम जब जाति कार्ड खेल रहे हैं तो अमरसिंह को गलत क्या कहें!

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  6. अमरसिंह जी ने राजनीति में रहते हुए जितना राजपूतों का अहित किया उतना शायद ही किसी ने किया हो। अब उनको राजपूतों की याद आने लगी है। वैसे राजपूतों की यह गलतफहमी होगी कि वे राजपूतों के लिए कुछ करेंगे। उनका उल्‍लू सिधा हुआ नहीं कि वे वापस राजपूतों को भूल जाएंगे।

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  7. भैया शायद तुरुप का इक्का चला जारहा है. अब कर भी क्या सकते हैं वो?

    रामराम.

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  8. ये लोग जनता को मूर्ख समझते हैं

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  9. नेताओं ने हमेशा इस समाज का फायदा उठाया है | इसी लिए आज कल राजनीति से लोग ऊब गए है |

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